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Haryana Tiranga Man 10 साल से हाथ मे तिरंगा लेकर चलते हैं हरियाणा के राजेश हिंदुस्तानी - आजादी का अमृत महोत्सव

आजादी के 75वें साल के मौके पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. भारत सरकार ने इसके लिए हर घर तिरंगा (Har Ghar Tiranga in Haryana) अभियान चलाया है. तिरंगा झंडा हमारे देश की आन बान और शान का प्रतीक है. हर वतन प्रेमी को तिरंगे से मोहब्बत है. लेकिन हरियाणा के एक ऐसे शख्स हैं जिनका तिरंगा प्यार बेमिसाल है. ये शख्स पिछले 10 साल से अपने हाथ में तिरंगा लेकर चलता है.

Tiranga Man of Haryana
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Published : Aug 11, 2022, 11:01 PM IST

हिसार: हरियाणा के हिसार जिले के रहने वाले तिरंगा प्रेमी राजेश हिंदुस्तानी का अंदाज अलग है. राजेश ने 19 नवंबर 2012 को रानी लक्ष्मीबाई के जन्मदिन पर अपने हाथ में तिरंगा उठाया था. पिछले 10 साल से वो लगातार हाथों में तिरंगा थामे हुए हैं. घर से बाहर जब भी निकलते हैं तो हाथ में तिरंगा लेकर निकलते हैं. इसके चलते राजेश को लोग तिरंगा मैन (Tiranga Man of Haryana) के नाम से जानने लगे हैं. इसकी वजह है अपने राष्ट्रध्वज के लिए उनकी बेपनाह मोहब्बत. राष्ट्र के सम्मान और तिरंगे की शान को वो अपने जीवन का मिशन बना चुके हैं.

शहीदों की विरासत संभाल रहा हूं- हाथ में तिरंगा लेकर चलने के पीछे की वजह बताते हुए राजेश हिंदुस्तानी (Tiranga Man Rajesh Hindustani) कहते हैं कि हमारे महान शहीदों ने देश की आजादी के लिए बड़ी कर्बानी दी है. अमर शहीदों की ये कुर्बानी हमारे ऊपर कर्ज है देश को संभालने के लिए. हमारा फर्ज है कि हम अपने शहीदों की विरासत को संभालें. लेकिन आजादी के बाद लोग अपने स्वार्थों में डूब गये. तिरंगा देखकर मेरे मन में अलग से रोमांच उठता है. ऐसा लगता है मेरा इससे कोई पिछले जन्म का रिश्ता है. ये तिरंगा देश की शान और शहीदों के अरमान का प्रतीक है. इसलिए मैं अपने साथ तिरंगा रखता हूं.

Haryana Tiranga Man 10 साल से हाथ मे तिरंगा लेकर चलते हैं हरियाणा के राजेश हिंदुस्तानी

अन्ना आंदोलन से शुरु किया हाथ में तिरंगा उठाना- राजेश हिंदुस्तानी कहते हैं कि उन्होंने सबसे पहले 2011 में अन्ना हजारे और योग गुरु रामदेव के आंदोलन में तिरंगा उठाया था. अन्ना की रैली में कई बार 24 घंटे तक तिरंगा अपने हाथ में थामे रखा. 2012 में अन्ना आंदोलन खत्म हो गया. उसके बाद तिरंगे से उन्हें अलग ही लगाव हो गया. उसके बाद नवंबर 2012 में देश की आन-बान-शान के लिए तिरंगे को लेकर यूपी, राजस्थान, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ व अन्य राज्यों की यात्रा की. कई राज्यों के गांवों व शहरों में जाकर उन्होंने राष्ट्रीयता की भावना, प्रेम व समाज सेवा से लोगों को जोड़ा. तिरंगे से उनका ये प्रेम देखकर उनका नाम राजेश कुमार से राजेश हिंदुस्तानी हो गया है.

लोग मेंटल और सनकी कहते हैं- राजेश हिंदुस्तानी कहते हैं कि शुरुआत में लोग उन्हें बिना किसी समारोह के तिरंगा हाथ में उठाए देखते तो पागल या सनकी कहते थे. लोग कहते थे कि यह मेंटल है इसका इलाज कराओ. कई बार तो लोगों ने गाड़ी में डालकर उन्हें दिमागी डॉक्टर के पास ले जाने की भी कोशिश की. हिंदुस्तानी ने बताया कि मैंने उन लोगों को समझाया कि मेरा दिमाग सही है. आपकी सोच खराब है. लोगों में देशभक्ति की भावना कम होती जा रही है. सिर्फ 15 अगस्त और 26 जनवरी पर ही तिरंगे को याद किया जाता है. लोगों में तिरंगे के प्रति सम्मान और देशभक्ति जगाने के लिए ही मैंने तिरंगा हाथ में उठाया है. जब भी तिरंगा हाथ में लेकर निकलता हूं तो मुझे गर्व महसूस होता है.

Tiranga Man of Haryana
घर से बाहर वो तिरंगा लेकर ही चलते हैं.

