नई दिल्ली : दिल्ली के बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के कारण बंद की गई सड़कों को एक तरफ से खोलने का काम प्रशासन द्वारा शुक्रवार को शुरू किया गया, लेकिन एक तरफ की सड़क को पूरी तरह से खोलने में अभी कई चुनौतियां हैं. दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पर टिके हरियाणा के किसानों का कहना है कि प्रशासन अपना काम कर रही है और वह अपना काम कर रहे हैं. किसानों का काम आंदोलन करना है और वह मांग माने जाने तक यही करते रहेंगे.
टीकरी बॉर्डर पर सड़क के दोनो तरफ पक्के मोर्चे,टेंट और ट्रैक्टर खड़े हैं, लेकिन इसके बावजूद किसानों ने गाड़ियों के आवाजाही के लिए रास्ते का एक हिस्सा अब तक साफ रखा है, जिसके कारण स्थानीय लोगों के साथ साथ मोर्चे में शामिल किसानों को भी गाड़ियों से आने जाने में कोई परेशानी नहीं होती है.
दिल्ली से बहादुरगढ़ जाने के लिए टिकरी मेट्रो स्टेशन से ठीक पहले वैकल्पिक रास्ते से भारी वाहन भी हरियाणा में प्रवेश करते रहे हैं, लेकिन दिल्ली को हरियाणा से जोड़ने वाली सीधी सड़क को खोलने के लिए कुछ पक्के मोर्चा को हटाने की जरूरत पड़ सकती है. किसान इसके लिए सहमत नहीं है, उनका कहना है कि कोई भी मोर्चा अपनी जगह से नहीं हटेगा और जितनी सड़क उन्होंने खाली छोड़ रखी है लोग उसी से आने जाने का काम कर सकते हैं.
टिकरी बॉर्डर पर पिछले 11 महीनों से टिके किसान यह मानते हैं, किसान आंदोलन के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन परेशानियों के लिए जिम्मेदार वह मोदी सरकार को ठहराते हैं.
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बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई थी. कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों द्वारा सड़कों को ब्लॉक करने पर नाराजगी जताई थी. कोर्ट ने कहा था कि लंबे वक्त तक ऐसे किसी रास्ते को बंद नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे आम लोगों को दिक्कत होती है. इसके बाद गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत ने अपने कुछ टेंट हटाकर यह दिखाने की कोशिश की थी कि रास्ता किसानों ने नहीं बल्कि पुलिस ने बैरिकेड लगाकर बंद किया हुआ है. टिकैत के उसी आरोप के बाद अब पुलिस ने पहले टिकरी और अब गाजीपुर से बैरिकेड हटाने शुरू किए हैं.