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SC ने अन्नाद्रमुक में नेतृत्व विवाद संबंधी अदालत के आदेश पर लगाई रोक

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Published : Jul 6, 2022, 8:37 PM IST

मद्रास हाईकोर्ट ने अन्नाद्रमुक के एकल नेतृत्व के मुद्दे पर पार्टी की आम और कार्यकारी परिषद की बैठक में किसी अघोषित प्रस्ताव पर स्थगनादेश दिया था, जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें उसने पार्टी के एकल नेतृत्व के मुद्दे पर अन्नाद्रमुक की आम और कार्यकारी परिषद की बैठक में किसी अघोषित प्रस्ताव को पारित करने पर स्थगनादेश दिया गया था. जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस कृष्ण मुरारी की अवकाशकालीन पीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ई. के. पलानीस्वामी (ईपीएस) की याचिका पर अन्नाद्रमुक की आम परिषद के सदस्य एम शणमुगम और पार्टी समन्वयक ओ. पनीरसेल्वम को नोटिस भी जारी किए.

पीठ ने कहा कि प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए जाएं, जिन पर दो सप्ताह के भीतर जवाब दिया जाए. मामले के तथ्यों तथा परिस्थितियों, मुकदमे के विषय और हाईकोर्ट के आदेशों को देखते हुए, यह उचित समझा जाता है कि 23 जून 2022 को पारित आदेश के अमल पर रोक लगा दी जाए. शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि 11 जुलाई, 2022 को होने वाली अन्नाद्रमुक की आम परिषद की बैठक कानून के अनुसार आगे बढ़ सकती है.

पीठ ने कहा, 'वर्तमान में, हम अंतरिम प्रकृति के किसी अन्य आदेश को पारित करना आवश्यक नहीं समझते. हाईकोर्ट की पीठ ने आम परिषद की बैठक के संदर्भ में स्थगन आदेश पारित करके अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है.'

पलानीस्वामी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी. एस. वैद्यनाथन ने कहा कि पार्टी की बैठक को लेकर अवमानना ​​याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसके बाद शीर्ष अदालत मामले की पड़ताल करने के लिए सहमत हुई. षणमुगम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि एकल पीठ, जिसने आम परिषद की बैठक पर स्थगन से इनकार कर दिया था, ने आदेश में कोई कारण दर्ज नहीं किया.

पनीरसेल्वम ने 11 जुलाई को यहां पलानीस्वामी गुट द्वारा की जा रही पार्टी की आम परिषद की बैठक को रोकने के लिए मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया था. हाईकोर्ट की खंडपीठ मध्यरात्रि में असाधारण रूप से बैठी थी और 23 जून को सुबह चार बजे आदेश पारित किया था. इसने आदेश दिया था कि अन्नाद्रमुक की आम और कार्यकारी परिषद बैठक में किसी भी अघोषित प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जा सकता है, जिससे संभावित एकल नेतृत्व के मुद्दे पर संयुक्त समन्वयक पलानीस्वामी के नेतृत्व वाले खेमे के इस तरह का कोई भी कदम उठाने पर रोक लग गई थी.

तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी की आम परिषद और कार्यकारिणी की बैठक 23 जून को हुई थी. गत 23 जून को सुबह तक चली सुनवाई में, विशेष खंडपीठ ने पनीरसेल्वम को एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ अपील पर राहत दी थी. इसने कहा था कि बैठक निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हो सकती है और पहले से तय 23 प्रस्तावों को लिया जा सकता है तथा अपनाया जा सकता है.

हाईकोर्ट ने कहा था कि समन्वयक और संयुक्त समन्वयक पदों को खत्म करने और महासचिव पद को बहाल करने के लिए पार्टी उप-नियमों में संशोधन करने से संबंधित कोई अन्य नया प्रस्ताव नहीं लिया जाएगा. इससे पहले 22 जून को रात करीब नौ बजे, हाईकोर्ट की एकल पीठ ने अपने संक्षिप्त आदेश में बैठक की अनुमति दी थी, लेकिन पलानीस्वामी समूह को कोई अन्य नया प्रस्ताव लेने से रोकने से परहेज किया था.

