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बिहार में टूट सकता है BJP और JDU का गठबंधन, नीतीश ने बुलाई विधायकों की बैठक - नीतीश कुमार न्यूज़

पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के जेडीयू छोड़ते ही बिहार में राजनीतिक अटकलबाजी तेज हो गई है. जेडीयू किसी भी संभावित टूट को रोकने के लिए कोई बड़ा खेला (Suspense On BJP JDU Alliance In Bihar) कर सकता है. माना जा रहा है कि आरसीपी के जाने से पार्टी में कोई बड़ी फूट हो, उससे पहले ही नीतीश कुमार अपनी पार्टी को मजबूत करने में जुट गए हैं, क्योंकि वो नहीं चाहते हैं कि बिहार का हाल महाराष्ट्र जैसा हो.

बिहार में राजनीतिक संकट
बिहार में राजनीतिक संकट
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Published : Aug 8, 2022, 11:23 AM IST

Updated : Aug 8, 2022, 12:21 PM IST

पटनाः पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के जेडीयू से इस्तीफा देते ही बिहार की राजनीति (Politics Of Bihar) में हलचल तेज हो गई है. एनडीए में ऑल इज वेल की बात करने वाले नेता भी किसी बड़े उलटफेर से इंकार नहीं कर रहे हैं. इस वक्त जो परिस्थिति बनी है, उसमें बिहार की तीन राजनीतिक पार्टियां गहरे मंथन और विचार के लिए तैयार हो गई हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अगले दो दिनों में राज्य में 4 महत्वपूर्ण दलों के विधायक दल की बैठक होगी. जिनमें आरजेडी, जेडीयू, कांग्रेस और जीतनराम मांझी की हम ने अपने-अपने विधायकों की बैठक बुलाई है. वहीं, सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Called MLA MP Meeting) भी अपने विधायकों और सांसदों के साथ बैठक करेंगे. मंगलवार को आरजेडी ने भी राबड़ी देवी के आवास पर विधायकों की बैठक बुलाई है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी 'हम' ने भी अपने विधायक दल की बैठक बुलाई है. अंदरखाने से जो बात निकल कर सामने आ रही है, उसके मुताबिक 11 अगस्त से पहले बिहार में 'खेला' होकर रहेगा.

ये भी पढ़ेंः JDU में हलचल तेज: कल से सीएम नीतीश करेंगे MP और MLA संग दो दिनों तक बैठक

जेडीयू 'पुष्पा' की तरह झुकने को तैयार नहींः बिहार में भले ही जेडीयू का शीर्ष नेतृत्व कह रहा हो कि एनडीए में सब ठीक है, लेकिन जिस तरह बीजेपी और जेडीयू में बयानबाजी और तल्खी बढ़ी है, उससे साफ है कि बिहार में कुछ न कुछ सियासी खिचड़ी पक रही है. इन कयासों को इसलिए भी बल मिल रहा है, क्योंकि नीतीश भी लगातार बीजेपी के शीर्ष नेताओं से 'उचित दूरी' बनाए हुए हैं. चाहे बात 24 घंटे पहले हुई नीति आयोग की बैठक की करें या पिछले महीने की 30-31 जुलाई को हुई बीजेपी की सातों मोर्चे की बैठक हो. जेपी नड्डा और अमित शाह जैसे आला नेता बिहार आए लेकिन नीतीश उन नेताओं से नहीं मिले. हालांकि इसको लेकर सीएम के कोरोना संक्रमित होने का हवाला दिया गया. शाह ने घोषणा भी कर दी कि 2024-25 का चुनाव जेडीयू के गठबंधन में लड़ेंगे, लेकिन जेडीयू है कि 'पुष्पा' की तरह झुकने को तैयार ही नहीं है. जेडीयू ने बीजेपी के सातों मोर्चे की बैठक को गंभीरता से लिया और अब वो बिहार में कुछ बड़ा करना चाहता है.

मिलने लगे जेडीयू में टूट के संकेतः नीतीश कुमार कोरोना से उबरकर बाहर आ चुके हैं. आते ही आरसीपी की अकूत संपत्ति इकट्ठा करने के मामले में पार्टी की तरफ से कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया. जिसके बाद आरसीपी ने भी बिना देरी किए पार्टी का प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. इसी के साथ जेडीयू में टूट के संकेत भी मिलने लगे. उधर नीति आयोग की बैठक में सीएम ने नहीं जाकर जहां मैसेज पहुंचाना था, पहुंचा दिया. इन संकेतों पर बीजेपी समझती है तो बात बन जाएगी, नहीं तो आरजेडी सब कुछ समझे हुए बैठा है. खबर तो ये भी है कि आरजेडी ने अपने विधायकों को 12 अगस्त तक पटना ना छोड़ने की ताकीद की है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नीतीश कुमार ने सोनिया गांधी से भी संपर्क साधा है. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है. तमाम संकेतों से बीजेपी नेताओं के दिल की धड़कनें बढ़ी हुई हैं.

