विल्लुपुरम: तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले के एकयार कुप्पम गांव और चेंगलपट्टू जिले के पुरतरनाई व पेरंबक्कम गांवों के लोगों ने दो दिन पहले जहरीली शराब पी थी. इस घटना में 50 से अधिक को बीमार हुए थे, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया. मंगलवार को इस घटना में मरने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है. जहां विल्लुपुरम जिले में मरने वालों की संख्या 13 हो गई है, वहीं चेंगलपट्टू जिले में यह आंकड़ा 5 तक पहुंच गया है.
अन्य सभी का मुंड्यंबक्कम सरकारी अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों में गहन उपचार चल रहा है. जानकारी के अनुसार मरक्कनम के पास कवाड़ी गांव के रहने वाले सरवनन की मंगलवार को मौत हुई, जिसके बाद कुल मरने वालों की संख्या 19 तक पहुंच गई है. घटना के बारे में जानकारी देते हुए तमिलनाडु के डीजीपी शैलेंद्र बाबू ने कहा कि मौत का कारण मेथनॉल नामक जहरीली शराब थी, जिसे चोरी करके फैक्ट्री से बेचा जाता था.
अब इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की भी एंट्री हो गई है. आयोग ने पहल करते हुए जहर खिलाने का मामला दर्ज कराया है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आयोग ने पाया है कि मीडिया रिपोर्टों की सामग्री, यदि सत्य है, तो यह लोगों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन है. जाहिर है, राज्य सरकार अवैध/नकली शराब की बिक्री और खपत पर रोक लगाने में विफल रही है. तदनुसार, इसने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, तमिलनाडु को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
इसमें पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी की स्थिति, पीड़ितों का चिकित्सा उपचार और पीड़ित परिवारों को दिया गया मुआवजा, यदि कोई हो, शामिल होना चाहिए. आयोग इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार दोषी अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में भी जानना चाहेगा. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अरक के रूप में बेची जाने वाली अवैध शराब, मेथनॉल, रसायन और पानी का एक कॉकटेल थी और ज्यादातर तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों के मछुआरों द्वारा इसका सेवन किया जाता है.