नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के सस्पेंडेड आईपीएस जीपी सिंह पर बड़ी कार्रवाई की है. जीपी सिंह को कंपलसरी रिटायर कर दिया गया है. यह फैसला जीपी सिंह पर लगे गंभीर आरोपों को लेकर किया गया है. दरअसल 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे गुरजिंदर पाल सिंह के ऊपर भ्रष्टाचार और देशद्रोह के संगीन आरोप है. जीपी सिंह पर आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करना और बड़े पैमाने पर धन के आदान-प्रदान में शामिल होने का आरोप है.
लगातार कई आरोपों से घिरे रहे जीपी सिंह: छत्तीसगढ़ में एसीबी यानि की एंटी करप्शन ब्यूरो के अतिरिक्त महानिदेशक का पद संभालने वाले जीपी सिंह पर जुलाई 2021 से कार्रवाई शुरू हुई थी. उनके घर और कई ठिकानों पर एसीबी ने छापा मारा था. उसके बाद उन पर राजद्रोह सहित कई आरोप लगे. जीपी सिंह पर आरोप है कि उन्होंने अपनी लीगल कमाई से ज्यादा संपत्ति अर्जित की है. आय से अधिक संपत्ति के केस के अलावा उन पर जबरन वसूली जैसे संगीन आरोप भी लगे.
सरकार के खिलाफ साजिश का आरोप: जीपी सिंह पर सरकार के खिलाफ साजिश रचने का भी आरोप लगा. जुलाई 2021 में जीपी सिंह के सरकारी आवास और अन्य ठिकानों में छापेमारी में मिले सबूतों से कई खुलासे हुए. जिसमें यह पता चला था कि जीपी सिंह सरकार के खिलाफ साजिश रच रहे थे. इसलिए उनके ऊपर राजद्रोह का आरोप लगा. उनके यहां से एक डायरी मिली थी. जिसमें विधायकों और अफसरों के खिलाफ बातें लिखी हुई थी. ताकि लोगों के मन में सरकार के प्रति नफरत पैदा हो और राज्य में असंतोष का माहौल बने. जीपी सिंह के अलावा उनके दोस्त के घर से भी कई तरह के दस्तावेज मिले थे.
अवैध उगाही का आरोप: जीपी सिंह पर अवैध उगाही और ब्लैकमेल कर पैसे ऐंठने का भी आरोप लगा. जांच एजेंसियों के मुताबिक जब जीपी सिंह एसीबी प्रमुख थे. तब उन्होंने अवैध वसूली और ब्लैकमेलिंग के जरिए करोड़ों रुपये की प्रॉपर्टी बनाई. अफसरों पर कार्रवाई का डर दिखाकर भी पैसे वसूलने का आरोप जीपी सिंह पर लगा है.
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कैसे हुई जीपी सिंह को जबरन रिटायर करने की कार्रवाई: जीपी सिंह को जबरन रिटायर करने की कार्रवाई एक सीनियर आईपीएस अधिकारियों के पैनल ने की है. बीते साल 2022 में जीपी सिंह को गिरफ्तार किया गया था. उसके बाद उन्हें जेल हुई थी. कुछ महीने जेल में रहने के बाद जीपी सिंह को बेल मिल गई थी. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जीपी सिंह को लेकर तीन सदस्यों की टीम बनाई थी. जिसमें राजस्थान और दिल्ली के आईपीएस थे. नियमों के मुताबिक जो अफसर अगर 20 साल की सेवा पूरी कर चुके हैं या 50 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं. उन्हें अनिवार्य रिटायरमेंट दी जाती है. इसके तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय की कमेटी ने जीपी सिंह को अनिवार्य रूप से रिटायरमेंट देने की मंजूरी दी. जिसके बाद उन्हें कम्पलसरी रिटायरमेंट दिया गया.