श्रीगंगानगर. टोक्यो में चल रहे पैरालिंपिक में भारत की अवनी लेखरा ने गोल्ड जीता है. अवनि लेखरा ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल के फाइनल मैच में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है. वे एयर राइफल शूटिंग में स्वर्ण जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी हैं.
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देशभर में खुशी की लहर
बता दें कि अवनि लेखरा ने सोमवार को यहां टोक्यो पैरालंपिक खेलों की निशानेबाजी प्रतियोगिता में महिलाओं के 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच1 के फाइनल में जगह बनाई. फाइनल मुकाबले में अवनी लेखरा ने 10 मीटर एआर स्टैंडिंग एसएच1 फाइनल में स्वर्ण पदक जीता. वहीं इस जीत से देशभर में खुशी की लहर है.
कार हादसे ने जिंदगी बदल दी थी
ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए अवनि लेखरा के पिता प्रवीण लेखरा ने कहा कि वे एयर राइफल शूटिंग में स्वर्ण जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी हैं. उन्होंने इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया. लेखरा ने कहा कि फरवरी 2012 में आगरा के पास हुई कार दुर्घटना के बाद अचानक अवनि की जिंदगी बदल गई. इस हादसे ने अवनि लेखरा की जिंदगी को बदल कर रख दिया और अवनि का पूरा परिवार स्तब्ध हो गया.
कमर के नीचे का हिस्सा काम करना बंद कर दिया
प्रवीण लेखरा ने बताया कि घटना के बाद मैंने न केवल पूरे परिवार को संभाला बल्कि अवनि को ठीक कराने के लिए जगह-जगह डॉक्टर के चक्कर लगाते रहे. हादसे के दौरान अवनि कार की पिछली सीट पर सो रही थी, लेकिन अचानक हादसे में वह उछल कर गिर गई जिससे कमर से नीचे का हिस्सा काम करना बंद कर दिया.
3 महीने तक लगातार चला था इलाज
इसके बाद अवनि को जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में करीब 3 महीने तक लगातार इलाज करवाया गया, लेकिन वह पहले की तरह ठीक नहीं हो पाई. 2 साल तक लंबे इलाज के बाद अवनि के पिता भी काफी परेशान रहने लगे थे, फिर उन्होंने अवनि को खेल की तरफ लेकर गए. उन्होंने कहा कि एयर शूटिंग में बेहतर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया.
सरकार ने हमेशा किया सहयोग
प्रवीण लेखरा ने राजस्थान सरकार और भारत सरकार को आभार प्रकट किया. उन्होंने कहा कि सरकार ने भी अवनि को कई तरीकों से सहयोग किया और अवनि को हमेशा गाइड किया. उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के बात करने से खिलाड़ियों पर एक सकारात्मक प्रभाव पड़ा.
अवनि रोज 7-8 घंटे तक करती थी तैयारी
लेखरा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि अवनि इसके लिए रोज 7-8 घंटे तैयारी कर रही थी और आज इसी का नतीजा है कि यह सकारात्मक परिणाम आया है. उन्होंने कहा कि अपने बच्चों को आगे बढ़ता देखना माता-पिता के लिए गर्व की बात होती है. प्रवीण लेखरा ने कहा कि टोक्यो पैरालंपिक से पहले अवनि काफी तैयारियां कर रही थी. इससे उन्हें आभाष था कि वह भारत के लिए मेडल जीत कर लाएगी. उन्होंने कहा कि कठिन परिश्रम का ही परिणाम है कि आज भारत के लिए अवनि ने गोल्ड मेडल जीता है.
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पैरा ओलंपिक खिलाड़ी एक रियल लाइफ हीरो
प्रवीण लेखरा ने कहा कि एक कहावत है कि जब खिलाड़ी ओलंपिक में मेडल जीतता है तो वह हीरो बन जाता है. लेकिन, पैरा ओलंपिक खिलाड़ी पहले से ही एक रियल लाइफ हीरो है. खिलाड़ी इस लेवल तक पहुंच रहा है यही बहुत बड़ी बात है.
बता दें, प्रवीण लेखरा राजस्थान प्रशासनिक सेवा में अधिकारी हैं और वर्तमान में श्रीगंगानगर जिले में राजस्व अपील अधिकारी के पद पर पदस्थापित हैं. प्रवीण लखेरा के दो संतान हैं, जिसमें अवनि बड़ी है. 17 साल का अर्णव लेखरा छोटा है. फिलहाल, अवनि राजस्थान विश्वविद्यालय से विधि के क्षेत्र में चौथे सेमेस्टर की तैयारी भी कर रही है.