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कोविड-19 से अनाथ हुए बच्चों को पांच लाख की सहायता, मुफ्त शिक्षा देगी तमिलनाडु सरकार

कोरोना वायरस के कारण अनाथ हुए या अपने माता-पिता में से एक को भी खोने वाले बच्चों को तमिलनाडु सरकार ने पांच लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की है. इसके अलावा शिक्षा और अन्य लाभ भी दिए जाएंगे. पढ़ें पूरी खबर.

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Published : May 29, 2021, 4:52 PM IST

मिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन
मिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन

चेन्नई : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने घोषणा की है कि कोरोना वायरस के कारण अनाथ हुए या अपने माता-पिता में से एक को भी खोने वाले बच्चों के लिये पांच लाख रुपये की सहायता दी जाएगा.

इसके साथ ही प्रदेश सरकार उन बच्चों की स्नातक तक पढ़ाई का खर्च भी उठाएगी.

यहां जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि जिलाधिकारी के नेतृत्व में एक विशेष कार्यबल पहले ही गठित किया जा चुका है जिससे उन बच्चों का पता लगाया जा सके जिनके माता-पिता की बीमारी से मौत हो चुकी है और उन्हें सहायता उपलब्ध कराई जा सके.

ऐसे असहाय बच्चों के संरक्षण के लिये मुख्यमंत्री ने सरकारी अधिकारियों को राहत पहुंचाने के लिये कहा है. मुख्यमंत्री द्वारा शनिवार को यहां सचिवालय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद यह फैसला लिया गया.

विज्ञप्ति के मुताबिक ऐसे बच्चों के नाम से पांच लाख रुपये जमा कराए जाएंगे और यह रकम उनके 18 साल के पूरा होने पर उन्हें ब्याज के साथ मिलेगी.

छात्रावासों में ठहरने की व्यवस्था

जिन बच्चों के माता-पिता दोनों की मौत बीमारी से हो गई है उन्हें सरकारी आश्रय गृहों या छात्रावासों में ठहरने की व्यवस्था के लिहाज से प्राथमिकता दी जाएगी।

ऐसे बच्चों के ठहरने से लेकर स्नातक तक की पढ़ाई करने तक सारे खर्च सरकार उठाएगी. इसके अलावा ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु महामारी से हो गई है, उन्हें तात्कालिक सहायता के तौर पर तीन लाख रुपये दिये जाएंगे.

पढ़ें- बच्चों के टीकाकरण की याचिका पर उच्च न्यायालय ने केंद्र, दिल्ली सरकार से जवाब मांगा

जिन बच्चों की परवरिश रिश्तेदार या अभिभावक द्वारा की जाएगी उन्हें बच्चे के 18 साल का होने तक इसके लिये तीन हजार रुपये का मासिक भत्ता दिया जाएगा.

(इनपुट-भाषा)

चेन्नई : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने घोषणा की है कि कोरोना वायरस के कारण अनाथ हुए या अपने माता-पिता में से एक को भी खोने वाले बच्चों के लिये पांच लाख रुपये की सहायता दी जाएगा.

इसके साथ ही प्रदेश सरकार उन बच्चों की स्नातक तक पढ़ाई का खर्च भी उठाएगी.

यहां जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि जिलाधिकारी के नेतृत्व में एक विशेष कार्यबल पहले ही गठित किया जा चुका है जिससे उन बच्चों का पता लगाया जा सके जिनके माता-पिता की बीमारी से मौत हो चुकी है और उन्हें सहायता उपलब्ध कराई जा सके.

ऐसे असहाय बच्चों के संरक्षण के लिये मुख्यमंत्री ने सरकारी अधिकारियों को राहत पहुंचाने के लिये कहा है. मुख्यमंत्री द्वारा शनिवार को यहां सचिवालय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद यह फैसला लिया गया.

विज्ञप्ति के मुताबिक ऐसे बच्चों के नाम से पांच लाख रुपये जमा कराए जाएंगे और यह रकम उनके 18 साल के पूरा होने पर उन्हें ब्याज के साथ मिलेगी.

छात्रावासों में ठहरने की व्यवस्था

जिन बच्चों के माता-पिता दोनों की मौत बीमारी से हो गई है उन्हें सरकारी आश्रय गृहों या छात्रावासों में ठहरने की व्यवस्था के लिहाज से प्राथमिकता दी जाएगी।

ऐसे बच्चों के ठहरने से लेकर स्नातक तक की पढ़ाई करने तक सारे खर्च सरकार उठाएगी. इसके अलावा ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु महामारी से हो गई है, उन्हें तात्कालिक सहायता के तौर पर तीन लाख रुपये दिये जाएंगे.

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जिन बच्चों की परवरिश रिश्तेदार या अभिभावक द्वारा की जाएगी उन्हें बच्चे के 18 साल का होने तक इसके लिये तीन हजार रुपये का मासिक भत्ता दिया जाएगा.

(इनपुट-भाषा)

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