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तेलंगाना : महामारी के बीच निकाय चुनाव कराने को लेकर राज्य चुनाव आयोग से मांगा जवाब - मुख्य न्यायाधीश हेमा कोहली

हाई कोर्ट ने उस समय शहरी स्थानीय निकायों के चुनावों को गंभीरता से लिया जब महामारी फैल रही है. अदालत ने लोगों के जीवन को खतरे में डालने के लिए राज्य चुनाव आयोग (SEC) का विरोध किया है. SEC पर असंतोष व्यक्त करते हुए हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या अधिकारी पृथ्वी नहीं आकाश में रह रहे हैं.

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Published : Apr 30, 2021, 1:35 AM IST

हैदराबाद : हाईकोर्ट ने कहा कि वायरस फैलने पर अंकुश लगाने के लिए रात में कर्फ्यू लगाते हुए चुनाव कराने के सरकार के दोहरे रुख पर आश्चर्य होता है. कोर्ट ने एसईसी से सुरक्षा और सावधानी सुनिश्चित करने को कहा है. दो न्यायाधीशों वाले पैनल में मुख्य न्यायाधीश हेमा कोहली और न्यायमूर्ति विजयसेन रेड्डी शामिल थे.

जिन्होंने कोविड-19 संकट पर याचिकाओं पर सुनवाई की. हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है कि चुनाव का आयोजन जनता के लिए किया जा रहा है जबकि देश महामारी से जूझ रहा है. अदालत ने जानना चाहा कि क्या चुनाव लोगों के जीवन से ज्यादा मायने रखते हैं. पीठ ने टिप्पणी की है कि एसईसी ने संवैधानिक निकाय के रूप में अपनी भूमिका के अनुसार काम नहीं किया है और यह जमीनी वास्तविकताओं पर विचार करने में विफल रहा है.

एसईसी ने दिसंबर में प्रक्रिया शुरू की थी लेकिन संक्रमण में भारी वृद्धि के बाद भी फरवरी में स्थिति की समीक्षा नहीं की गई. हालांकि सिद्दीपेट और अचम्पेट नगरपालिकाओं के चुनाव के लिए पर्याप्त समय था. लेकिन इस बीच निकाय चुनाव के फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया गया. अदालत ने याद दिलाया कि जीएचएमसी मेयर पद डेढ़ साल से खाली पड़ा है. कोर्ट ने राज्य भर में बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की.

एसईसी सचिव अशोक कुमार ने अदालत के आदेशों के अनुसार वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई में भाग लिया. उन्होंने अदालत को बताया कि 2,557 पुलिसकर्मी और 7,695 कर्मचारी चुनाव ड्यूटी में भाग लेंगे. हाईकोर्ट ने SEC को मतदान कर्मचारियों को असहाय स्थिति में डालने के लिए जिम्मेदार ठहराया. कई पुलिस अधिकारियों और सरकारी कर्मचारियों ने अभी तक वैक्सीन की दूसरी डोज नहीं ली है.

पीठ ने कहा कि एसईसी ने मतदान कर्मचारियों और आम जनता के जीवन को खतरे में डाल दिया है. SEC ने अदालत को बताया कि वह सरकार के आदेशों के अनुसार चुनाव करवा रहा है. जिस पर हाईकोर्ट ने सवाल किया कि क्या SEC के पास चुनाव स्थगित करने के बारे में स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्तियां नहीं थीं. रात के कर्फ्यू लगाते हुए चुनावों के लिए राज्य सरकार की तत्परता पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की.

हाईकोर्ट ने निवारक उपायों या अभियान की अवधि को कम करने में एसईसी के सुस्त होने पर आपत्ति जताई. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बाकी चुनाव प्रक्रिया यानी मतदान और मतगणना सुरक्षित रूप से आयोजित की जानी चाहिए. निर्देश दिया कि लोगों को मतदान केंद्रों पर भीड़ से रोकने के लिए उपयुक्त निर्देशों का पालन किया जाए.

