नर्मदापुरम। टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान के हजार बार चेताने के बाद भी शिकारी समझने का नाम नहीं ले रहे हैं. ताजा मामला पीएम के हाथों सफल प्रबंधन का पुरुस्कार पाने वाले पार्क का है, जहां पर अब शिकारियों का खतरा मंडराने लगा है. प्रदेश के सबसे बेहतरीन सफल टाइगर रिजर्व(सतपुड़ा टाइगर रिजर्व) की सुरक्षा अब भगवान भरोसे है. दरअसल रविवार को हुए टाइगर की मौत के बाद प्रबंधन को जानकारी देने में 5 दिन लग गए कि टाइगर का शिकार हुआ था, जबकि शिकारियों ने बाघ का शिकार उसका सिर और प्राइवेट पार्ट काटकर किया है.
जानकारी लगने के बाद आनन-फानन में एसटीआर प्रबंधन ने प्रोटोकाल के तहत बाघ का पोस्टमार्टम कर उसे जला दिया था, वहीं 5 दिन बीत जाने के बाद प्रबंधन के वरिष्ठ अधिकरी मामले को लेकर कन्नी काटते नजर आ रहे हैं. बताया जा रहा है कि प्रबंधन को आशंका है कि जादू टोने के चलते बाघ के सिर और प्राइवेट पार्ट को शिकारी काट कर ले गए हैं.
![hunters took away head and private part of tiger after killing](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/30-06-2023/mphos01strtigarshikarmp10062_29062023213303_2906f_1688054583_136.jpg)
अधिकारी नहीं दे पाए जानकारी: दरअसल सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (एसटीआर) क्षेत्र की चूरना रेंज में गश्त के दौरान एक बाघ की मौत की जानकारी बीट गार्डों को लगी, जिसकी सूचना सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई. बाघ की मौत चूरना रेंज में डबरा बीट में हुई थी, प्रबंधन ने मौके पर पहुंचकर मुआयना किया. इस दौरान डॉग स्कॉट द्वारा सर्च ऑपरेशन भी चलाया गया, लेकिन किसी प्रकार की जानकारी नहीं लग पाई कि बाघ की मौत कैसे हुई. प्रबंधन द्वारा यह स्पष्ट किया गया कि बाघ की मौत करीब 5 से 7 दिन पहले हुई है, बाघ का शरीर पानी की वजह से काफी गल गया था. एसटीआर प्रबंधन एवं एनटीसीए की टीम ने प्रोटोकॉल के तहत बाघ का पोस्टमार्टम कर उसे जला दिया, वही करीब 5 दिन बीत जाने के बाद भी अधिकारी इस बात की जानकारी नहीं दे पाए कि बाघ का शिकार हुआ है या नहीं.
![Satpura Tiger Reserve](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/30-06-2023/18879419_f.png)
बाघ का सिर और प्राइवेट पार्ट मिला गायब: एसटीआर क्षेत्र में कहीं न कहीं शिकारी भी शक्रिय हैं, बीट गार्डों द्वारा लगातार गश्त नहीं होने के चलते शिकारी पार्क में घुसकर शिकार कर चले जाते हैं. यह इस बात से पता चलता है कि बाघ की मौत 5 से 7 दिन पहले हुई थी, जिसकी जानकारी बीट गार्डों को बाद में लगी. अगर लगातार पार्क क्षेत्र में गश्त दी जाती तो जानकारी पहले लग सकती थी और बाघ की मौत नहीं होती, वहीं क्षेत्र में लगातार बारिश होने के चलते भी डॉग स्क्वायड भी शिकारियों का पता नहीं कर पाया, क्योंकि बारिश के चलते शिकार के 5 दिनों में साक्ष्य मिट गए. अब बाघ की मौत के बाद का शिकार होने की पुष्टि करने में 5 दिन लग गए जबकि बाघ का सिर और प्राइवेट पार्ट पहले से ही गायब था.
जादू टोने के चलते बाघ के शिकार की आशंका: वहीं पूरे मामले को लेकर फील्ड डायरेक्टर एल कृष्णमूर्ति से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका नंबर नहीं लग सका. वही डिप्टी डायरेक्टर संदीप फेलोज़ ने बताया कि "बाघ का शिकार हुआ है, उसका शव 5 से 7 दिन पुराना था, जिसे प्रोटोकॉल के तहत पोस्टमार्टम कर जला दिया गया था. मौके पर टाइगर का सर नहीं मिला था, बाघ के चारों पैर एवं पूंछ सुरक्षित है. आशंका है कि जादू टोना करने वालों ने ही इस बाघ का शिकार किया होगा. बारिश की कारण टाइगर की बॉडी पूरी तरह पानी में गल चुकी थी. फिलहाल बीट गार्ड लगातार गश्त कर रहे हैं, पार्क क्षेत्र बहुत बड़ा है."