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Barabanki की पूजा के थ्रेसर मॉडल को मिला Inspire Award, यूपी से अकेले हासिल की उपलब्धि

बाराबंकी की पूजा का थ्रेसर (Thresher of Barabanki Pooja) पूरे देश में मचाएगा. उनके थ्रेसर के मॉडल को नई दिल्ली में इंस्पायर अवार्ड (Inspire Award 2023) से सम्मानित किया गया है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 12, 2023, 8:27 AM IST

बाराबंकीः जिले के एक गांव की रहने वाली कक्षा 10 की छात्रा पूजा ने पूरे देश मे नाम रोशन किया है. घर के कबाड़ से पूजा ने थ्रेसर का एक बेहतरीन मॉडल (Thresher of Barabanki Pooja) बना डाला. इसे न केवल बड़े बड़े वैज्ञानिकों ने सराहा बल्कि बुधवार को उसे नई दिल्ली में इंस्पायर अवार्ड (Inspire Award 2023) से भी सम्मानित भी किया गया. यूपी की ये अकेली स्टूडेंट है जिसके मॉडल को इंस्पायर्ड एवार्ड मिला है.

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छात्रा के मॉडल को मिला सम्मान.

ऐसे मिला थ्रेसर का मॉडल बनाने का आइडिया: बताते चलें कि दो वर्ष पूर्व बाराबंकी के सिरौलीगौसपुर विकासखंड के उच्च प्राथमिक विद्यालय अगेहरा में कक्षा आठ में पढ़ने वाली पूजा पास के ही डलईपुरवा गांव की रहने वाली है. पिता पुत्तीलाल दिहाड़ी मजदूर हैं तो माता सुनीला प्राथमिक विद्यालय अगेहरा में रसोइया हैं. पूजा बचपन से ही अपने गांव में खेती किसानी देखा करती थी. एक दिन वो उस वक्त बहुत विचलित हो उठी जब उसके गांव में गेहूं की कटाई के लिए चल रहे थ्रेशरों से धूल उड़ते देखी. वह धूल न केवल आंखों में लग रही थी बल्कि नाक तक पहुंचकर खांसी भी पैदा कर रही थी.बस उसी दिन से उसका दिमाग इस धूल से बचाव के तरीके खोजने में लग गया.

बना डाला अनोखा थ्रेशर: दरअसल थ्रेशर कृषि कार्य मे उपयोग होने वाला एक ऐसा यंत्र है जिससे गेहूं की मड़ाई की जाती है. डंठल समेत गेहूं की बालियां थ्रेशर में डाली जाती है. थ्रेशर में लगे प्रोपेलर उसको काट डालते हैं. गेंहू नीचे गिर जाता है और भूसा अलग हो जाता है जबकि इस दौरान जबरदस्त धूल उड़ती है. यही धूल पर्यावरण को प्रदूषित करती है. पूजा का दिमाग इसी पर लगा था और फिर एक दिन उसने घर का कबाड़ इकट्ठा किया. कुछ और जरूरी सस्ते सामान खरीदे और फिर थ्रेशर का एक ऐसा मॉडल बना डाला जिसकी धूल उड़ती नही थी. उसने अपने शिक्षक राजीव श्रीवास्तव को जब यह मॉडल दिखाया तो वे बहुत प्रभावित हुए लेकिन उसमें तमाम कमियों को देख उन्होंने उन कमियों में सुधार कराया और फिर इस तरह थ्रेशर का एक ऐसा मॉडल सामने आया जिसने सबको हैरान कर दिया.

