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तमिलनाडु : पानी की खाली बोतलों से बना दिए शानदार शौचालय

वेस्ट मैनेजमेंट स्कीम के माध्यम से तमिलनाडु सरकार कचरे से ग्रीन फॉडर के उत्पादन को प्रोत्साहित कर रही है. इसके तहत थूथुकुडी निगम तमिलनाडु में पहली बार शौचालय का निर्माण कर रहा है, जिसमें खाली पानी की बोतलों का उपयोग किया गया है और इन शौचालयों की लागत भी काफी कम है.

बोतलों से बना दिए शानदार शौचालय
बोतलों से बना दिए शानदार शौचालय
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Published : Nov 19, 2020, 8:57 PM IST

थूथुकुडी : सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट स्कीम के तहत कोरोना शिविरों से खाली पानी की बोतलों का उपयोग करके शौचालय निर्माण का काम थूथुकुडी निगम ने शुरू की है. निगम के अधिकारियों का कहना है कि निर्माण की लागत ईंटों से बनने वाले शौचालय की लागत से काफी कम है.

निगम के एक अधिकारी का कहना है कि नगर पालिका, गांवों के कचरा संग्रहण डिपो में कचरे को डंप किया जाता है, इसलिए समय के साथ उनके माध्यम से बीमारियों के फैलने का खतरा रहता है और बदबू भी आती है.

बोतलों से बनाए जा रहे हैं शोचालय

बता दें कि वेस्ट मैनेजमेंट स्कीम के माध्यम से तमिलनाडु सरकार इस कचरे से ग्रीन फॉडर के उत्पादन को प्रोत्साहित कर रही है. इसके अन्तर्गत सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट जैसी सामुदायिक परियोजनाओं को भी प्राथमिकता दी जा रही है. इसके तहत थूथुकुडी निगम तमिलनाडु में पहली बार शौचालय का निर्माण कर रहा है, जिसमें खाली पानी की बोतलों का उपयोग किया गया है.

निगम के स्वामित्व वाला सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सेंटर फिलहाल पेरुमलपुरम क्षेत्र में कार्य कर रहा है, जो थूथुकुडी निगम के अधीन है. इसके तहत रोजाना जमा होने वाले कचरे में सब्जियों के कचरे और पानी की बोतलों को रिसाइकल करने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं.

अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा डिस्पोजल पानी की बोतलों को एकत्र किया जाता है और पेरुमलपुरम सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सेंटर में लाया जाता है.

उन्होंने बताया कि निगम के आयुक्त जयसीलन ने परीक्षण के आधार पर खाली पानी की बोतलों के साथ शौचालय का निर्माण करने का निर्णय लिया है.

इसके लिए परियोजना तैयार की गई है और उनकी स्वीकृति के लिए जिला प्रशासन और तमिलनाडु सरकार को भेजा गया है.

निगम की नई पहल के लिए सरकार की मंजूरी के बाद ईंटों के बजाय खाली पानी की बोतलों का उपयोग करके ठोस अपशिष्ट परिसर के अंदर शौचालय का निर्माण शुरू हो गया है.

फिलहाल खाली पानी की बोतलों को समुद्री रेत से भरा जा रहा है और उन बोतलों के ढक्कन को गोंद से सील कर दिया गया है. इसके बाद ईंटों के बजाय सीमेंट मिश्रण के बीच में रेत से भरी पानी की बोतलों से एक दीवार खड़ी की गई. लगभग 1500 खाली पानी की बोतलों का उपयोग करके 8 फीट लंबे इस शौचालय को 6 फीट चौड़ा बनाया गया है.

निगम के स्वास्थ्य अधिकारी अरुण ने कहा कि इस शौचालय का निर्माण कार्य अगले दो सप्ताह के भीतर पूरा हो जाएगा और यह चालू हो जाएगा.

पढ़ें - तामिलनाडु : कुएं में गिरा हाथी, बचाव अभियान जारी

उन्होंने आगे कहा कि थूथुकुडी जिले में कोरोना लॉकडाउन अवधि के दौरान, स्वैच्छिक संगठनों द्वारा कोरोना उपचार केंद्रों और बुखार अलगाव वार्डों में पानी की बोतलें वितरित की गईं.

हमने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम के तहत कोरोना शिविरों से एकत्रित इन पानी की बोतलों का उपयोग करके शौचालय बनाने का फैसला किया. एकत्रित खाली पानी की बोतलों को कीटाणुनाशकों का उपयोग करके अच्छी तरह से साफ किया गया था.

आमतौर पर, जो शौचालय ईंटों का उपयोग करके बनाए जाते हैं, उनकी लागत बहुत ज्यादा होती है, लेकिन खाली पानी की बोतलों से शौचालय बनाने से निगम को लागत में कमी आती है.

इसके अलावा, योजनाबद्ध समय सीमा के भीतर कार्यों को जल्दी से पूरा किया जा सकता है. चूंकि बोतल समुद्री रेत से भरी होती है, इसलिए यह ईंट जैसी स्थिरता प्रदान करती है.

उन्होंने कहा कि इस पहली पहल की सफलता के बाद सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम के तहत निगम के कई हिस्सों में लोगों के लिए उपयोगी शौचालयों और इमारतों का निर्माण करने का निर्णय लिया गया है.

थूथुकुडी : सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट स्कीम के तहत कोरोना शिविरों से खाली पानी की बोतलों का उपयोग करके शौचालय निर्माण का काम थूथुकुडी निगम ने शुरू की है. निगम के अधिकारियों का कहना है कि निर्माण की लागत ईंटों से बनने वाले शौचालय की लागत से काफी कम है.

निगम के एक अधिकारी का कहना है कि नगर पालिका, गांवों के कचरा संग्रहण डिपो में कचरे को डंप किया जाता है, इसलिए समय के साथ उनके माध्यम से बीमारियों के फैलने का खतरा रहता है और बदबू भी आती है.

बोतलों से बनाए जा रहे हैं शोचालय

बता दें कि वेस्ट मैनेजमेंट स्कीम के माध्यम से तमिलनाडु सरकार इस कचरे से ग्रीन फॉडर के उत्पादन को प्रोत्साहित कर रही है. इसके अन्तर्गत सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट जैसी सामुदायिक परियोजनाओं को भी प्राथमिकता दी जा रही है. इसके तहत थूथुकुडी निगम तमिलनाडु में पहली बार शौचालय का निर्माण कर रहा है, जिसमें खाली पानी की बोतलों का उपयोग किया गया है.

निगम के स्वामित्व वाला सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सेंटर फिलहाल पेरुमलपुरम क्षेत्र में कार्य कर रहा है, जो थूथुकुडी निगम के अधीन है. इसके तहत रोजाना जमा होने वाले कचरे में सब्जियों के कचरे और पानी की बोतलों को रिसाइकल करने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं.

अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा डिस्पोजल पानी की बोतलों को एकत्र किया जाता है और पेरुमलपुरम सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सेंटर में लाया जाता है.

उन्होंने बताया कि निगम के आयुक्त जयसीलन ने परीक्षण के आधार पर खाली पानी की बोतलों के साथ शौचालय का निर्माण करने का निर्णय लिया है.

इसके लिए परियोजना तैयार की गई है और उनकी स्वीकृति के लिए जिला प्रशासन और तमिलनाडु सरकार को भेजा गया है.

निगम की नई पहल के लिए सरकार की मंजूरी के बाद ईंटों के बजाय खाली पानी की बोतलों का उपयोग करके ठोस अपशिष्ट परिसर के अंदर शौचालय का निर्माण शुरू हो गया है.

फिलहाल खाली पानी की बोतलों को समुद्री रेत से भरा जा रहा है और उन बोतलों के ढक्कन को गोंद से सील कर दिया गया है. इसके बाद ईंटों के बजाय सीमेंट मिश्रण के बीच में रेत से भरी पानी की बोतलों से एक दीवार खड़ी की गई. लगभग 1500 खाली पानी की बोतलों का उपयोग करके 8 फीट लंबे इस शौचालय को 6 फीट चौड़ा बनाया गया है.

निगम के स्वास्थ्य अधिकारी अरुण ने कहा कि इस शौचालय का निर्माण कार्य अगले दो सप्ताह के भीतर पूरा हो जाएगा और यह चालू हो जाएगा.

पढ़ें - तामिलनाडु : कुएं में गिरा हाथी, बचाव अभियान जारी

उन्होंने आगे कहा कि थूथुकुडी जिले में कोरोना लॉकडाउन अवधि के दौरान, स्वैच्छिक संगठनों द्वारा कोरोना उपचार केंद्रों और बुखार अलगाव वार्डों में पानी की बोतलें वितरित की गईं.

हमने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम के तहत कोरोना शिविरों से एकत्रित इन पानी की बोतलों का उपयोग करके शौचालय बनाने का फैसला किया. एकत्रित खाली पानी की बोतलों को कीटाणुनाशकों का उपयोग करके अच्छी तरह से साफ किया गया था.

आमतौर पर, जो शौचालय ईंटों का उपयोग करके बनाए जाते हैं, उनकी लागत बहुत ज्यादा होती है, लेकिन खाली पानी की बोतलों से शौचालय बनाने से निगम को लागत में कमी आती है.

इसके अलावा, योजनाबद्ध समय सीमा के भीतर कार्यों को जल्दी से पूरा किया जा सकता है. चूंकि बोतल समुद्री रेत से भरी होती है, इसलिए यह ईंट जैसी स्थिरता प्रदान करती है.

उन्होंने कहा कि इस पहली पहल की सफलता के बाद सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम के तहत निगम के कई हिस्सों में लोगों के लिए उपयोगी शौचालयों और इमारतों का निर्माण करने का निर्णय लिया गया है.

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