चंडीगढ़: कोरोना की दूसरी लहर (second wave of coronavirus) कम होती जा रही है और केस भी कम हो रहे हैं, लेकिन अब लोगों के मन में कोरोना की तीसरी को लेकर चिंता बनी हुई. तीसरी लहर (third wave of coronavirus) को लेकर वैज्ञानिकों की तरफ से लगातार ये कहा जा रहा है कि तीसरी लहर बच्चों को ज्यादा प्रभावित करेगी. इसी पर ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने चंडीगढ़ पीजीआई के वरिष्ठ डॉक्टर सोनू गोयल से बात की. डॉ. सोनू गोयल ने जो कहा वो काफी हैरान करने वाला था.
डॉ. सोनू गोयल ने बताया कि तीसरी लहर का बच्चों पर काफी कम असर पड़ेगा. उन्होंने इसके पीछे ये तर्क दिया कि बच्चों की इम्यूनिटी बड़ों के मुकाबले ज्यादा मजबूत होती है. उनके फेफड़े ग्रोइंग स्टेज पर होते हैं, जिससे कोरोना के लिए उन्हें संक्रमित करना काफी मुश्किल होगा.
इसके अलावा, डॉक्टर गोयल ने और तर्क दिया. उन्होंने कहा कि बच्चों में डायबिटीज, हाइपरटेंशन और ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियां भी बेहद कम देखने को मिलती हैं. जिस वजह से कोरोना बच्चों पर उतना असर नहीं डाल पाएगा. उन्होंने कहा कि अगर तीसरी लहर आती है तो इसका ज्यादा बड़े लोगों पर ही पड़ेगा.
तीसरी लहर से कैसे निपटेंगे?
डॉ. सोनू गोयल ने बताया कि दो बातें सबसे जरूरी हैं. एक तो लोग पौष्टिक खाना खाएं, जंक फूड बिलकुल ना खाएं, क्योंकि जंक फूड खाने से हमारी इम्यूनिटी कमजोर होती है और अब लोग ये समझ चुके हैं कि कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी ही सबसे बड़ा हथियार है. इसलिए पौष्टिक खाना खाएं और योगा या अन्य एक्सरसाइज जरूर करें. जिससे शरीर भी स्वस्थ होगा और शरीर में ऑक्सीजन का स्तर भी बना रहेगा.
तीसरी लहर को लेकर दो विचारधाराएं
डॉ. सोनू गोयल ने बताया कि तीसरी लहर को लेकर चेतावनी तो जारी कर दी गई है, लेकिन वैज्ञानिकों की दो विचारधाराएं बनी हुई हैं. एक विचारधारा कहती है कि तीसरी रहे दूसरी लहर से भी ज्यादा खतरनाक हो सकती है. क्योंकि कोरोना अपना स्वरूप बदल चुका है जबकि दूसरी विचारधारा ये कहती है कि तीसरी लहर ज्यादा खतरनाक साबित नहीं होगी. क्योंकि लोगों में इम्यूनिटी का स्तर बढ़ रहा है और लोग वैक्सीनेशन भी करवा रहे हैं.
डॉक्टर ने बताया कि तीसरी लहर को लेकर सरकार कोई रिस्क नहीं ले रही है. तीसरी लहर के शुरू होने से पहले अपना इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह से मजबूत करना होगा. अस्पतालों में बेड्स की संख्या बढ़ानी होगी. ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ानी होगी. इसके अलावा सरकार की ओर से बच्चों के अलग से अस्पताल भी बनवाए जा रहे हैं.