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शिक्षण संस्थानों के पास नशा बिक्री रोकने को कड़े कदम उठाएं राज्य : केंद्र

कई राज्यों में शिक्षण संस्थानों के पास नशा बेचने के मामले सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने चिंता जताई है. केंद्र ने राज्यों को पत्र भेजकर इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं (Take action to stop selling of drugs). ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

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गृह मंत्रालय
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Published : Jan 7, 2023, 8:42 PM IST

Updated : Jan 7, 2023, 9:30 PM IST

नई दिल्ली : ड्रग रैकेट से जुड़े लोग स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों को निशाना बनाते हैं, इनके आसपास नशा बेचते हैं (drug cartels keep targeting schools and educational institutions). इस पर केंद्र सरकार ने चिंता जताई है. केंद्र ने सभी राज्य सरकारों से स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों के आसपास के क्षेत्रों में ड्रग्स की बिक्री को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करने को कहा है, ताकि छात्रों व युवाओं को नशे की लत में फंसने से रोका जा सके.

हाल ही में सभी राज्य सरकारों को भेजे गए एक पत्र में गृह मंत्रालय ने उन्हें नशीली दवाओं के खतरे से लड़ने के लिए सभी राज्य और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के साथ संयुक्त दृष्टिकोण बनाने के लिए कहा है.

इस घटनाक्रम से जुड़े एक अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग के अधिकतम मामलों वाले सभी राज्यों को बच्चों के बीच नशीली दवाओं और मादक द्रव्यों के सेवन और अवैध तस्करी की रोकथाम को लागू करने के लिए कहा गया है. ये बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय आयोग (NCPCR) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की संयुक्त कार्ययोजना है.

बच्चों द्वारा नशीले पदार्थों के रूप में उपयोग की जाने वाली दवाओं, पदार्थों और वस्तुओं के रूपों की पहुंच को रोकने के लिए राज्यों को रणनीतिक कदम उठाने को कहा गया है. अधिकारी ने कहा कि 'कई राज्य सरकारों से नशीली दवाओं के खतरे से लड़ने के लिए समर्पित एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन करने को कहा गया है.'

सरकारी आंकड़ों के अनुसार 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने ऐसे एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन किया है जिसमें बिहार, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, मेघालय, मणिपुर, गोवा, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर, केरल, महाराष्ट्र, मिजोरम, सिक्किम, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, तेलंगाना और तमिलनाडु शामिल हैं. राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड ने पिछले साल एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन किया है.

अधिकारी ने बताया, 'असम और झारखंड में भी इस तरह के टास्क फोर्स के गठन के लिए आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी गई है. जबकि अन्य राज्यों को भी एक समर्पित एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के गठन के लिए राजी किया गया है.'

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने इससे पहले 272 जिलों की सूची तैयार की थी जो ड्रग सप्लाई की दृष्टि से संवेदनशील हैं. ऐसे जिलों पर फोकस कर 2020-21 में कार्ययोजना तैयार की गई. सरकार ने सामुदायिक भागीदारी व जन सहयोग की रणनीति बनाई.

एनसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हालांकि कई राज्य सरकारें ड्रग कारोबार के खिलाफ कड़ी लड़ाई लड़ने में सक्षम हैं, लेकिन यह अभी भी हो रहा है.' एनसीबी के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान के लगभग सभी 33 जिले ड्रग्स से प्रभावित हैं. अन्य राज्यों की बात की जाए तो हरियाणा के 10 जिले, मध्य प्रदेश के 15, दिल्ली के 10, ओडिशा के नौ, पंजाब के 19, उत्तर प्रदेश के 33, जम्मू कश्मीर के 10 और झारखंड के 12 जिले नशीली दवाओं के खतरे से ग्रस्त है.

पढ़ें- फाजिल्का पुलिस ने बरामद की करोड़ों रुपये की हेरोइन, 2 नशा तस्कर गिरफ्तार

नई दिल्ली : ड्रग रैकेट से जुड़े लोग स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों को निशाना बनाते हैं, इनके आसपास नशा बेचते हैं (drug cartels keep targeting schools and educational institutions). इस पर केंद्र सरकार ने चिंता जताई है. केंद्र ने सभी राज्य सरकारों से स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों के आसपास के क्षेत्रों में ड्रग्स की बिक्री को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करने को कहा है, ताकि छात्रों व युवाओं को नशे की लत में फंसने से रोका जा सके.

हाल ही में सभी राज्य सरकारों को भेजे गए एक पत्र में गृह मंत्रालय ने उन्हें नशीली दवाओं के खतरे से लड़ने के लिए सभी राज्य और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के साथ संयुक्त दृष्टिकोण बनाने के लिए कहा है.

इस घटनाक्रम से जुड़े एक अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग के अधिकतम मामलों वाले सभी राज्यों को बच्चों के बीच नशीली दवाओं और मादक द्रव्यों के सेवन और अवैध तस्करी की रोकथाम को लागू करने के लिए कहा गया है. ये बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय आयोग (NCPCR) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की संयुक्त कार्ययोजना है.

बच्चों द्वारा नशीले पदार्थों के रूप में उपयोग की जाने वाली दवाओं, पदार्थों और वस्तुओं के रूपों की पहुंच को रोकने के लिए राज्यों को रणनीतिक कदम उठाने को कहा गया है. अधिकारी ने कहा कि 'कई राज्य सरकारों से नशीली दवाओं के खतरे से लड़ने के लिए समर्पित एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन करने को कहा गया है.'

सरकारी आंकड़ों के अनुसार 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने ऐसे एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन किया है जिसमें बिहार, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, मेघालय, मणिपुर, गोवा, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर, केरल, महाराष्ट्र, मिजोरम, सिक्किम, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, तेलंगाना और तमिलनाडु शामिल हैं. राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड ने पिछले साल एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन किया है.

अधिकारी ने बताया, 'असम और झारखंड में भी इस तरह के टास्क फोर्स के गठन के लिए आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी गई है. जबकि अन्य राज्यों को भी एक समर्पित एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के गठन के लिए राजी किया गया है.'

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने इससे पहले 272 जिलों की सूची तैयार की थी जो ड्रग सप्लाई की दृष्टि से संवेदनशील हैं. ऐसे जिलों पर फोकस कर 2020-21 में कार्ययोजना तैयार की गई. सरकार ने सामुदायिक भागीदारी व जन सहयोग की रणनीति बनाई.

एनसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हालांकि कई राज्य सरकारें ड्रग कारोबार के खिलाफ कड़ी लड़ाई लड़ने में सक्षम हैं, लेकिन यह अभी भी हो रहा है.' एनसीबी के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान के लगभग सभी 33 जिले ड्रग्स से प्रभावित हैं. अन्य राज्यों की बात की जाए तो हरियाणा के 10 जिले, मध्य प्रदेश के 15, दिल्ली के 10, ओडिशा के नौ, पंजाब के 19, उत्तर प्रदेश के 33, जम्मू कश्मीर के 10 और झारखंड के 12 जिले नशीली दवाओं के खतरे से ग्रस्त है.

पढ़ें- फाजिल्का पुलिस ने बरामद की करोड़ों रुपये की हेरोइन, 2 नशा तस्कर गिरफ्तार

Last Updated : Jan 7, 2023, 9:30 PM IST
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