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मानसून सत्र के अंतिम चरण में कुछ सदस्यों का आचरण परेशान करने वाला था : नायडू

राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू (Rajya Sabha Chairman M Venkaiah Naidu) ने सोमवार को कहा कि पिछले मानसून सत्र के अंतिम चरण में कुछ सदस्यों का आचरण परेशान करने वाला था और इस संबंध में सदन के प्रमुख नेताओं और संबंधित लोगों की प्रतिक्रिया (Responds of people concerned) उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं थी.

ANI
एएनआई
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Published : Nov 29, 2021, 4:51 PM IST

नई दिल्ली : राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू (Rajya Sabha Chairman M Venkaiah Naidu) ने कहा कि मानसून सत्र के अंतिम चरण में कुछ सदस्यों का आचरण परेशान करने वाला था. इसके साथ ही सदस्यों से इसकी पुनरावृत्ति नहीं करने का अनुरोध (request not to repeat) किया और उम्मीद जताई कि यह सत्र उपयोगी साबित होगा.

उन्होंने कहा कि देश आजादी का 75वां साल मना रहा (Country celebrating 75th year of independence) है वहीं संविधान स्वीकार किए जाने के 72 साल पूरा हो रहे हैं. नायडू ने कहा कि उन्हें उच्च सदन में शालीनता और मर्यादा के साथ सामान्य तरीके से कामकाज की उम्मीद है.

उन्होंने कहा कि व्यवधान के बदले बातचीत और बहस का विकल्प चुना जाना चाहिए. नायडू ने संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को उच्च सदन में अपने पारंपरिक संबोधन में यह टिप्प्णी की.

उन्होंने कहा कि अशोभनीय आचरण के संबंध में आत्ममंथन और वैसा दोबारा नहीं होने देने के आश्वासन से उन्हें उन घटनाओं के खिलाफ शिकायत से निपटने में मदद मिलती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. नायडू ने कहा कि सत्ता पक्ष पिछले सत्र के अंतिम दो दिनों के दौरान कुछ सदस्यों के आचरण की विस्तृत जांच चाहता था.

मैंने विभिन्न दलों के नेताओं से संपर्क करने की कोशिश की है. उनमें से कुछ ने यह स्पष्ट कर दिया कि उनके सदस्य ऐसी किसी भी जांच में पक्ष नहीं होंगे. हालांकि, कुछ नेताओं ने सदन के कामकाज को बाधित करने पर चिंता जताई और उन घटनाओं की निंदा की.

उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद कर रहा था और इंतजार कर रहा था कि इस प्रतिष्ठित सदन के प्रमुख लोग, पिछले सत्र के दौरान जो कुछ हुआ था, उस पर आक्रोश जताएंगे. सभी संबंधितों पक्षों द्वारा इस तरह के आश्वासन से मुझे मामले को उचित रूप से निपटने में मदद मिलती. लेकिन दुर्भाग्य से, ऐसा नहीं हो सका.

नायडू ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में सदन के कुछ सदस्यों के मौजूद नहीं रहने का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार विकास के लिए बातचीत के रास्ते की खातर विधायिकाओं में संवाद और बहस होनी चाहिए.

पिछले चार वर्षों में अपने कार्यकाल के दौरान 11 सत्रों के दौरान देखे गए उतार-चढ़ाव का जिक्र करते हुए नायडू ने सदस्यों से सदन में लोकतांत्रिक और संसदीय स्थान बनाने का आग्रह किया ताकि सभी मुद्दों को उठाया जा सके.

उन्होंने कहा कि आप में से हर कोई किसी भी मुद्दे को उचित तरीके से उठा सकता है और किसी भी मुद्दे पर अपनी बात स्पष्ट रूप से रख सकता है, अगर हम सदन में हंगामे के बजाय उसके लिए जगह बनाते हैं. सामूहिक इच्छाशक्ति के साथ उस तरह के लोकतांत्रिक और संसदीय स्थान के लिए एक निश्चित संभावना है.

यह भी पढ़ें- Rajya Sabha Suspension : कांग्रेस के 6 सांसदों समेत 12 राज्य सभा सदस्य निलंबित

सभापति ने कहा कि राज्यसभा की आठ स्थायी संसदीय समितियों ने 21 बैठकें कीं जो कुल 39 घंटे 33 मिनट चलीं. उनमें प्रति बैठक 48.58 प्रतिशत की सराहनीय औसत उपस्थिति रही. उन्होंने कहा कि शिक्षा संबंधी समिति ने दो सत्रों के बीच की अवधि के दौरान पाठ्यपुस्तकों की सामग्री और डिजाइन में सुधार के मुद्दे पर गौर करते हुए हरियाणा के नौवीं कक्षा के छात्र की बात सुनी.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू (Rajya Sabha Chairman M Venkaiah Naidu) ने कहा कि मानसून सत्र के अंतिम चरण में कुछ सदस्यों का आचरण परेशान करने वाला था. इसके साथ ही सदस्यों से इसकी पुनरावृत्ति नहीं करने का अनुरोध (request not to repeat) किया और उम्मीद जताई कि यह सत्र उपयोगी साबित होगा.

उन्होंने कहा कि देश आजादी का 75वां साल मना रहा (Country celebrating 75th year of independence) है वहीं संविधान स्वीकार किए जाने के 72 साल पूरा हो रहे हैं. नायडू ने कहा कि उन्हें उच्च सदन में शालीनता और मर्यादा के साथ सामान्य तरीके से कामकाज की उम्मीद है.

उन्होंने कहा कि व्यवधान के बदले बातचीत और बहस का विकल्प चुना जाना चाहिए. नायडू ने संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को उच्च सदन में अपने पारंपरिक संबोधन में यह टिप्प्णी की.

उन्होंने कहा कि अशोभनीय आचरण के संबंध में आत्ममंथन और वैसा दोबारा नहीं होने देने के आश्वासन से उन्हें उन घटनाओं के खिलाफ शिकायत से निपटने में मदद मिलती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. नायडू ने कहा कि सत्ता पक्ष पिछले सत्र के अंतिम दो दिनों के दौरान कुछ सदस्यों के आचरण की विस्तृत जांच चाहता था.

मैंने विभिन्न दलों के नेताओं से संपर्क करने की कोशिश की है. उनमें से कुछ ने यह स्पष्ट कर दिया कि उनके सदस्य ऐसी किसी भी जांच में पक्ष नहीं होंगे. हालांकि, कुछ नेताओं ने सदन के कामकाज को बाधित करने पर चिंता जताई और उन घटनाओं की निंदा की.

उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद कर रहा था और इंतजार कर रहा था कि इस प्रतिष्ठित सदन के प्रमुख लोग, पिछले सत्र के दौरान जो कुछ हुआ था, उस पर आक्रोश जताएंगे. सभी संबंधितों पक्षों द्वारा इस तरह के आश्वासन से मुझे मामले को उचित रूप से निपटने में मदद मिलती. लेकिन दुर्भाग्य से, ऐसा नहीं हो सका.

नायडू ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में सदन के कुछ सदस्यों के मौजूद नहीं रहने का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार विकास के लिए बातचीत के रास्ते की खातर विधायिकाओं में संवाद और बहस होनी चाहिए.

पिछले चार वर्षों में अपने कार्यकाल के दौरान 11 सत्रों के दौरान देखे गए उतार-चढ़ाव का जिक्र करते हुए नायडू ने सदस्यों से सदन में लोकतांत्रिक और संसदीय स्थान बनाने का आग्रह किया ताकि सभी मुद्दों को उठाया जा सके.

उन्होंने कहा कि आप में से हर कोई किसी भी मुद्दे को उचित तरीके से उठा सकता है और किसी भी मुद्दे पर अपनी बात स्पष्ट रूप से रख सकता है, अगर हम सदन में हंगामे के बजाय उसके लिए जगह बनाते हैं. सामूहिक इच्छाशक्ति के साथ उस तरह के लोकतांत्रिक और संसदीय स्थान के लिए एक निश्चित संभावना है.

यह भी पढ़ें- Rajya Sabha Suspension : कांग्रेस के 6 सांसदों समेत 12 राज्य सभा सदस्य निलंबित

सभापति ने कहा कि राज्यसभा की आठ स्थायी संसदीय समितियों ने 21 बैठकें कीं जो कुल 39 घंटे 33 मिनट चलीं. उनमें प्रति बैठक 48.58 प्रतिशत की सराहनीय औसत उपस्थिति रही. उन्होंने कहा कि शिक्षा संबंधी समिति ने दो सत्रों के बीच की अवधि के दौरान पाठ्यपुस्तकों की सामग्री और डिजाइन में सुधार के मुद्दे पर गौर करते हुए हरियाणा के नौवीं कक्षा के छात्र की बात सुनी.

(पीटीआई-भाषा)

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