कभी अच्छे नहीं रहे बीजेपी-जेडीयू के संबंधः दरअसल बिहार में 2020 में एनडीए की सरकार बनने के बाद से ही भाजपा और जेडीयू के बीच सब कुछ ठीक नहीं रहा. भले ही दोनों पार्टी के शीर्ष नेता इससे इंकार करते रहे. कई बार ऐसा हुआ कि नीतीश कुमार एनडीए के बड़े कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए तो, कभी बीजेपी नेताओं ने अपनी सरकार पर अंगुली उठाकर नीतीश को नीचा दिखाने की कोशिश की. हाल के दिनों में देखें तो 17 जुलाई को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में 'हर घर तिरंगा' अभियान को लेकर मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई गई थी, इसमें नीतीश कुमार नहीं शामिल हुए. इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के विदाई भोज में भी आमंत्रण के बावजूद नीतीश कुमार नहीं पहुंचे. 25 जुलाई को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में भी बिहार के सीएम को बुलाया गया था लेकिन वह नहीं पहुंचे. सबसे महत्वपूर्ण 7 अगस्त को पीएम मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक में शामिल ना होकर नीतीश ने चर्चाओं का बजार गर्म कर दिया.

ये भी पढ़ें- 'ये नीतीश नहीं 'नाश' कुमार हैं, पलटने का मौसम आ गया'- अजय आलोक

फिर आएंगे चाचा भतीजा साथ? अब चर्चा नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के फिर से पाला बदलने की हो रही है. हालांकि राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से लेकर जदयू के कई मंत्रियों ने कहा है कि एनडीए में ऑल इज वेल है. इस बीच जदयू ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने का फैसला भी ले लिया है. पहले विजय चौधरी ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में हम लोग शामिल नहीं हो रहे हैं. उसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी साफ कर दिया कि हम लोग शामिल नहीं होंगे. इसकी कोई जरूरत नहीं है. मुख्यमंत्री ने 2019 में ही फैसला ले लिया था और उस पर हम लोग कायम हैं. वहीं, नीतीश कुमार की बीजेपी नेताओं से दूरी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में जदयू के शामिल नहीं होना और आरसीपी सिंह के बहाने ललन सिंह का बीजेपी पर सीधा अटैक कहानी कुछ और कह रही है. नीतीश कुमार पहले भी पाला बदल चुके हैं. इसीलिए बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के कारण फिर से कयास लगने लगे हैं कि बिहार में भाजपा-जेडीयू गठबंधन की सरकार गिर जाएगी.

पटनाः पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के जेडीयू से इस्तीफा देते ही बिहार की राजनीति (Politics Of Bihar) में हलचल तेज हो गई है. एनडीए में ऑल इज वेल की बात करने वाले नेता भी किसी बड़े उलटफेर से इंकार नहीं कर रहे हैं. इस वक्त जो परिस्थिति बनी है, उसमें बिहार की तीन राजनीतिक पार्टियां गहरे मंथन और विचार के लिए तैयार हो गई हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अगले दो दिनों में राज्य में 4 महत्वपूर्ण दलों के विधायक दल की बैठक होगी. जिनमें आरजेडी, जेडीयू, कांग्रेस और जीतनराम मांझी की हम ने अपने-अपने विधायकों की बैठक बुलाई है. वहीं, सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Called MLA MP Meeting) भी अपने विधायकों और सांसदों के साथ बैठक करेंगे. मंगलवार को आरजेडी ने भी राबड़ी देवी के आवास पर विधायकों की बैठक बुलाई है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी 'हम' ने भी अपने विधायक दल की बैठक बुलाई है. अंदरखाने से जो बात निकल कर सामने आ रही है, उसके मुताबिक 11 अगस्त से पहले बिहार में 'खेला' होकर रहेगा.

