पालनपुर : गुजरात सरकार के आश्रय गृहों को चलाने के लिए 500 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देने में विफल रहने के विरोध में 200 से अधिक पंजरापोल (गाय आश्रय गृह) ट्रस्टियों ने हजारों गायों को छोड़ दिया जिसके बाद शुक्रवार को उत्तरी गुजरात राजमार्गों पर यातायात जाम हो गया (protest with cows at National Highway). कुछ पशु नेशनल हाईवे पर बैठ गए तो कुछ सरकारी दफ्तरों तक पहुंच गए. बनासकांठा पुलिस ने कुछ संचालकों को हिरासत में लिया है. हालांकि राज्य सरकार की इस मद्दे को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
दो दिवसीय विधानसभा सत्र के दौरान सरकार के प्रवक्ता जीतू वाघानी ने कहा था कि, हम हर पशुपालक की चिंता करते हैं. सत्र के दूसरे दिन गौशाला संचालकों ने पशुओ को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. जिसके कारण हाईवे, सरकारी दफ्तर और पालिकाओं और कचेहरियों पर पशुओं का जमावड़ा देखने को मिला. संचालकों ने थोड़ा चारा रास्ते और सरकारी दफ्तर की ओर डालने के बाद पशुओं को खुला छोड़ दिया. इससेडीसा-राधनपुर से होकर राजस्थान की ओर जानेवाला हाईवे ब्लाक हो गया.
हाईवे से गुजरने वाले वाहन चालकों को परेशानी उठानी पड़ी. बाद में पुलिस ने पशुओं को खदेड़ा और यातायात सुचारु कराया. बनासकांठा पंजरापोल के ट्रस्टी किशोर दवे ने मीडिया को बताया कि पिछले 15 दिनों से ट्रस्टी विरोध कर रहे हैं और वर्ष 2022-23 के लिए राज्य के बजट में किए गए वादे के अनुसार वित्तीय सहायता की मांग कर रहे हैं. बनासकांठा में अकेले करीब 4.5 लाख गायों को आश्रय देने वाले 1,500 पंजरापोल हैं. 170 पंजरापोल आश्रय में 80,000 गाय हैं.
पंजरापोल ट्रस्ट को उन्हें खिलाने के लिए प्रतिदिन प्रति मवेशी 60 से 70 रुपये का खर्च वहन करना पड़ता है. कोविड के बाद, पंजरापोल को दिया जाने वाला दान कम हो गया है, और धन के बिना आश्रय गृह चलाना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार जल्द से जल्द राशि जारी नहीं करती है तो आंदोलन उग्र रूप ले लेगा.
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