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कल्लाकुरिची छात्रा मौत मामला : HC ने जिपमर के डॉक्टरों से मांगी रिपोर्ट, परिवार शव लेने को राजी - Jipmer to analyse

तमिलनाडु के कल्लाकुरिची में छात्रा की मौत मामले में मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court ) ने पोस्टमार्टम का विश्लेषण कर एक महीने में जांच रिपोर्ट देने को कहा है. साथ ही कोर्ट की सलाह पर परिवार छात्रा का शव लेने को राजी हो गया है.

Madras High Court
मद्रास उच्च न्यायालय
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Published : Jul 22, 2022, 6:26 PM IST

चेन्नई : तमिलनाडु के कल्लाकुरिची में 12वीं की छात्रा की मौत मामले में मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को पुडुचेरी स्थित जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (Jipmer) के डॉक्टरों की टीम को पोस्टमार्टम रिपोर्ट का विश्लेषण कर एक महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया. ये निर्देश न्यायमूर्ति एन सतीश कुमार ने दिया. साथ ही कोर्ट की सलाह पर छात्रा के परिवार ने आखिरकार करीब 10 दिनों बाद शव लेना स्वीकार कर लिया. राज्य के लोक अभियोजक हसन मोहम्मद जिन्ना ने पीड़ित के परिवार की याचिका के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की एक प्रति पेश की. छात्रा की मौत के बाद 17 जुलाई को कल्लाकुरिची में हिंसा हुई थी.

न्यायाधीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में पीड़ित के पिता पी रामलिंगम की याचिका के बारे में कुछ नहीं कहा गया है, जिसमें पोस्टमार्टम में परिवार की पसंद के डॉक्टर को शामिल करने के बारे में बताया गया है. अदालत ने कहा कि 20 जुलाई को पारित उसके आदेशों में किसी संशोधन की आवश्यकता नहीं है. इससे पहले अदालत ने एक और पोस्टमॉर्टम के लिए अपनी याचिका पर जोर देने के लिए याचिकाकर्ता की खिंचाई की. याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि पोस्टमार्टम में परिवार के पसंद के डॉक्टर को शामिल किया जाना चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि 'क्या आपको हाई कोर्ट पर भरोसा नहीं है. दूसरा पोस्टमॉर्टम करने के लिए डॉक्टरों की टीम का गठन अदालत ने किया था, न कि सरकार ने इसलिए किसी भी तरह की गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं है. जो सच्चाई होगी, जल्द ही सामने आएगी. इंतजार करें.' कोर्ट ने कहा कि 'अदालत माता-पिता की पीड़ा को समझ सकती है, लेकिन स्कूल में पढ़ रहे हजारों छात्रों के भविष्य के बारे में भी सोचना चाहिए. 17 जुलाई को प्रदर्शनकारियों ने स्कूल में तोड़फोड़ की. प्रबंधन को मुआवजा कौन देगा. छात्रों की आगे की शिक्षा सवालों के घेरे में है.'

इससे पहले दोबारा पोस्टमॉर्टम में शामिल होने वाले फोरेंसिक विशेषज्ञ ने न्यायाधीश को बताया कि टीम ने पहली और दूसरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कोई अंतर नहीं पाया है. न्यायाधीश ने कहा कि दोनों पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी की गई थी. माता-पिता को अगर कोई संदेह है तो वह बहुत अच्छी तरह से वीडियो क्लिपिंग देख सकते हैं. न्यायाधीश ने माता-पिता से कहा कि 'शव 10 दिन से मोर्चरी में है. आप एक सकारात्मक निर्णय लेकर शव लें, शांति से अंतिम संस्कार करें ताकि उसकी आत्मा को शांति मिले.' अदालत की सलाह मानते हुए रामलिंगम ने कहा कि वह शनिवार को अपनी बेटी का शव लेंगे.

ये है मामला : चेन्नई से 15 किलोमीटर दूर चिन्नासलेम में एक निजी आवासीय स्कूल में 12वीं में पढ़ने वाली 17 वर्षीय छात्रा 13 जुलाई को छात्रावास परिसर में मृत पाई गई थी. यह छात्रा छात्रावास की तीसरी मंजिल में बने कमरे में रहती थी और माना जा रहा है कि उसने सबसे ऊपर के तल से नीचे कूदकर जान दे दी. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कथित तौर पर यह सामने आया है कि छात्रा की मौत से पहले उसके शरीर पर चोट के निशान थे. सीबीसीआईडी और पुलिस मामले की जांच कर रही है.

