नई दिल्ली : पूर्व राजदूत अशोक सज्जनहार ने कहा कि इस्लामाबाद को आमंत्रित करने का संयुक्त राज्य अमेरिका का निर्णय एक प्रकार का गाजर है जिसे पाकिस्तान के सामने फेंक दिया गया है. संयुक्त राज्य अमेरिका पाकिस्तान को अच्छे मौज में रखना चाहता है, इसलिए उन्होंने निमंत्रण को आगे बढ़ाया है. जबकि पहले आमंत्रित नहीं किया गया था.
सज्जनहर ने ईटीवी भारत को बताया कि वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए पाकिस्तान की उपयोगिता 11 सितंबर तक अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी के कारण है. इसलिए यह इस संदर्भ में है कि संयुक्त राज्य अमेरिका को कुछ हद तक पाकिस्तान की आवश्यकता है. अन्यथा पाकिस्तान में भी 20 करोड़ से अधिक की आबादी है. इस अर्थ में पाकिस्तान दुनिया में प्रदूषण के लिए सबसे बड़ा योगदानकर्ता है और ग्रीन एनर्जी के लिए उसको प्रतिबद्धता की भी आवश्यकता होगी. क्योंकि हम जलवायु संकट से निपटने के मामले में आगे बढ़ रहे हैं.
बाइडेन ने पहले पाकिस्तान की अनदेखी की और जलवायु परिवर्तन पर अपनी सरकार के पहले शिखर सम्मेलन में उन्हें आमंत्रित करने से परहेज किया. राष्ट्रपति बाइडेन ने 40 विश्व नेताओं को क्लाइमेट ऑन लीडर्स समिट में आमंत्रित किया था. जिसमें भारत सहित बांग्लादेश व भूटान का भी नाम शामिल है. बाइडेन प्रशासन के इस निर्णय ने भौंहें चढ़ा दीं क्योंकि देश जलवायु परिवर्तन की चपेट में है और पाकिस्तान को 10 सबसे कमजोर देशों में से एक के रूप में स्थान दिया गया है.
सज्जनहार ने कहा कि यह व्यापक संदर्भ के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में भी है. संयुक्त राज्य अमेरिका पाकिस्तान को हरियाली ऊर्जा की दिशा में योगदान देने के लिए उनके अच्छे कार्यालयों का उपयोग करेगा ताकि तालिबान से दूर उनके सैनिकों की वापसी शांतिपूर्ण हो.
जलवायु परिवर्तन पर पाकिस्तान के विशेष सहायक को संबोधित पत्र में कहा गया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति की ओर से जलवायु पर आभासी शिखर सम्मेलन में एक विशिष्ट वक्ता होने के लिए आमंत्रित करने पर हमारी खुशी है. हम जलवायु परिवर्तन और लचीलापन पर केंद्रित चर्चा में 22 अप्रैल को अन्य मंत्रियों और नेताओं से शामिल होने के लिए कहना चाहेंगे. अमेरिका ने जलवायु संकट पर पाक के साथ काम करने की इच्छा जताई है.
वहीं ORF के निदेशक प्रोफेसर हर्ष वी पंत ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि पाकिस्तान नागरिक प्राधिकरण को और अधिक अपमानित नहीं किया जा सकता है. क्योंकि इस समय पाकिस्तान आर्थिक, सामाजिक या राजनीतिक रूप से बहुत सारी चुनौतियों का सामना कर रहा है.
ऐसा लगता है कि पाकिस्तान में जमीन पर जो कुछ हो रहा है वह नागरिक अधिकारों का पतन है. इसलिए स्थिति से उबारने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका ने फैसला किया है कि नागरिक सरकार की वैधता को बनाए रखना महत्वपूर्ण है. पाकिस्तान को आमंत्रित करते समय निश्चित रूप से अफगानिस्तान का मुद्दा भी उनके दिमाग में रहा होगा.
अफगानिस्तान अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है क्योंकि यह अफगानिस्तान से हटने की तैयारी कर रहा है. जहां संभावित रूप से पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान एक अस्थिर भूमिका निभाता है. इसलिए हो सकता है कि अमेरिका पाक अधिकारियों के साथ काम करे और उनके साथ एक संबंध विकसित करे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे अफगानिस्तान को स्थिर करने की दिशा में अमेरिका के साथ काम करने के लिए राजी हैं.
अफगानिस्तान अमेरिका-पाकिस्तान जलवायु सहयोग का केंद्र हो सकता है. इसके अलावा वाशिंगटन का मानना है कि काबुल और इस्लामाबाद के बीच बेहतर संबंध अफगानिस्तान में शांति की संभावनाओं को बढ़ाते हैं. इससे पहले पाकिस्तान की चूक पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक ट्वीट में कहा था कि मैं पाक में कैकोफोनी पर हैरान हूं कि इसे जलवायु परिवर्तन के लिए आमंत्रित नहीं किया जा रहा है! जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए स्वच्छ और हरित पाकिस्तान की हमारी भावी पीढ़ियों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता से ही मेरी सरकार की पर्यावरण नीतियां संचालित होती हैं.
व्हाइट हाउस द्वारा जारी बयान के अनुसार राष्ट्रपति बाइडेन ने संयुक्त राज्य अमेरिका को पेरिस समझौते को वापस करने के लिए कार्यालय में अपने पहले दिन की कार्रवाई की. उन्होंने घोषणा की है कि वह जलवायु संकट से निपटने के लिए प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं द्वारा प्रयासों को फिर से शुरू करने के लिए जल्द ही एक सम्मेलन आयोजित करेंगे.
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जलवायु पर लीडर्स समिट ने मजबूत जलवायु कार्रवाई की है जो आर्थिक लाभ को रेखांकित करेगा. नवंबर में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन ग्लास्गो में होगा जो (COP26) के लिए महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा.