नई दिल्ली: भारत ने मंगलवार को केन्या को उसके कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान करने के निर्णय की घोषणा की, जो भारत के मजबूत अफ्रीकी संबंध को रेखांकित करता है. यह घोषणा आज भारतीय पीएम मोदी और केन्या के राष्ट्रपति विलियम सामोई रुतो के बीच द्विपक्षीय बैठक के बाद हुई है. बता दें, राष्ट्रपति रुतो दोनों देशों के बीच समग्र संबंधों का विस्तार करने के लिए तीन दिवसीय यात्रा पर सोमवार को भारत पहुंचे है.
दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में, अफ्रीका तक भारत की पहुंच में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है. अपनी विदेश नीति में, भारत ने इस महाद्वीप को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है और संबंधों को मजबूत करने के प्रयास किए हैं. G20 ब्लॉक में स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघ को शामिल करना दुनिया के इस हिस्से के लिए भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता और महत्व को दर्शाता है.
पीएम मोदी ने की बड़ी घोषणा
इस बीच, मंगलवार 5 दिसंबर यानी आज हुए द्विपक्षीय बैठक के बाद संयुक्त प्रेस के दौरान पीएम मोदी ने बड़ी घोषणा की. पीएम मोदी ने कहा कि भारत अपने कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए केन्या को 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर की ऋण सहायता प्रदान करेगा. हिंद-प्रशांत का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि क्षेत्र में भारत और केन्या के बीच करीबी सहयोग साझा प्रयासों को आगे बढ़ाएगा.
पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने ईटीवी भारत से क्या कहा?
पीएम मोदी की इस घोषणा पर भारत के पूर्व राजदूत, जिन्होंने पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका और विदेश मंत्रालय के कांसुलर डिवीजनों में काम किया है, अनिल त्रिगुणायत ने ईटीवी भारत को बताया कि द्विपक्षीय संदर्भ के अलावा केन्या भारत की हिंद महासागर और इंडो पैसिफिक रणनीतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उन्होंने आगे कहा कि अफ्रीका और भारत के बीच एक सहजीवी और गर्भनाल (symbiotic and umbilical cord relationship) संबंध है. जिसमें केन्या एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. एक बड़ा भारतीय समुदाय वहां जीवित पुल है. बता दें, 2018 में युगांडा संसद में अपने भाषण के बाद पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने एक केंद्रित अफ्रीका नीति तैयार की है.
अनिल त्रिगुणायत ने कहा कि जी20 दिल्ली शिखर सम्मेलन में स्थायी सदस्य के रूप में एयू को शामिल करना वैश्विक दक्षिण की आवाज को पेश करने की भारत की प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब है. पिछले दशक के दौरान, विशेष रूप से भारत से उच्च स्तरीय यात्रा की कमी को पूरा किया गया है. केन्या इसके अलावा द्विपक्षीय संदर्भ भारत की हिंद महासागर और भारत-प्रशांत रणनीतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मुझे लगता है कि राष्ट्रपति रुतो की यह यात्रा कई रणनीतिक मामलों में महत्वपूर्ण है.