नई दिल्ली : फिल्म 'काली' से जुड़े पोस्टर विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रविवार को अपने भाषण में मां काली का जिक्र करते हुए कहा कि स्वामी रामकृष्ण परमहंस एक ऐसे संत थे, जिन्होंने मां काली के स्पष्ट दर्शन किए. पीएम मोदी रविवार को स्वामी आत्मस्थानानंद के शताब्दी समारोह को संबोधित कर रहे थे. प्रधानमंत्री ने कहा, 'स्वामी रामकृष्ण परमहंस एक ऐसे संत थे, जिन्होंने मां काली का स्पष्ट दर्शन किया था, जिन्होंने मां काली के चरणों में अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया था. वो कहते थे- ये सम्पूर्ण जगत, ये चर-अचर, सब कुछ मां की चेतना से व्याप्त है. यह चेतना बंगाल की काली पूजा में दिखती है. यही चेतना पूरे भारत की आस्था में दिखती है और जब आस्था इतनी पवित्र होती है तो शक्ति हमारा पथ प्रदर्शन करती है.'
पीएम मोदी ने कहा, 'मां काली का असीमित और असीम आशीर्वाद हमेशा भारत के साथ है. भारत इसी आध्यात्मिक ऊर्जा को लेकर आज विश्व कल्याण की भावना से आगे बढ़ रहा है.' प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद को भी मां काली की जो अनुभूति हुई, उनके जो आध्यात्मिक दर्शन हुए, उसने विवेकानंद में असाधारण ऊर्जा का संचार किया. उनकी बातों में भी मां काली की चर्चा होती रहती थी.
प्रधानमंत्री ने स्वामी आत्मस्थानानंद के साथ बिताए समय को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'यह आयोजन कई भावनाओं और यादों से भरा हुआ है. मुझे हमेशा उनका आशीर्वाद मिला है, उनके साथ रहने का अवसर मिला. यह मेरा सौभाग्य है कि मैं अंतिम क्षण तक उनके संपर्क में रहा.' मोदी ने कहा कि सैकड़ों साल पहले के आदि शंकराचार्य हों या आधुनिक समय में स्वामी विवेकानंद, भारत की संत परंपरा हमेशा 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' का नेतृत्व करती रही है.
डिजिटल इंडिया का उदाहरण लेते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में एक विश्व नेता के रूप में उभरा है. प्रधानमंत्री ने भारत के लोगों को 200 करोड़ वैक्सीन खुराक देने की उपलब्धियों पर भी रोशनी डाली. उन्होंने कहा, 'ये उदाहरण इस बात का प्रतीक हैं कि जब विचार अच्छे होते हैं तो प्रयास पूरा होने में देर नहीं लगती और बाधाएं हमारा रास्ता नहीं रोक सकती.
हमारे गांव न केवल बदलाव ला सकते हैं, बल्कि बदलाव का नेतृत्व भी कर सकते हैं - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि हमारे गांवों ने दिखाया है कि गांव न केवल बदलाव ला सकते हैं, बल्कि बदलाव का नेतृत्व भी कर सकते हैं. प्रधानमंत्री गुजरात के सूरत में आयोजित 'प्राकृतिक खेती सम्मेलन' को वर्चुअल तौर पर संबोधित कर रहे थे. कॉन्क्लेव में हजारों किसानों और अन्य सभी हितधारकों की भागीदारी देखी जा रही है, जिन्होंने सूरत में प्राकृतिक खेती को अपनाना एक सफलता की कहानी बना दिया है.
-
Addressing the Natural Farming Conclave. https://t.co/p2TaB5o2QV
— Narendra Modi (@narendramodi) July 10, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">Addressing the Natural Farming Conclave. https://t.co/p2TaB5o2QV
— Narendra Modi (@narendramodi) July 10, 2022Addressing the Natural Farming Conclave. https://t.co/p2TaB5o2QV
— Narendra Modi (@narendramodi) July 10, 2022
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब लोगों की भागीदारी के बल पर बड़ी परियोजनाएं शुरू की जाती हैं तो उनकी सफलता देश के लोगों द्वारा ही सुनिश्चित की जाती है. उन्होंने जल जीवन मिशन (जेजेएम) का उदाहरण दिया जहां लोगों को परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका दी गई थी. इसी तरह 'डिजिटल इंडिया मिशन' की असाधारण सफलता भी उन लोगों के लिए देश का जवाब है, जो कहते थे कि गांव में बदलाव लाना आसान नहीं है. हमारे गांवों ने दिखाया है कि गांव न केवल बदलाव ला सकते हैं, बल्कि बदलाव का नेतृत्व भी कर सकते हैं.
प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि प्राकृतिक खेती के संबंध में जन आंदोलन (जन आंदोलन) भी आने वाले दिनों में एक बड़ी सफलता होगी और कहा कि जो किसान इस आंदोलन से जल्दी जुड़ जाएंगे उन्हें बहुत लाभ होगा. उन्होंने कहा, 'आज का कार्यक्रम इस बात का संकेत है कि कैसे गुजरात अमृत काल के लक्ष्यों को प्राप्त करने के देश के संकल्प का नेतृत्व कर रहा है. हर पंचायत के 75 किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने में सूरत की सफलता पूरे देश के लिए एक मिसाल बनने जा रही है.'
प्रधानमंत्री ने कहा, 'आजादी के 75 साल के सिलसिले में देश ने कई लक्ष्यों पर काम करना शुरू कर दिया है जो आने वाले समय में बड़े बदलाव का आधार बनेगा. देश की प्रगति और गति का आधार 'सबका प्रयास' की भावना है, जो हमारी इस विकास यात्रा का नेतृत्व कर रही है और इसीलिए 'ग्राम पंचायतों' को गरीबों और वंचितों के लिए कल्याणकारी परियोजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका दी गई है.'
उन्होंने कहा, 'भारत प्रकृति और संस्कृति से एक कृषि आधारित देश रहा है. इसलिए, जैसे-जैसे हमारा किसान आगे बढ़ेगा, हमारी कृषि आगे बढ़ेगी और समृद्ध होगी, वैसे ही हमारा देश भी प्रगति करेगा.' उन्होंने किसानों को याद दिलाया कि प्राकृतिक खेती समृद्धि का साधन होने के साथ-साथ हमारी धरती मां का सम्मान और सेवा भी है. प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया एक स्थायी जीवन शैली के बारे में बात कर रही है. उन्होंने कहा, 'यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां भारत ने सदियों से दुनिया का नेतृत्व किया है, इसलिए अब समय आ गया है कि हम प्राकृतिक खेती के रास्ते पर आगे बढ़ें और उभर रहे वैश्विक अवसरों का पूरा फायदा उठाएं.'
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती को नमामि गंगे परियोजना से जोड़ा गया है क्योंकि गंगा नदी के किनारे प्राकृतिक कृषि गलियारा बनाने के लिए अलग से अभियान चलाया गया है. प्रधानमंत्री ने प्रतिभागियों को प्राकृतिक खेती की उपज के प्रमाणीकरण के लिए गुणवत्ता आश्वासन प्रणाली के बारे में भी बताया. उन्होंने यह भी कहा कि प्रमाणित उत्पादों की अच्छी कीमत मिल रही है जब किसान उन्हें निर्यात करते हैं.
ये भी पढ़ें - 16 हजार करोड़ की सौगात लेकर झारखंड आएंगे पीएम मोदी, 12 जुलाई को एयरपोर्ट समेत कई योजनाओं का करेंगे उद्घाटन-शिलान्यास