राजेश हिंदुस्तानी कहते हैं- जब मैंने तिरंगा उठाया था तो उसके कुछ साल बाद मेरी बुआ के बेटे की शादी थी. शादी का न्योता देने आए तो उन्होंने कहा कि झंडा उठाकर मत आना शादी में क्योंकि लोग पूछेंगे कि यह अजीब सनकी आदमी कौन है. बिना तिरंगा के शादी में आ जाना. मैंने उनसे कहा कि मैं और मेरी मां बिना तिरंगे के नहीं आएंगे. मैंने जवाब दिया कि जिनको अपने देश और तिरंगे से प्यार नहीं वह हमारे रिश्तेदार नहीं. इसके बाद अन्य खानदान और परिवार के लोगों से भी कटाव सा हो गया. सब हिकारत की नजर से देखते थे. मैंने भी सोच लिया था कि सबसे पहले मेरे लिए देश और तिरंगा है, बाद में रिश्तेदार है. इसके चलते सभी रिश्तेदार छूट गये.

हर घर तिरंगा मुहिम (Har Ghar Tiranga Campaign) को लेकर राजेश हिंदुस्तानी कहते हैं कि जब मैं तिरंगा लगाने के लिए कहता था तो लोग मुझे पागल कहते थे, लेकिन आज मुझे खुशी है कि हर कोई अपने घर पर तिरंगा लगा रहा है. राजेश हिंदुस्तानी पढ़ाई में ग्रेजुएट हैं. उन्होंने बताया कि पूरे दिन में 12 घंटे से ज्यादा तिरंगा उनके हाथ में ही रहता है. इस दौरान न तो वह कभी तिरंगे को गिरने देते हैं और न ही कभी अपमानित होने देते हैं. राजेश हिन्दुस्तानी कहते हैं कि जब तक उनके शरीर में प्राण रहेंगे तब तक वे तिरंगे को पूरे शान के साथ अपने हाथों में उठाए रहेंगे. शहीदों का जन्मदिन हो या बलिदान दिवस, वह सबसे पहले शहीद स्मारक स्थल पर पहुंचते हैं और सम्पूर्ण स्थल की साफ-सफाई करने के बाद माल्यार्पण करते हैं.

Tiranga Man of Haryana
राजेश हिंदुस्तानी समाजसेवी भी हैं.

समाज सेवा और मानवता को समर्पित संस्था 'जागो मानव-बनो इंसान' संस्था के अध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता राजेश हिन्दुस्तानी शहर के हर समाजिक मुद्दों को लेकर अधिकारियों तक पहुंचते हैं. पिछले 6 साल से भी ज्यादा समय से राजेश हिंदुस्तानी हिसार की महावीर कॉलोनी में स्थित जलघर के बाहर धरना दे रहे हैं. उनकी मांग है कि लोगों को साफ पानी सप्लाई किया जाए और समय-समय पर जल घर की सफाई होनी चाहिए.

हिसार: हरियाणा के हिसार जिले के रहने वाले तिरंगा प्रेमी राजेश हिंदुस्तानी का अंदाज अलग है. राजेश ने 19 नवंबर 2012 को रानी लक्ष्मीबाई के जन्मदिन पर अपने हाथ में तिरंगा उठाया था. पिछले 10 साल से वो लगातार हाथों में तिरंगा थामे हुए हैं. घर से बाहर जब भी निकलते हैं तो हाथ में तिरंगा लेकर निकलते हैं. इसके चलते राजेश को लोग तिरंगा मैन (Tiranga Man of Haryana) के नाम से जानने लगे हैं. इसकी वजह है अपने राष्ट्रध्वज के लिए उनकी बेपनाह मोहब्बत. राष्ट्र के सम्मान और तिरंगे की शान को वो अपने जीवन का मिशन बना चुके हैं.

शहीदों की विरासत संभाल रहा हूं- हाथ में तिरंगा लेकर चलने के पीछे की वजह बताते हुए राजेश हिंदुस्तानी (Tiranga Man Rajesh Hindustani) कहते हैं कि हमारे महान शहीदों ने देश की आजादी के लिए बड़ी कर्बानी दी है. अमर शहीदों की ये कुर्बानी हमारे ऊपर कर्ज है देश को संभालने के लिए. हमारा फर्ज है कि हम अपने शहीदों की विरासत को संभालें. लेकिन आजादी के बाद लोग अपने स्वार्थों में डूब गये. तिरंगा देखकर मेरे मन में अलग से रोमांच उठता है. ऐसा लगता है मेरा इससे कोई पिछले जन्म का रिश्ता है. ये तिरंगा देश की शान और शहीदों के अरमान का प्रतीक है. इसलिए मैं अपने साथ तिरंगा रखता हूं.

