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तमिलनाडु विस ने प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति से राज्यपाल के विधेयकों को मंजूरी देने की समय सीमा तय करने का किया आग्रह

तमिलनाडु में मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच विवाद काफी समय से चला आ रहा है. राज्यपाल के पास कई विधेयक लंबित हैं.

Etv Bharat MK Stalin
Etv Bharat सीएम स्टालिन
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Published : Apr 10, 2023, 2:04 PM IST

चेन्नई: तमिलनाडु विधानसभा ने सोमवार को एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र और राष्ट्रपति से राज्यों के राज्यपालों के लिए संबंधित सदनों द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने के लिए एक समय सीमा तय करने का आग्रह किया. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा पेश किए गए इस प्रस्ताव को सदन द्वारा पारित किया गया. इसमें राष्ट्रपति और केंद्र से तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि को समयबद्ध तरीके से राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को अपनी सहमति देने की 'सलाह' देने का अनुरोध भी किया गया है.

सरकार ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है, जब तमिलनाडु को एनईईटी (राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा) के दायरे से छूट देने और ऑनलाइन जुए पर प्रतिबंध लगाने सहित कई विधेयक राज्यपाल की सहमति के लिए राजभवन में लंबित हैं. स्टालिन ने विधेयक पेश करते हुए राज्यपाल पर निशाना साधा और कहा कि रवि अपनी 'सनक' के कारण कुछ विधेयकों को मंजूरी नहीं दे रहे हैं.

विधेयक पेश करते समय विपक्षी दल ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के विधायक सदन में मौजूद नहीं थे. के. पलानीस्वामी नीत पार्टी ने पहले ही एक अन्य मुद्दे पर सदन से बहिर्गमन किया था. वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्यपाल के मुद्दे पर सदन से बहिर्गमन किया.

पढ़ें: तमिलनाडु के राज्यपाल विवादों से घिरे, सीएम स्टालिन ने अपने विधायकों को आलोचना करने से रोका

बता दें, इस महीने की शुरुआत में तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने सिविल सेवा उम्मीदवारों के साथ बातचीत करते हुए, संविधान में राज्यपाल की भूमिका की व्याख्या की और कहा कि उनके पास विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को सहमति देने या वापस लेने का विकल्प है, और कहा कि उत्तरार्द्ध का अर्थ है 'बिल का कोई औचित्य नहीं है. राज्यपाल ने कहा कि 'रोकना' एक 'सभ्य भाषा' है जिसका उपयोग विधेयक को अस्वीकार करने के लिए किया जाता है.

चेन्नई: तमिलनाडु विधानसभा ने सोमवार को एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र और राष्ट्रपति से राज्यों के राज्यपालों के लिए संबंधित सदनों द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने के लिए एक समय सीमा तय करने का आग्रह किया. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा पेश किए गए इस प्रस्ताव को सदन द्वारा पारित किया गया. इसमें राष्ट्रपति और केंद्र से तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि को समयबद्ध तरीके से राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को अपनी सहमति देने की 'सलाह' देने का अनुरोध भी किया गया है.

सरकार ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है, जब तमिलनाडु को एनईईटी (राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा) के दायरे से छूट देने और ऑनलाइन जुए पर प्रतिबंध लगाने सहित कई विधेयक राज्यपाल की सहमति के लिए राजभवन में लंबित हैं. स्टालिन ने विधेयक पेश करते हुए राज्यपाल पर निशाना साधा और कहा कि रवि अपनी 'सनक' के कारण कुछ विधेयकों को मंजूरी नहीं दे रहे हैं.

विधेयक पेश करते समय विपक्षी दल ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के विधायक सदन में मौजूद नहीं थे. के. पलानीस्वामी नीत पार्टी ने पहले ही एक अन्य मुद्दे पर सदन से बहिर्गमन किया था. वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्यपाल के मुद्दे पर सदन से बहिर्गमन किया.

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बता दें, इस महीने की शुरुआत में तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने सिविल सेवा उम्मीदवारों के साथ बातचीत करते हुए, संविधान में राज्यपाल की भूमिका की व्याख्या की और कहा कि उनके पास विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को सहमति देने या वापस लेने का विकल्प है, और कहा कि उत्तरार्द्ध का अर्थ है 'बिल का कोई औचित्य नहीं है. राज्यपाल ने कहा कि 'रोकना' एक 'सभ्य भाषा' है जिसका उपयोग विधेयक को अस्वीकार करने के लिए किया जाता है.

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