प्रदूषणरहित है ये थ्रेशर: इस अनोखे थ्रेशर में भूसा अलग होगा, गेहूं अलग इकट्ठा होगा. साथ ही धूल अलग इकट्ठा हो होगी. इस धूल को खाद के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

ऐसे मिला इंस्पायर अवार्ड: भारत सरकार का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग कक्षा 6 से 10 तक के स्टूडेंट्स द्वारा किये जाने वाले नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए इंस्पायर अवार्ड योजना चलाती है. योजना के तहत जिले भर के स्टूडेंट्स अपने-अपने मॉडल का प्रदर्शन करते हैं. उनमें से कुछ स्पेशल मॉडल सेलेक्ट किये जाते हैं फिर मंडल स्तर पर होने वाली प्रतियोगिता में स्टूडेंट्स अपने इन्ही मॉडलों का प्रदर्शन करते हैं. मंडल स्तर पर कुछ मॉडल चयनित किये जाते हैं जो प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता में प्रदर्शित किए जाते हैं.

प्रदेश स्तर पर महज 10 टॉप मॉडल सेलेक्ट किए जाते हैं. पूजा के शिक्षक राजीव श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में पूजा का मॉडल प्रदेश की प्रतियोगिता में चयनित हो गया.उसके बाद इस मॉडल को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भेजा गया. वर्ष 2021-22 की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में पूजा के मॉडल की जमकर तारीफ हुई और इसे राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चुन लिया गया.छात्रा पूजा अब कक्षा 10 में पहुंच गई है. दो दिन पूर्व यानी 09 अक्टूबर से 03 दिवसीय राष्ट्रीय प्रतियोगिता की शुरुआत नई दिल्ली में हुई. पूजा अपने गाइड टीचर के साथ दिल्ली पहुंचीं. नौ और दस अक्टूबर को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में मॉडलों की एक्जीबिशन लगी. इसमे देश भर के सभी 36 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के कक्षा 06 से 10 तक के 441 स्टूडेंट्स अपने मॉडल के साथ पहुंचे थे.

इनमे वैज्ञानिकों ने बेस्ट 60 मॉडलों का चयन किया. बुधवार को विज्ञान भवन में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के केंद्रीय राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ जितेंद्र सिंह ने इन मॉडलों को सम्मानित किया. इसमें पूजा और उसके गाइड टीचर राजीव श्रीवास्तव को भी सम्मानित किया गया. पूजा उत्तर प्रदेश की अकेली स्टूडेंट है जिसे यह सम्मान हासिल हुआ है.


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बाराबंकीः जिले के एक गांव की रहने वाली कक्षा 10 की छात्रा पूजा ने पूरे देश मे नाम रोशन किया है. घर के कबाड़ से पूजा ने थ्रेसर का एक बेहतरीन मॉडल (Thresher of Barabanki Pooja) बना डाला. इसे न केवल बड़े बड़े वैज्ञानिकों ने सराहा बल्कि बुधवार को उसे नई दिल्ली में इंस्पायर अवार्ड (Inspire Award 2023) से भी सम्मानित भी किया गया. यूपी की ये अकेली स्टूडेंट है जिसके मॉडल को इंस्पायर्ड एवार्ड मिला है.

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छात्रा के मॉडल को मिला सम्मान.

ऐसे मिला थ्रेसर का मॉडल बनाने का आइडिया: बताते चलें कि दो वर्ष पूर्व बाराबंकी के सिरौलीगौसपुर विकासखंड के उच्च प्राथमिक विद्यालय अगेहरा में कक्षा आठ में पढ़ने वाली पूजा पास के ही डलईपुरवा गांव की रहने वाली है. पिता पुत्तीलाल दिहाड़ी मजदूर हैं तो माता सुनीला प्राथमिक विद्यालय अगेहरा में रसोइया हैं. पूजा बचपन से ही अपने गांव में खेती किसानी देखा करती थी. एक दिन वो उस वक्त बहुत विचलित हो उठी जब उसके गांव में गेहूं की कटाई के लिए चल रहे थ्रेशरों से धूल उड़ते देखी. वह धूल न केवल आंखों में लग रही थी बल्कि नाक तक पहुंचकर खांसी भी पैदा कर रही थी.बस उसी दिन से उसका दिमाग इस धूल से बचाव के तरीके खोजने में लग गया.