Haryana Tiranga Man 10 साल से हाथ मे तिरंगा लेकर चलते हैं हरियाणा के राजेश हिंदुस्तानी

अन्ना आंदोलन से शुरु किया हाथ में तिरंगा उठाना- राजेश हिंदुस्तानी कहते हैं कि उन्होंने सबसे पहले 2011 में अन्ना हजारे और योग गुरु रामदेव के आंदोलन में तिरंगा उठाया था. अन्ना की रैली में कई बार 24 घंटे तक तिरंगा अपने हाथ में थामे रखा. 2012 में अन्ना आंदोलन खत्म हो गया. उसके बाद तिरंगे से उन्हें अलग ही लगाव हो गया. उसके बाद नवंबर 2012 में देश की आन-बान-शान के लिए तिरंगे को लेकर यूपी, राजस्थान, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ व अन्य राज्यों की यात्रा की. कई राज्यों के गांवों व शहरों में जाकर उन्होंने राष्ट्रीयता की भावना, प्रेम व समाज सेवा से लोगों को जोड़ा. तिरंगे से उनका ये प्रेम देखकर उनका नाम राजेश कुमार से राजेश हिंदुस्तानी हो गया है.

लोग मेंटल और सनकी कहते हैं- राजेश हिंदुस्तानी कहते हैं कि शुरुआत में लोग उन्हें बिना किसी समारोह के तिरंगा हाथ में उठाए देखते तो पागल या सनकी कहते थे. लोग कहते थे कि यह मेंटल है इसका इलाज कराओ. कई बार तो लोगों ने गाड़ी में डालकर उन्हें दिमागी डॉक्टर के पास ले जाने की भी कोशिश की. हिंदुस्तानी ने बताया कि मैंने उन लोगों को समझाया कि मेरा दिमाग सही है. आपकी सोच खराब है. लोगों में देशभक्ति की भावना कम होती जा रही है. सिर्फ 15 अगस्त और 26 जनवरी पर ही तिरंगे को याद किया जाता है. लोगों में तिरंगे के प्रति सम्मान और देशभक्ति जगाने के लिए ही मैंने तिरंगा हाथ में उठाया है. जब भी तिरंगा हाथ में लेकर निकलता हूं तो मुझे गर्व महसूस होता है.

Tiranga Man of Haryana
घर से बाहर वो तिरंगा लेकर ही चलते हैं.

राजेश हिंदुस्तानी कहते हैं- जब मैंने तिरंगा उठाया था तो उसके कुछ साल बाद मेरी बुआ के बेटे की शादी थी. शादी का न्योता देने आए तो उन्होंने कहा कि झंडा उठाकर मत आना शादी में क्योंकि लोग पूछेंगे कि यह अजीब सनकी आदमी कौन है. बिना तिरंगा के शादी में आ जाना. मैंने उनसे कहा कि मैं और मेरी मां बिना तिरंगे के नहीं आएंगे. मैंने जवाब दिया कि जिनको अपने देश और तिरंगे से प्यार नहीं वह हमारे रिश्तेदार नहीं. इसके बाद अन्य खानदान और परिवार के लोगों से भी कटाव सा हो गया. सब हिकारत की नजर से देखते थे. मैंने भी सोच लिया था कि सबसे पहले मेरे लिए देश और तिरंगा है, बाद में रिश्तेदार है. इसके चलते सभी रिश्तेदार छूट गये.

हर घर तिरंगा मुहिम (Har Ghar Tiranga Campaign) को लेकर राजेश हिंदुस्तानी कहते हैं कि जब मैं तिरंगा लगाने के लिए कहता था तो लोग मुझे पागल कहते थे, लेकिन आज मुझे खुशी है कि हर कोई अपने घर पर तिरंगा लगा रहा है. राजेश हिंदुस्तानी पढ़ाई में ग्रेजुएट हैं. उन्होंने बताया कि पूरे दिन में 12 घंटे से ज्यादा तिरंगा उनके हाथ में ही रहता है. इस दौरान न तो वह कभी तिरंगे को गिरने देते हैं और न ही कभी अपमानित होने देते हैं. राजेश हिन्दुस्तानी कहते हैं कि जब तक उनके शरीर में प्राण रहेंगे तब तक वे तिरंगे को पूरे शान के साथ अपने हाथों में उठाए रहेंगे. शहीदों का जन्मदिन हो या बलिदान दिवस, वह सबसे पहले शहीद स्मारक स्थल पर पहुंचते हैं और सम्पूर्ण स्थल की साफ-सफाई करने के बाद माल्यार्पण करते हैं.

Tiranga Man of Haryana
राजेश हिंदुस्तानी समाजसेवी भी हैं.

समाज सेवा और मानवता को समर्पित संस्था 'जागो मानव-बनो इंसान' संस्था के अध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता राजेश हिन्दुस्तानी शहर के हर समाजिक मुद्दों को लेकर अधिकारियों तक पहुंचते हैं. पिछले 6 साल से भी ज्यादा समय से राजेश हिंदुस्तानी हिसार की महावीर कॉलोनी में स्थित जलघर के बाहर धरना दे रहे हैं. उनकी मांग है कि लोगों को साफ पानी सप्लाई किया जाए और समय-समय पर जल घर की सफाई होनी चाहिए.

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