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ULFA Govt Peace Talk: लोकसभा चुनाव से पहले असम का उग्रवादी समूह उल्फा शांति समझौते पर हस्ताक्षर के बाद भंग हो जाएगा - ULFA problem in Assam

असम का उग्रवादी समूह उल्फा लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार के साथ शांति समझौता करने के साथ ही भंग हो जाएगा. इस बारे में उल्फा के महासचिव अनूप चेतिया (ULFA General Secretary Anoop Chetia) ने यह जानकारी ईटीवी भारत को दी. पढ़िए पूरी खबर... ULFA will be officially dissolved, ULFA in Assam

ULFA General Secretary Anoop Chetia
उल्फा महासचिव अनूप चेतिया
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 26, 2023, 3:07 PM IST

गुवाहाटी : उग्रवादी समूह उल्फा (प्रो) आगामी लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार के साथ शांति समझौता करने के बाद आधिकारिक तौर पर भंग हो जाएगा. राज्य के काजीरंगा के कोहोरा में आयोजित सामान्य परिषद की बैठक के बाद उल्फा महासचिव अनूप चेतिया (ULFA General Secretary Anoop Chetia) ने ईटीवी भारत से यह बात कही. बुधवार रात बैठक के बाद चेतिया ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि उल्फा-सरकार के बीच शांति वार्ता प्रक्रिया पूरी तरह से प्रगति पर है.

उन्होंने कहा कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. सामान्य परिषद की बैठक की अध्यक्षता उग्रवादी संगठन के वार्ता समूह के अध्यक्ष अरविंद राजखोवा ने की और इसमें 200 से अधिक सदस्यों ने भाग लिया. इस दौरान जनरल काउंसिल ने शांति प्रक्रिया को लेकर कुछ बड़े फैसलों पर मुहर लगाई. साथ ही बताया गया कि जनरल काउंसिल द्वारा अनुमोदित भारत सरकार और असम सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर के एक महीने बाद उल्फा भंग हो जाएगा.

संगठन के आधिकारिक विघटन के बाद, इन मौजूदा उल्फा नेताओं और सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से किसी भी पार्टी या संगठन में शामिल होने और अन्य गतिविधियों की पूरी आजादी होगी. दूसरी तरफ इस समय असम में राजनीतिक चर्चा का विषय बना हुआ है कि शांति समझौते पर हस्ताक्षर के बाद उल्फा की विदेश सचिव साशा चौधरी सहित कई उल्फा नेता एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल में शामिल होंगे. हालांकि उन्होंने अभी तक इस बात से इनकार नहीं किया है.

इस बारे में उल्फा महासचिव अनूप चेतिया ने कहा कि चूंकि उल्फा-सरकार वार्ता अंतिम चरण में है और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि समझौते के एक महीने बाद उल्फा आधिकारिक तौर पर भंग हो जाएगा. बैठक में मसौदे पर विस्तार से चर्चा की गई और उल्फा की महासभा द्वारा अनुमोदित किया गया.

बैठक में कार्य परिषद के सहयोग से केंद्रीय समिति को त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर करने का अधिकार भी दिया गया. बता दें कि स्वतंत्र असम के लक्ष्य के साथ 1979 में स्थापित उल्फा, अभी भी अपने सेना प्रमुख परेश बरुआ द्वारा म्यांमार के जंगल से एक गैर-वार्ता समूह का संचालन कर रहा है. इसे उल्फा (स्वतंत्र) गैर-बातचीत समूह कहा जाता है, हालांकि वे अब तक नए सदस्यों की भर्ती की कोशिश कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें - Security Review Meet : असम के आठ आदिवासी आतंकवादी समूहों के साथ समझौता

गुवाहाटी : उग्रवादी समूह उल्फा (प्रो) आगामी लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार के साथ शांति समझौता करने के बाद आधिकारिक तौर पर भंग हो जाएगा. राज्य के काजीरंगा के कोहोरा में आयोजित सामान्य परिषद की बैठक के बाद उल्फा महासचिव अनूप चेतिया (ULFA General Secretary Anoop Chetia) ने ईटीवी भारत से यह बात कही. बुधवार रात बैठक के बाद चेतिया ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि उल्फा-सरकार के बीच शांति वार्ता प्रक्रिया पूरी तरह से प्रगति पर है.

उन्होंने कहा कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. सामान्य परिषद की बैठक की अध्यक्षता उग्रवादी संगठन के वार्ता समूह के अध्यक्ष अरविंद राजखोवा ने की और इसमें 200 से अधिक सदस्यों ने भाग लिया. इस दौरान जनरल काउंसिल ने शांति प्रक्रिया को लेकर कुछ बड़े फैसलों पर मुहर लगाई. साथ ही बताया गया कि जनरल काउंसिल द्वारा अनुमोदित भारत सरकार और असम सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर के एक महीने बाद उल्फा भंग हो जाएगा.

संगठन के आधिकारिक विघटन के बाद, इन मौजूदा उल्फा नेताओं और सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से किसी भी पार्टी या संगठन में शामिल होने और अन्य गतिविधियों की पूरी आजादी होगी. दूसरी तरफ इस समय असम में राजनीतिक चर्चा का विषय बना हुआ है कि शांति समझौते पर हस्ताक्षर के बाद उल्फा की विदेश सचिव साशा चौधरी सहित कई उल्फा नेता एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल में शामिल होंगे. हालांकि उन्होंने अभी तक इस बात से इनकार नहीं किया है.

इस बारे में उल्फा महासचिव अनूप चेतिया ने कहा कि चूंकि उल्फा-सरकार वार्ता अंतिम चरण में है और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि समझौते के एक महीने बाद उल्फा आधिकारिक तौर पर भंग हो जाएगा. बैठक में मसौदे पर विस्तार से चर्चा की गई और उल्फा की महासभा द्वारा अनुमोदित किया गया.

बैठक में कार्य परिषद के सहयोग से केंद्रीय समिति को त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर करने का अधिकार भी दिया गया. बता दें कि स्वतंत्र असम के लक्ष्य के साथ 1979 में स्थापित उल्फा, अभी भी अपने सेना प्रमुख परेश बरुआ द्वारा म्यांमार के जंगल से एक गैर-वार्ता समूह का संचालन कर रहा है. इसे उल्फा (स्वतंत्र) गैर-बातचीत समूह कहा जाता है, हालांकि वे अब तक नए सदस्यों की भर्ती की कोशिश कर रहे हैं.

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