पढ़ें- तमिलनाडु में स्कूली छात्रा की मौत के बाद हिंसा, पुलिस ने हवा में गोलियां चलाईं

पढ़ें- तमिलनाडु हिंसा : छात्रा की मौत के मामले में दो शिक्षक हिरासत में

चेन्नई : तमिलनाडु के कल्लाकुरिची में 12वीं की छात्रा की मौत मामले में मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को पुडुचेरी स्थित जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (Jipmer) के डॉक्टरों की टीम को पोस्टमार्टम रिपोर्ट का विश्लेषण कर एक महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया. ये निर्देश न्यायमूर्ति एन सतीश कुमार ने दिया. साथ ही कोर्ट की सलाह पर छात्रा के परिवार ने आखिरकार करीब 10 दिनों बाद शव लेना स्वीकार कर लिया. राज्य के लोक अभियोजक हसन मोहम्मद जिन्ना ने पीड़ित के परिवार की याचिका के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की एक प्रति पेश की. छात्रा की मौत के बाद 17 जुलाई को कल्लाकुरिची में हिंसा हुई थी.

न्यायाधीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में पीड़ित के पिता पी रामलिंगम की याचिका के बारे में कुछ नहीं कहा गया है, जिसमें पोस्टमार्टम में परिवार की पसंद के डॉक्टर को शामिल करने के बारे में बताया गया है. अदालत ने कहा कि 20 जुलाई को पारित उसके आदेशों में किसी संशोधन की आवश्यकता नहीं है. इससे पहले अदालत ने एक और पोस्टमॉर्टम के लिए अपनी याचिका पर जोर देने के लिए याचिकाकर्ता की खिंचाई की. याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि पोस्टमार्टम में परिवार के पसंद के डॉक्टर को शामिल किया जाना चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि 'क्या आपको हाई कोर्ट पर भरोसा नहीं है. दूसरा पोस्टमॉर्टम करने के लिए डॉक्टरों की टीम का गठन अदालत ने किया था, न कि सरकार ने इसलिए किसी भी तरह की गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं है. जो सच्चाई होगी, जल्द ही सामने आएगी. इंतजार करें.' कोर्ट ने कहा कि 'अदालत माता-पिता की पीड़ा को समझ सकती है, लेकिन स्कूल में पढ़ रहे हजारों छात्रों के भविष्य के बारे में भी सोचना चाहिए. 17 जुलाई को प्रदर्शनकारियों ने स्कूल में तोड़फोड़ की. प्रबंधन को मुआवजा कौन देगा. छात्रों की आगे की शिक्षा सवालों के घेरे में है.'

इससे पहले दोबारा पोस्टमॉर्टम में शामिल होने वाले फोरेंसिक विशेषज्ञ ने न्यायाधीश को बताया कि टीम ने पहली और दूसरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कोई अंतर नहीं पाया है. न्यायाधीश ने कहा कि दोनों पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी की गई थी. माता-पिता को अगर कोई संदेह है तो वह बहुत अच्छी तरह से वीडियो क्लिपिंग देख सकते हैं. न्यायाधीश ने माता-पिता से कहा कि 'शव 10 दिन से मोर्चरी में है. आप एक सकारात्मक निर्णय लेकर शव लें, शांति से अंतिम संस्कार करें ताकि उसकी आत्मा को शांति मिले.' अदालत की सलाह मानते हुए रामलिंगम ने कहा कि वह शनिवार को अपनी बेटी का शव लेंगे.

ये है मामला : चेन्नई से 15 किलोमीटर दूर चिन्नासलेम में एक निजी आवासीय स्कूल में 12वीं में पढ़ने वाली 17 वर्षीय छात्रा 13 जुलाई को छात्रावास परिसर में मृत पाई गई थी. यह छात्रा छात्रावास की तीसरी मंजिल में बने कमरे में रहती थी और माना जा रहा है कि उसने सबसे ऊपर के तल से नीचे कूदकर जान दे दी. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कथित तौर पर यह सामने आया है कि छात्रा की मौत से पहले उसके शरीर पर चोट के निशान थे. सीबीसीआईडी और पुलिस मामले की जांच कर रही है.

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