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जम्मू कश्मीर में टारगेट किलिंग : चुनौती बने हाइब्रिड आतंकी, इंटरनेट पर मिलते हैं निर्देश - इंटरनेट पर मिलते हैं निर्देश

जम्मू कश्मीर में टारगेट किलिंग (Target killing in jammu kashmir) के मामले तेजी से बढ़े हैं. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति पर हाईलेवल मीटिंग भी की थी. दरअसल सुरक्षा बलों के लिए हाइब्रिड आतंकी चुनौती बने हुए हैं. आतंकी संगठन इंटरनेट के जरिए इनसे संपर्क साध रहे हैं.

How are militants operating
कश्मीर घाटी में टारगेट किलिंग
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Published : Jun 4, 2022, 7:34 AM IST

श्रीनगर : कश्मीर घाटी में लक्षित हत्याओं (टारगेट किलिंग) के मामले बढ़े हैं. 2022 में आतंकवादी संगठनों में भर्ती होने वाले स्थानीय लोगों की संख्या की बात करें तो पिछले साल की तुलना में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं दिखा है. पुलिस ने दावा किया है कि आतंकवादी संगठन अब इंटरनेट के जरिए युवाओं से संपर्क करने लगे हैं. एक पुलिस सूत्र ने कहा, 'विश्वसनीय इनपुट और कई इंटरसेप्ट के आधार पर हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी संगठन इंटरनेट के जरिए युवाओं से संपर्क साध रहे हैं.'

उन्होंने कहा, 'अभी कश्मीर में दो तरह के आतंकवादी सक्रिय हैं - वर्गीकृत और हाइब्रिड. 'वर्गीकृत' ये वे आतंकी हैं जिनका आपराधिक रिकॉर्ड है जबकि 'हाइब्रिड' का अपराध करने का कोई पूर्व इतिहास नहीं है. इसी वजह से उन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है. सुरक्षाबलों के लिए हाइब्रिड आतंकी बड़ी चुनौती हैं, ज्यादातर मामलों में वे स्थानीय निवासी हैं.' जम्मू-कश्मीर पुलिस के आंकड़ों के अनुसार घाटी के कम से कम 12 युवक सिर्फ मई में आतंकी गतिविधियों में शामिल हुए हैं. उनमें से चार भर्ती होने के कुछ दिनों के भीतर ही गोलीबारी के दौरान मारे गए. 2021 में मई तक घाटी में 61 से अधिक लोग आतंकवादी संगठनों में शामिल हो गए थे. आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल यह संख्या 52 है.

चार में से तीन हत्याएं हाइब्रिड आतंकियों ने की : एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने 'ईटीवी भारत' को बताया, 'पिछले महीने चार में से तीन हत्याएं हाइब्रिड आतंकियों ने की. ये वह आतंकी थे हत्याओं से एक पखवाड़े पहले ही आतंकी संगठनों में शामिल हुए थे. आतंकवादी संगठन आतंकवाद विरोधी अभियानों के कारण निराश हो रहे हैं, इसीलिए वह अपना आधार बढ़ाने के लिए इन हाइब्रिड आतंकियों को चुन रहे हैं. वे इंटरनेट के जरिए कई युवाओं तक पहुंच रहे हैं.'

मई में मारे गए 27 आतंकी : हालांकि, अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियां ​​भी जवाबी कार्रवाई कर रही हैं. कई मुठभेड़ हुई हैं और गिरफ्तारियां भी की गई हैं. अधिकारी ने कहा, 'अकेले मई में घाटी में गोलीबारी के दौरान कुल 27 आतंकवादी मारे गए.' उन्होंने कहा कि उनमें से 17 स्थानीय निवासी थे जबकि 10 विदेशी आतंकी थे. उन्होंने दावा किया कि मई में 22 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया, पांच आतंकवादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया. अधिकारी ने कहा, 'एक अभियान में 15 पिस्तौलें बरामद की गईं. घाटी में नए भर्ती किए गए 12 आतंकवादियों में से चार मारे गए हैं और आठ सक्रिय हैं.' आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल कश्मीर घाटी में 19 नागरिक मारे गए हैं, इनमें 12 सरपंच सहित स्थानीय मुसलमान थे और सात अल्पसंख्यक समुदायों से थे.

