नई दिल्ली : द कश्मीर फाइल्स पर पहली बार जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने बयान दिया है. मीडिया चैनल आज तक को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने कश्मीरी पंडितों के पलायन को लेकर लग रहे आरोपों को गलत बताया और इसके लिए तत्कालीन केंद्र सरकार को दोषी ठहराया. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मैं कश्मीरी पंडितों के घर छोड़ने के लिए जिम्मेदार नहीं हूं. जिम्मेदार वे हैं जो उस वक्त दिल्ली पर हुकूमत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि अगर वे इस पलायन के जिम्मेदार निकलते हैं तो जहां चाहे उन्हें फांसी चढ़ा देना. साथ ही, उन्होंने इसकी जांच किसी कमीशन से कराने की मांग की.
कश्मीरी पंडितों के घर छोड़ने की घटना के लिए पूर्व मुख्यमंत्री ने तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन को भी जिम्मेवार बताया. उन्होंने कहा कि पलायन के लिए कश्मीरी पंडितों के घर उन्होंने गाड़ियां भेजी थीं. जगमोहन ने ही पुलिसवालों को इन लोगों को गाड़ियों में बैठाने को कहा था. उन्होंने दावा किया कि घटना के बाद भी करीब 800 कश्मीरी पंडितों का परिवार कश्मीर में शांति से रह रहा है. किसी ने उन्हें हाथ नहीं लगाया. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि उस वक्त कश्मीरी पंडितों पर जो मुसीबतें आईं, उसके लिए मेरा दिल मेरा दिल आजतक रो रहा है. कश्मीर के सभी लोग चाहते हैं कि कश्मीरी पंडितों की घरवापसी हो, तब ही कश्मीर पूरा होगा.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने द कश्मीर फाइल्स की आलोचना की. उन्होंने कहा कि अगर मसलों को सुलझाना है तो दिल जोड़ने वाली बात करनी होगी. यह फिल्म दिल जोड़ नहीं रही है, तोड़ रही है. सारे मुल्क में आग लगा रही है. मैं पीएम मोदी से गुजारिश करूंगा कि ऐसी चीजें ना करें जिससे मुसलमान-हिंदुओं के रिश्ते और खराब हों. ऐसा हुआ तो मुल्क की सूरत हिटलर के जमाने की जर्मनी जैसी बन जाएगी. कश्मीरियों का दिल जोड़े बगैर अमन मुश्किल है. अपनी बातचीत में फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग दोहराई.
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