यह भी पढ़ें-प.बंगाल में खेला 'शेष', तमिलनाडु-केरल-असम में निर्णायक बढ़त के अनुमान

हाईकोर्ट ने सुनवाई 5 मई तक के लिए स्थगित कर दी. साथ ही सरकार और SEC को निर्देश दिया कि चुनाव आचरण का विवरण प्रस्तुत करें.

हैदराबाद : हाईकोर्ट ने कहा कि वायरस फैलने पर अंकुश लगाने के लिए रात में कर्फ्यू लगाते हुए चुनाव कराने के सरकार के दोहरे रुख पर आश्चर्य होता है. कोर्ट ने एसईसी से सुरक्षा और सावधानी सुनिश्चित करने को कहा है. दो न्यायाधीशों वाले पैनल में मुख्य न्यायाधीश हेमा कोहली और न्यायमूर्ति विजयसेन रेड्डी शामिल थे.

जिन्होंने कोविड-19 संकट पर याचिकाओं पर सुनवाई की. हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है कि चुनाव का आयोजन जनता के लिए किया जा रहा है जबकि देश महामारी से जूझ रहा है. अदालत ने जानना चाहा कि क्या चुनाव लोगों के जीवन से ज्यादा मायने रखते हैं. पीठ ने टिप्पणी की है कि एसईसी ने संवैधानिक निकाय के रूप में अपनी भूमिका के अनुसार काम नहीं किया है और यह जमीनी वास्तविकताओं पर विचार करने में विफल रहा है.

एसईसी ने दिसंबर में प्रक्रिया शुरू की थी लेकिन संक्रमण में भारी वृद्धि के बाद भी फरवरी में स्थिति की समीक्षा नहीं की गई. हालांकि सिद्दीपेट और अचम्पेट नगरपालिकाओं के चुनाव के लिए पर्याप्त समय था. लेकिन इस बीच निकाय चुनाव के फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया गया. अदालत ने याद दिलाया कि जीएचएमसी मेयर पद डेढ़ साल से खाली पड़ा है. कोर्ट ने राज्य भर में बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की.

एसईसी सचिव अशोक कुमार ने अदालत के आदेशों के अनुसार वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई में भाग लिया. उन्होंने अदालत को बताया कि 2,557 पुलिसकर्मी और 7,695 कर्मचारी चुनाव ड्यूटी में भाग लेंगे. हाईकोर्ट ने SEC को मतदान कर्मचारियों को असहाय स्थिति में डालने के लिए जिम्मेदार ठहराया. कई पुलिस अधिकारियों और सरकारी कर्मचारियों ने अभी तक वैक्सीन की दूसरी डोज नहीं ली है.

पीठ ने कहा कि एसईसी ने मतदान कर्मचारियों और आम जनता के जीवन को खतरे में डाल दिया है. SEC ने अदालत को बताया कि वह सरकार के आदेशों के अनुसार चुनाव करवा रहा है. जिस पर हाईकोर्ट ने सवाल किया कि क्या SEC के पास चुनाव स्थगित करने के बारे में स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्तियां नहीं थीं. रात के कर्फ्यू लगाते हुए चुनावों के लिए राज्य सरकार की तत्परता पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की.

हाईकोर्ट ने निवारक उपायों या अभियान की अवधि को कम करने में एसईसी के सुस्त होने पर आपत्ति जताई. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बाकी चुनाव प्रक्रिया यानी मतदान और मतगणना सुरक्षित रूप से आयोजित की जानी चाहिए. निर्देश दिया कि लोगों को मतदान केंद्रों पर भीड़ से रोकने के लिए उपयुक्त निर्देशों का पालन किया जाए.

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हाईकोर्ट ने सुनवाई 5 मई तक के लिए स्थगित कर दी. साथ ही सरकार और SEC को निर्देश दिया कि चुनाव आचरण का विवरण प्रस्तुत करें.

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