अगरतला : त्रिपुरा में भारत-बांग्लादेश सीमा के पास स्थित एक गांव से प्रतिबंधित नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) के आंतकियों द्वारा अगवा किए गए तीन मजदूरों को 17 दिनों की कैद के बाद रिहा कर दिया गया है. हालांकि, एक व्यापारी 35 वर्षीय लितन नाथ का अभी भी पता नहीं लग पाया है, जिन्हें 27 नवंबर को त्रिपुरा-मिजोरम सीमा के साथ लगते उत्तरी त्रिपुरा के एक दूरदराज के गांव मालदा कुमार पाड़ा से आदिवासी गुरिल्लाओं द्वारा बंदूक की नोक पर उठा लिया गया था. अपहरण के 28 दिनों के बाद भी नाथ का पता नहीं चल सका है.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल और अन्य अर्धसैनिक बलों और राज्य बलों के बढ़ते दबाव का सामना करते हुए, एनएलएफटी आतंकवादियों ने बुधवार रात तीन अपहृत व्यक्तियों को भारत-बांग्लादेश सीमा के साथ लगती जगह पर एक पहाड़ी वन क्षेत्र में छोड़ दिया है.
सुपरवाइजर सुभाष भौमिक (48), जेसीबी चालक सुबल देबनाथ (37) और मजदूर गण मोहन त्रिपुरा (37) को गत सात दिसंबर को अगवा कर लिया गया था.
बंदूक की नोक पर किया अगवा
दरअसल, नेशनल प्रोजेक्ट कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनपीसीसी) गंगानगर थाना क्षेत्र के दलाई जिले के मालदा कुमार पाड़ा गांव में सीमा पर तारबंदी का काम करवा रही है. इसी दौरान सात दिसंबर को इन मजदूरों को बंदूक की नोक पर अगवा कर लिया गया था.
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बड़े पैमाने पर चला तलाशी अभियान
पुलिस अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, बांग्लादेश के सुरक्षा बलों ने भारतीय सुरक्षा बलों के अनुरोध के बाद तीन भारतीय बंधकों का पता लगाने और त्रिपुरा कंट्टरपंथियों को पकड़ने के लिए अपने क्षेत्र में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया था.