पुलिस के मुताबिक 'आतंकियों ने घटनाओं को अंजाम देने के लिए सबसे ज्यादा पिस्तौल का इस्तेमाल किया है. इन हाइब्रिड आतंकियों के ट्रेनिंग और निर्देश भी ऑनलाइन दिए जाते हैं. उन्हें हथियार दूसरे व्यक्ति के माध्यम से भेजा जाता है. वे हत्या को अंजाम देते हैं, पिस्तौल लौटाते हैं और फिर अपनी आम जिंदगी बसर करने लगते हैं.'

श्रीनगर : कश्मीर घाटी में लक्षित हत्याओं (टारगेट किलिंग) के मामले बढ़े हैं. 2022 में आतंकवादी संगठनों में भर्ती होने वाले स्थानीय लोगों की संख्या की बात करें तो पिछले साल की तुलना में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं दिखा है. पुलिस ने दावा किया है कि आतंकवादी संगठन अब इंटरनेट के जरिए युवाओं से संपर्क करने लगे हैं. एक पुलिस सूत्र ने कहा, 'विश्वसनीय इनपुट और कई इंटरसेप्ट के आधार पर हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी संगठन इंटरनेट के जरिए युवाओं से संपर्क साध रहे हैं.'

उन्होंने कहा, 'अभी कश्मीर में दो तरह के आतंकवादी सक्रिय हैं - वर्गीकृत और हाइब्रिड. 'वर्गीकृत' ये वे आतंकी हैं जिनका आपराधिक रिकॉर्ड है जबकि 'हाइब्रिड' का अपराध करने का कोई पूर्व इतिहास नहीं है. इसी वजह से उन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है. सुरक्षाबलों के लिए हाइब्रिड आतंकी बड़ी चुनौती हैं, ज्यादातर मामलों में वे स्थानीय निवासी हैं.' जम्मू-कश्मीर पुलिस के आंकड़ों के अनुसार घाटी के कम से कम 12 युवक सिर्फ मई में आतंकी गतिविधियों में शामिल हुए हैं. उनमें से चार भर्ती होने के कुछ दिनों के भीतर ही गोलीबारी के दौरान मारे गए. 2021 में मई तक घाटी में 61 से अधिक लोग आतंकवादी संगठनों में शामिल हो गए थे. आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल यह संख्या 52 है.

चार में से तीन हत्याएं हाइब्रिड आतंकियों ने की : एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने 'ईटीवी भारत' को बताया, 'पिछले महीने चार में से तीन हत्याएं हाइब्रिड आतंकियों ने की. ये वह आतंकी थे हत्याओं से एक पखवाड़े पहले ही आतंकी संगठनों में शामिल हुए थे. आतंकवादी संगठन आतंकवाद विरोधी अभियानों के कारण निराश हो रहे हैं, इसीलिए वह अपना आधार बढ़ाने के लिए इन हाइब्रिड आतंकियों को चुन रहे हैं. वे इंटरनेट के जरिए कई युवाओं तक पहुंच रहे हैं.'

मई में मारे गए 27 आतंकी : हालांकि, अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियां ​​भी जवाबी कार्रवाई कर रही हैं. कई मुठभेड़ हुई हैं और गिरफ्तारियां भी की गई हैं. अधिकारी ने कहा, 'अकेले मई में घाटी में गोलीबारी के दौरान कुल 27 आतंकवादी मारे गए.' उन्होंने कहा कि उनमें से 17 स्थानीय निवासी थे जबकि 10 विदेशी आतंकी थे. उन्होंने दावा किया कि मई में 22 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया, पांच आतंकवादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया. अधिकारी ने कहा, 'एक अभियान में 15 पिस्तौलें बरामद की गईं. घाटी में नए भर्ती किए गए 12 आतंकवादियों में से चार मारे गए हैं और आठ सक्रिय हैं.' आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल कश्मीर घाटी में 19 नागरिक मारे गए हैं, इनमें 12 सरपंच सहित स्थानीय मुसलमान थे और सात अल्पसंख्यक समुदायों से थे.

पुलिस के मुताबिक 'आतंकियों ने घटनाओं को अंजाम देने के लिए सबसे ज्यादा पिस्तौल का इस्तेमाल किया है. इन हाइब्रिड आतंकियों के ट्रेनिंग और निर्देश भी ऑनलाइन दिए जाते हैं. उन्हें हथियार दूसरे व्यक्ति के माध्यम से भेजा जाता है. वे हत्या को अंजाम देते हैं, पिस्तौल लौटाते हैं और फिर अपनी आम जिंदगी बसर करने लगते हैं.'

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