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जेडीयू 'पुष्पा' की तरह झुकने को तैयार नहींः बिहार में भले ही जेडीयू का शीर्ष नेतृत्व कह रहा हो कि एनडीए में सब ठीक है, लेकिन जिस तरह बीजेपी और जेडीयू में बयानबाजी और तल्खी बढ़ी है, उससे साफ है कि बिहार में कुछ न कुछ सियासी खिचड़ी पक रही है. इन कयासों को इसलिए भी बल मिल रहा है, क्योंकि नीतीश भी लगातार बीजेपी के शीर्ष नेताओं से 'उचित दूरी' बनाए हुए हैं. चाहे बात 24 घंटे पहले हुई नीति आयोग की बैठक की करें या पिछले महीने की 30-31 जुलाई को हुई बीजेपी की सातों मोर्चे की बैठक हो. जेपी नड्डा और अमित शाह जैसे आला नेता बिहार आए लेकिन नीतीश उन नेताओं से नहीं मिले. हालांकि इसको लेकर सीएम के कोरोना संक्रमित होने का हवाला दिया गया. शाह ने घोषणा भी कर दी कि 2024-25 का चुनाव जेडीयू के गठबंधन में लड़ेंगे, लेकिन जेडीयू है कि 'पुष्पा' की तरह झुकने को तैयार ही नहीं है. जेडीयू ने बीजेपी के सातों मोर्चे की बैठक को गंभीरता से लिया और अब वो बिहार में कुछ बड़ा करना चाहता है.

मिलने लगे जेडीयू में टूट के संकेतः नीतीश कुमार कोरोना से उबरकर बाहर आ चुके हैं. आते ही आरसीपी की अकूत संपत्ति इकट्ठा करने के मामले में पार्टी की तरफ से कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया. जिसके बाद आरसीपी ने भी बिना देरी किए पार्टी का प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. इसी के साथ जेडीयू में टूट के संकेत भी मिलने लगे. उधर नीति आयोग की बैठक में सीएम ने नहीं जाकर जहां मैसेज पहुंचाना था, पहुंचा दिया. इन संकेतों पर बीजेपी समझती है तो बात बन जाएगी, नहीं तो आरजेडी सब कुछ समझे हुए बैठा है. खबर तो ये भी है कि आरजेडी ने अपने विधायकों को 12 अगस्त तक पटना ना छोड़ने की ताकीद की है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नीतीश कुमार ने सोनिया गांधी से भी संपर्क साधा है. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है. तमाम संकेतों से बीजेपी नेताओं के दिल की धड़कनें बढ़ी हुई हैं.

कभी अच्छे नहीं रहे बीजेपी-जेडीयू के संबंधः दरअसल बिहार में 2020 में एनडीए की सरकार बनने के बाद से ही भाजपा और जेडीयू के बीच सब कुछ ठीक नहीं रहा. भले ही दोनों पार्टी के शीर्ष नेता इससे इंकार करते रहे. कई बार ऐसा हुआ कि नीतीश कुमार एनडीए के बड़े कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए तो, कभी बीजेपी नेताओं ने अपनी सरकार पर अंगुली उठाकर नीतीश को नीचा दिखाने की कोशिश की. हाल के दिनों में देखें तो 17 जुलाई को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में 'हर घर तिरंगा' अभियान को लेकर मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई गई थी, इसमें नीतीश कुमार नहीं शामिल हुए. इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के विदाई भोज में भी आमंत्रण के बावजूद नीतीश कुमार नहीं पहुंचे. 25 जुलाई को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में भी बिहार के सीएम को बुलाया गया था लेकिन वह नहीं पहुंचे. सबसे महत्वपूर्ण 7 अगस्त को पीएम मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक में शामिल ना होकर नीतीश ने चर्चाओं का बजार गर्म कर दिया.

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फिर आएंगे चाचा भतीजा साथ? अब चर्चा नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के फिर से पाला बदलने की हो रही है. हालांकि राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से लेकर जदयू के कई मंत्रियों ने कहा है कि एनडीए में ऑल इज वेल है. इस बीच जदयू ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने का फैसला भी ले लिया है. पहले विजय चौधरी ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में हम लोग शामिल नहीं हो रहे हैं. उसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी साफ कर दिया कि हम लोग शामिल नहीं होंगे. इसकी कोई जरूरत नहीं है. मुख्यमंत्री ने 2019 में ही फैसला ले लिया था और उस पर हम लोग कायम हैं. वहीं, नीतीश कुमार की बीजेपी नेताओं से दूरी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में जदयू के शामिल नहीं होना और आरसीपी सिंह के बहाने ललन सिंह का बीजेपी पर सीधा अटैक कहानी कुछ और कह रही है. नीतीश कुमार पहले भी पाला बदल चुके हैं. इसीलिए बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के कारण फिर से कयास लगने लगे हैं कि बिहार में भाजपा-जेडीयू गठबंधन की सरकार गिर जाएगी.

Last Updated : Aug 8, 2022, 12:21 PM IST
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