नई दिल्ली: सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और अन्य न्यायाधीशों को एक पत्र लिखकर वैक्सीन संकट की निगरानी के लिए एक समिति गठित करने और कोविड19 की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए सरकार की तैयारियों और नीति निर्माण की समीक्षा करने के लिए एक पत्र लिखा है. इस पत्र में बच्चों की जान बचाने की बात कही गई है.
तहसीन ने कहा कि सरकार का सरकार का समयपूर्व उत्सव, अवैज्ञानिक दृष्टिकोण और दूरदर्शिता की कमी ने हमें इस वर्तमान आपदा की ओर धकेला है. दुर्भाग्य से 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों की सुरक्षा के लिए सरकार के पास कोई भी कार्य योजना या फॉर्मूला नहीं है.
पत्र में लिखा है कि भारत में 165 मिलियन से अधिक बच्चे हैं जिनकी आयु 12 वर्ष से कम है. वहीं, भारत में टीके की कमी और तीसरी लहर के प्रकोप के बीच बड़े पैमाने पर टीकाकरण की पहुंच आसान नहीं है. अमेरिका में सरकार ने पहले ही बच्चों पर पिज़फायर के टीके के इस्तेमाल को अधिकृत कर दिया है.
पूनावाला ने तर्क देते हुए कहा कि 17 मई को लगभग 3,11,170 नए मामलों के साथ यह स्पष्ट है कि सभी आयु समूहों को टीकाकरण की आवश्यकता है. वह चिकित्सा विशेषज्ञों की राय का भी हवाला देते हैं जिसके अनुसार बच्चों पर तीसरी लहर हमला करने की संभावना है.
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वर्तमान में न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने महामारी के दौरान दवाओं और सेवाओं की आवश्यक आपूर्ति पर स्वत: संज्ञान लिया है. एक सुनवाई में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने भी बच्चों के तीसरी लहर से प्रभावित होने पर चिंता व्यक्त की थी और केंद्र से कहा था कि तब तक माता-पिता के आयु वर्ग का टीकाकरण किया जाना चाहिए क्योंकि माता-पिता को बच्चों के साथ अस्पतालों में जाना होगा. जस्टिस चंद्रचूड़ का टेस्ट कोविड पॉजिटिव आया है, जिसके कारण सुनवाई ठप है, जो पिछले हफ्ते होनी थी.