नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोक सभा में क्रिमिनल प्रोसीजर (आइडेंटिफिकेशन) बिल 2022 पेश किया. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से सरकार अदालतों की मदद करने की कोशिश कर रही है. शाह ने कहा कि इस विधेयक में ऐसे प्रावधान किए गए हैं जिनसे कन्विक्शन रेट बढ़ेगा, यानी अदालतों में प्रभावी तरीके से आरोपों के तहत दोष सिद्धि होगी. अपराध में वैज्ञानिक तरीकों के प्रयोग और कानून को चकमा देने की आधुनिक कोशिशों का उल्लेख करते हुए शाह ने कहा कि कानून का एकमात्र मकसद अपराधी को सजा देना और सुधारना है.
शाह ने बिल पेश करते हुए अपने शुरुआती वक्तव्य में कहा कि उन्होंने अजय मिश्रा टेनी द्वारा बिल पेश किए जाने के समय कई सांसदों की आपत्ति सुनी, लेकिन वे आश्वस्त कर रहे हैं कि किसी के साथ भी अन्याय नहीं होगा. उन्होंने कहा कि इस विधेयक को आइसोलेशन में नहीं देखा जाना चाहिए. बकौल शाह, जेल मैनुअल में भी बदलाव किया जाएगा और इस बिल से बनने वाले कानून को उसके साथ समझा जाना चाहिए. शाह ने बताया कि विधेयक तैयार करते समय विधि आयोग की रिपोर्ट का भी पर्याप्त अवलोकन किया गया है.
इसके बाद चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि 1920 में तत्कालीन अंग्रेज सरकार ने लोगों को डराने के लिए कानून बनाया था. उसके माध्यम से असहयोग आंदोलन और स्वतंत्रता संग्राम को कमजोर करने का प्रयास किया गया. तिवारी ने कहा कि अंग्रेजों की साम्राज्यवादी सरकार ने लोगों को डराने का हरसंभव प्रयास किया. तिवारी ने केशवानंद भारती बनाम भारत सरकार के मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि संविधान की मूलभावना को नहीं बदला जा सकता.
रिटायर्ड डीजीपी ने समझाईं कानूनी बारीकियां : इसके बाद भाजपा सांसद वीडी राम ने विधेयक के समर्थन में अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि अपराध बढ़ने के मद्देनजर जांच एजेंसियों के लिए दोष साबित करना चुनौतीपूर्ण हो गया है. उन्होंने कहा कि इन्वेस्टिगेटिव एजेंसियों को और सक्षम बनाना ही एक मात्र मकसद है. उन्होंने कहा कि विधेयक को काफी पहले लाए जाने की जरूरत थी. भाजपा सांसद वीडी राम झारखंड की पलामू सीट से निर्वाचित लोक सभा सांसद हैं. गौरतलब है कि वीडी राम एक पूर्व पुलिस अधिकारी (झारखंड में पुलिस महानिदेशक रह चुके हैं) भी हैं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि जांच अधिकारी अगर यह कहता है कि आरोपी को जांच के दौरान सैंपल देना पड़ेगा तो इससे मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं होता है. ऐसे में विपक्षी सांसदों की आशंकाएं निराधार हैं.
विधेयक के समर्थन में गृह राज्यमंत्री की दलील : बता दें कि गत 28 मार्च को लोक सभा में अपराधियों को सख्त सजा से जुड़ा विधेयक पेश किया गया है. सरकार का मानना है कि अधिक से अधिक ब्यौरा मिलने से दोष सिद्धि दर में वृद्धि होगी और जांचकर्ताओं को अपराधियों को पकड़ने में सुविधा होगी. हालांकि, कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी सदस्यों ने इसका पुरजोर विरोध किया. कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी सदस्यों ने विधेयक पेश करने पर मत-विभाजन की मांग की. मत-विभाजन में विधेयक पेश करने की अनुमति दिए जाने के पक्ष में 120 वोट पड़े तथा 58 मत विरोध में पड़े.
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क्रिमिनल प्रोसीजर आइडेंटिफिकेशन बिल 2022 किसी भी दृष्टि से मनमाना नहीं : विधेयक पेश करते हुए गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ने कहा था कि मौजूदा अधिनियम को बने 102 साल हो गए हैं. उन्होंने कहा कि उसमें सिर्फ फिंगर प्रिंट और फुटप्रिंट लेने की अनुमति दी गई, जबकि अब नयी प्रौद्योगिकी आई है और इस संशोधन की जरूरत पड़ी है. उन्होंने कहा, 'यह छोटा विधेयक है. इससे जांच एजेंसियों को मदद मिलेगी और दोषसिद्धि भी बढ़ेगी...कानून मंत्रालय और सभी संबंधित पक्षों के साथ लंबी चर्चा के बाद यह विधेयक लाया गया है.' मिश्रा ने विपक्ष के सदस्यों की आपत्ति के जवाब में कहा कि मौजूदा प्रस्ताव किसी भी दृष्टि से मनमाना नहीं है.