नई दिल्ली: संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरूआत हो चुकी है. यह बहस 10 अगस्त तक चलेगी. अविश्वास प्रस्ताव पर कांग्रेस की तरफ से बोलते हुए, गौरव गोगोई ने जहां सरकार को मणिपुर के मुद्दे पर जमकर घेरा, तो वहीं भाजपा के निशिकांत दुबे ने विपक्ष को घेरते हुए राहुल गांधी पर ये टिपण्णी कर दी कि उन्हें लगा था कि आज राहुल बोलेंगे, मगर शायद वो सुबह देर से उठे होंगे, इसलिए नहीं बोल रहे हैं.
इस पर जमकर सत्तापक्ष और विपक्ष में तूतू-मैंमैं हुई. वही श्रीकांत शिंदे ने तो संसद में हनुमान चालीसा तक पढ़ डाली. इसी मुद्दे पर ईटीवी भारत से बात करते हुए, बीजेपी सांसद हरनाथ सिंह यादव ने कहा कि लोकतंत्र में सहमति और असहमति बनी रहती है. पीएम मोदी ने 2018 में ही कह दिया था कि विपक्ष एक बार फिर 2023 में अविश्वास प्रस्ताव लाएगा. ये तो कोई अबोध बालक भी बता देगा कि बीजेपी की प्रचंड बहुमत के सामने उनके प्रस्ताव का कुछ भी नहीं हो सकता. इस सवाल पर कि 9 साल में सरकार को 2 बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा, क्या विपक्ष की भी नहीं सुनी जानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि एक तरफ राज परिवार और परिवारवाद है, जहां करोड़ों के बीच ये लोग खेल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ मोदी जी एक पिछड़े परिवार से, तेली समाज से आते हैं, जो चाय बेचा करते थे, ऐसे में विपक्ष को परेशानी हो रही कि कोई ऐसे कैसे प्रधानमंत्री बन सकता है. भाजपा सांसद ने कहा कि संसद के अंदर एक मान मर्यादा होती है, मगर वो संसद को ठप कर देते हैं. राहुल के पास बोलने का कोई चिंतन ही नहीं, यहां तक कि विदेशी नेताओं ने तक कह दिया कि राहुल को सरकार चलाने का कोई अनुभव नहीं है.
उन्होंने कहा कि पीएम का पूरी दुनिया लोहा मान रही है. भारत की ओर आंख उठाकर नहीं देख रही है. वहीं विपक्ष सरकार पर उंगली उठा रहा है. राहुल गांधी अपने आप को इस देश का और इस मिट्ठी का मानते ही नहीं. वो तो भारत में आतंकवादियों को सजा से बचाने के लिए आधी रात में कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं. उन्होंने कहा कि पहली पटखनी तो उन्हें दिल्ली सेवा बिल में ही मिल गई, उनके पास कुछ भी नहीं. वहां तो सभी के दावेदार जनाब नीतीश जी फड़फड़ा रहे है. सभी आपस में लड़ रहे हैं.