मौसुनी (प. बंगाल) : पश्चिम बंगाल में बंगाल की खाड़ी की लास्ट आउटपोस्ट मौसुनी द्वीप के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. पूरे मौसुनी द्वीप में अब चारों तरफ से बड़ी-बड़ी लहरों के कारण पानी भरने लगा है. इन ज्वारभाटाओं के कारण पर्यटन, व्यापारियों से लेकर स्थानीय निवासियों तक सभी प्रभावित हो रहे हैं. यहां तक कि कुछ कॉटेज भी ज्वार के पानी से बह गए हैं. खासतौर पर इस टूरिज्म सीजन में इसका असर कुटीर मालिकों पर पड़ रहा है.
जानकारी के मुताबिक, दक्षिण 24 परगना जिले के नामखाना ब्लॉक में मौशुनी द्वीप सबसे अधिक मांग वाले स्थलों में से एक है. मौसुनी द्वीप गर्मियों के दौरान बंगालियों द्वारा चुने गए उन पसंदीदा समुद्र तटों में से एक है. चक्रवात और कोविड-19 महामारी पर काबू पाने के बाद, व्यापारियों ने पर्यटकों की आमद के साथ सामान्य लय में लौटना शुरू कर दिया था. लेकिन सोमवार को सागर की बड़ी-बड़ी लहरें द्वीप की ओर बढ़ने लगीं, जिससे यहां के कॉटेज समेत कई इलाकों में पानी भर गया है.
हालांकि, द्वीप पर पानी को आने से रोकने के लिए बांध पर काम पहले ही शुरू हो चुका है, लेकिन अभी भी इस बात को लेकर संशय बना हुआ है कि यह उन बड़ी-बड़ी लहरों के सामने कितना टीक सकता है. बांध का निर्माण छोटी-छोटी लहरों के दौरान बनना शुरू होता है, लेकिन फिर बड़ी लहरों से ये दोबारा डूब जाता है. इस प्राकृतिक आपदा से निबटने के लिए एकमात्र उपाय कंक्रीट का बांध है.