बना डाला अनोखा थ्रेशर: दरअसल थ्रेशर कृषि कार्य मे उपयोग होने वाला एक ऐसा यंत्र है जिससे गेहूं की मड़ाई की जाती है. डंठल समेत गेहूं की बालियां थ्रेशर में डाली जाती है. थ्रेशर में लगे प्रोपेलर उसको काट डालते हैं. गेंहू नीचे गिर जाता है और भूसा अलग हो जाता है जबकि इस दौरान जबरदस्त धूल उड़ती है. यही धूल पर्यावरण को प्रदूषित करती है. पूजा का दिमाग इसी पर लगा था और फिर एक दिन उसने घर का कबाड़ इकट्ठा किया. कुछ और जरूरी सस्ते सामान खरीदे और फिर थ्रेशर का एक ऐसा मॉडल बना डाला जिसकी धूल उड़ती नही थी. उसने अपने शिक्षक राजीव श्रीवास्तव को जब यह मॉडल दिखाया तो वे बहुत प्रभावित हुए लेकिन उसमें तमाम कमियों को देख उन्होंने उन कमियों में सुधार कराया और फिर इस तरह थ्रेशर का एक ऐसा मॉडल सामने आया जिसने सबको हैरान कर दिया.

प्रदूषणरहित है ये थ्रेशर: इस अनोखे थ्रेशर में भूसा अलग होगा, गेहूं अलग इकट्ठा होगा. साथ ही धूल अलग इकट्ठा हो होगी. इस धूल को खाद के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

ऐसे मिला इंस्पायर अवार्ड: भारत सरकार का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग कक्षा 6 से 10 तक के स्टूडेंट्स द्वारा किये जाने वाले नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए इंस्पायर अवार्ड योजना चलाती है. योजना के तहत जिले भर के स्टूडेंट्स अपने-अपने मॉडल का प्रदर्शन करते हैं. उनमें से कुछ स्पेशल मॉडल सेलेक्ट किये जाते हैं फिर मंडल स्तर पर होने वाली प्रतियोगिता में स्टूडेंट्स अपने इन्ही मॉडलों का प्रदर्शन करते हैं. मंडल स्तर पर कुछ मॉडल चयनित किये जाते हैं जो प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता में प्रदर्शित किए जाते हैं.

प्रदेश स्तर पर महज 10 टॉप मॉडल सेलेक्ट किए जाते हैं. पूजा के शिक्षक राजीव श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में पूजा का मॉडल प्रदेश की प्रतियोगिता में चयनित हो गया.उसके बाद इस मॉडल को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भेजा गया. वर्ष 2021-22 की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में पूजा के मॉडल की जमकर तारीफ हुई और इसे राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चुन लिया गया.छात्रा पूजा अब कक्षा 10 में पहुंच गई है. दो दिन पूर्व यानी 09 अक्टूबर से 03 दिवसीय राष्ट्रीय प्रतियोगिता की शुरुआत नई दिल्ली में हुई. पूजा अपने गाइड टीचर के साथ दिल्ली पहुंचीं. नौ और दस अक्टूबर को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में मॉडलों की एक्जीबिशन लगी. इसमे देश भर के सभी 36 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के कक्षा 06 से 10 तक के 441 स्टूडेंट्स अपने मॉडल के साथ पहुंचे थे.

इनमे वैज्ञानिकों ने बेस्ट 60 मॉडलों का चयन किया. बुधवार को विज्ञान भवन में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के केंद्रीय राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ जितेंद्र सिंह ने इन मॉडलों को सम्मानित किया. इसमें पूजा और उसके गाइड टीचर राजीव श्रीवास्तव को भी सम्मानित किया गया. पूजा उत्तर प्रदेश की अकेली स्टूडेंट है जिसे यह सम्मान हासिल हुआ है.


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