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कोविड मरीजों की सेवा में उपयोग की जाने वाली कारों पर लगेगा जीएसटी: AAR - जीएसटी में छूट वाली याचिका

महाराष्ट्र के अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग्स (AAR) ने टैक्सी सेवा प्रदाता कंपनी की जीएसटी में छूट की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर कहा कि याचिकाकर्ता यह साबित करने में असमर्थ है कि उनके द्वारा उपलब्ध कारें कोविड मरीजों की सेवा में नियोजित हैं. इस पर AAR ने आगे क्या कहा, पढ़ें ईटीवी भारत के वरिष्ठ पत्रकार कृष्णानन्द त्रिपाठी की रिपोर्ट.

जीएसटी
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Published : Oct 27, 2021, 7:45 PM IST

मुंबई : महाराष्ट्र के अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग्स (Authority for Advance Rulings-AAR) ने माना है कि कोविड मरीजों की सेवा में लगे कारों पर जीएसटी लगना चाहिए. हाल ही में एक टैक्सी सेवा प्रदाता कंपनी, जो ग्रेटर मुंबई नगर निगम में सेवा देती है, इसी आधार पर छूट का दावा किया था. लेकिन आज कंपनी की याचिका को खारिज कर दिया गया. राजीव मागु और टीआर रमनानी की दो सदस्यीय पीठ ने याचिका की सुनवाई की.

एएआर के समक्ष सुनवाई में जीएसटी अधिकारियों ने तर्क दिया कि कोई भी वाहन एम्बुलेंस नहीं कहलाता है. यह केवल एक कार है और इनोवा में किसी भी प्रकार का बदलाव यह किया गया, जिससे वाहन को एम्बुलेंस कहा जा सके.

जीएसटी विभाग ने कहा कि ये वाहन म्बुलेंस के रूप में उपयोग के लिए आरटीओ के साथ पंजीकृत नहीं हैं. इसलिए वे स्वास्थ्य संबंधी सेवा के तहत छूट का दावा नहीं कर सकते हैं.

विभाग ने कहा कि ऐसे सेवा प्रदाता कंपनियों पर क्षतिपूर्ति उपकर के भुगतान के साथ सेवा के प्रावधान पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया जाना चाहिए.

एएआर ने जीएसटी में छूट वाली याचिका खारिज करते हुए कहा कि हालांकि, ट्रैवल कंपनियां यह साबित करने में सक्षम नहीं है कि उनके द्वारा उपलब्ध इनोवा वाहनों को किसी भी प्रकार से एम्बुलेंस में तब्दील किया गया है, या यह पंजीकृत हैं. यहां तक कि याचिकाकर्ता यह साबित करने में भी सक्षम नहीं हो पाए कि इन वाहनों का इस्तेमाल केवल कोविड मरीजों के लिए इस्तेमाल किया गया था.

मुंबई : महाराष्ट्र के अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग्स (Authority for Advance Rulings-AAR) ने माना है कि कोविड मरीजों की सेवा में लगे कारों पर जीएसटी लगना चाहिए. हाल ही में एक टैक्सी सेवा प्रदाता कंपनी, जो ग्रेटर मुंबई नगर निगम में सेवा देती है, इसी आधार पर छूट का दावा किया था. लेकिन आज कंपनी की याचिका को खारिज कर दिया गया. राजीव मागु और टीआर रमनानी की दो सदस्यीय पीठ ने याचिका की सुनवाई की.

एएआर के समक्ष सुनवाई में जीएसटी अधिकारियों ने तर्क दिया कि कोई भी वाहन एम्बुलेंस नहीं कहलाता है. यह केवल एक कार है और इनोवा में किसी भी प्रकार का बदलाव यह किया गया, जिससे वाहन को एम्बुलेंस कहा जा सके.

जीएसटी विभाग ने कहा कि ये वाहन म्बुलेंस के रूप में उपयोग के लिए आरटीओ के साथ पंजीकृत नहीं हैं. इसलिए वे स्वास्थ्य संबंधी सेवा के तहत छूट का दावा नहीं कर सकते हैं.

विभाग ने कहा कि ऐसे सेवा प्रदाता कंपनियों पर क्षतिपूर्ति उपकर के भुगतान के साथ सेवा के प्रावधान पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया जाना चाहिए.

एएआर ने जीएसटी में छूट वाली याचिका खारिज करते हुए कहा कि हालांकि, ट्रैवल कंपनियां यह साबित करने में सक्षम नहीं है कि उनके द्वारा उपलब्ध इनोवा वाहनों को किसी भी प्रकार से एम्बुलेंस में तब्दील किया गया है, या यह पंजीकृत हैं. यहां तक कि याचिकाकर्ता यह साबित करने में भी सक्षम नहीं हो पाए कि इन वाहनों का इस्तेमाल केवल कोविड मरीजों के लिए इस्तेमाल किया गया था.

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