नई दिल्ली: भारत ने म्यांमार के अधिकारियों से उनकी धरती पर डेरा डाले पूर्वोत्तर स्थित आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की अपील की है. हाल ही में म्यांमार के शीर्ष अधिकारियों के साथ एक संवाद में बताया गया कि कई विद्रोही संगठनों के सदस्य मणिपुर हिंसा को बढ़ावा देने में सक्रिय रूप से शामिल हैं.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने शनिवार को ईटीवी भारत को बताया, 'हमारी सरकार ने म्यांमार के अधिकारियों को खुफिया रिपोर्टों के बारे में सूचित किया है कि म्यांमार में स्थित कई विद्रोही संगठन मणिपुर में चल रही हिंसा में शामिल हैं. उनसे ऐसी भारत विरोधी गतिविधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा गया है.'
गौरतलब है कि पिछले महीने म्यांमार के विदेश मंत्री थान स्वे के साथ अपनी मुलाकात के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मणिपुर में भारत और म्यांमार के बीच आम सीमा में गड़बड़ी पर चर्चा की थी, जहां जातीय संघर्ष के दौरान उग्रवादी भारी हथियारों के साथ सीमा पार कर जाते हैं.
कुल 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार सीमा में से, मणिपुर की 400 किलोमीटर की सीमा म्यांमार के साथ लगती है. विडंबना यह है कि म्यांमार के साथ लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा के 10 प्रतिशत से भी कम हिस्से पर बाड़ लगाई गई है.
इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ने भी मणिपुर में चल रही हिंसा पर सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें बताया गया है कि हिंसा भारत की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने वाली ताकतों ने भड़काई है और समर्थन दिया है.
आईबी ने खुलासा किया है कि मौजूदा हिंसा में शामिल उग्रवादी संगठन चीन निर्मित नोरिनको एनआर 401, नोरिनको सीक्यू 5.56 शॉटगन, असॉल्ट राइफल समेत अन्य का इस्तेमाल कर रहे हैं.
गृह मंत्रालय में सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक, उग्रवादियों को ये अत्याधुनिक हथियार म्यांमार-चीन सीमा पर स्थित ब्लैक मार्केट से मुहैया कराए जाते हैं. अधिकारी ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 'ऐसी गतिविधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की तत्काल आवश्यकता है.'
आईबी रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले सप्ताह चंदेल जिले में मारे गए कुछ आतंकवादियों के पास से बरामद हथियारों से इस तथ्य की पुष्टि हुई कि आतंकवादी चीन निर्मित हथियारों का उपयोग कर रहे हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी आकाओं के सक्रिय समर्थन से, अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में कई विद्रोही संगठनों ने अत्याधुनिक हथियार और गोला-बारूद खरीदना शुरू कर दिया है. आईबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पूर्वोत्तर उग्रवादी संगठनों के कई वरिष्ठ सदस्य पहले ही चीनी क्षेत्र में शरण ले चुके हैं.
अधिकारी ने कहा कि 'हालांकि, म्यांमार की सीमा से लगे चीनी क्षेत्र में शरण लेने के अलावा, यांगून, मांडले और सागांग सहित म्यांमार के कई स्थान पूर्वोत्तर स्थित विद्रोही संगठनों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन गए हैं.