पनीरसेल्वम के नेतृत्व में असंतुष्ट समूह ने एकल पीठ के आदेश के बाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एम एन भंडारी से मुलाकात की थी और आदेश के खिलाफ अपील करने की अनुमति प्राप्त की थी. मुख्य न्यायाधीश ने विशेष बैठक करने और अपील पर सुनवाई के लिए न्यायाधीशों के रूप में जस्टिस एम दुरईस्वामी और जस्टिस सुंदर मोहन की एक पीठ का गठन किया था.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें उसने पार्टी के एकल नेतृत्व के मुद्दे पर अन्नाद्रमुक की आम और कार्यकारी परिषद की बैठक में किसी अघोषित प्रस्ताव को पारित करने पर स्थगनादेश दिया गया था. जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस कृष्ण मुरारी की अवकाशकालीन पीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ई. के. पलानीस्वामी (ईपीएस) की याचिका पर अन्नाद्रमुक की आम परिषद के सदस्य एम शणमुगम और पार्टी समन्वयक ओ. पनीरसेल्वम को नोटिस भी जारी किए.

पीठ ने कहा कि प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए जाएं, जिन पर दो सप्ताह के भीतर जवाब दिया जाए. मामले के तथ्यों तथा परिस्थितियों, मुकदमे के विषय और हाईकोर्ट के आदेशों को देखते हुए, यह उचित समझा जाता है कि 23 जून 2022 को पारित आदेश के अमल पर रोक लगा दी जाए. शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि 11 जुलाई, 2022 को होने वाली अन्नाद्रमुक की आम परिषद की बैठक कानून के अनुसार आगे बढ़ सकती है.

पीठ ने कहा, 'वर्तमान में, हम अंतरिम प्रकृति के किसी अन्य आदेश को पारित करना आवश्यक नहीं समझते. हाईकोर्ट की पीठ ने आम परिषद की बैठक के संदर्भ में स्थगन आदेश पारित करके अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है.'

पलानीस्वामी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी. एस. वैद्यनाथन ने कहा कि पार्टी की बैठक को लेकर अवमानना ​​याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसके बाद शीर्ष अदालत मामले की पड़ताल करने के लिए सहमत हुई. षणमुगम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि एकल पीठ, जिसने आम परिषद की बैठक पर स्थगन से इनकार कर दिया था, ने आदेश में कोई कारण दर्ज नहीं किया.

पनीरसेल्वम ने 11 जुलाई को यहां पलानीस्वामी गुट द्वारा की जा रही पार्टी की आम परिषद की बैठक को रोकने के लिए मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया था. हाईकोर्ट की खंडपीठ मध्यरात्रि में असाधारण रूप से बैठी थी और 23 जून को सुबह चार बजे आदेश पारित किया था. इसने आदेश दिया था कि अन्नाद्रमुक की आम और कार्यकारी परिषद बैठक में किसी भी अघोषित प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जा सकता है, जिससे संभावित एकल नेतृत्व के मुद्दे पर संयुक्त समन्वयक पलानीस्वामी के नेतृत्व वाले खेमे के इस तरह का कोई भी कदम उठाने पर रोक लग गई थी.

तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी की आम परिषद और कार्यकारिणी की बैठक 23 जून को हुई थी. गत 23 जून को सुबह तक चली सुनवाई में, विशेष खंडपीठ ने पनीरसेल्वम को एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ अपील पर राहत दी थी. इसने कहा था कि बैठक निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हो सकती है और पहले से तय 23 प्रस्तावों को लिया जा सकता है तथा अपनाया जा सकता है.

हाईकोर्ट ने कहा था कि समन्वयक और संयुक्त समन्वयक पदों को खत्म करने और महासचिव पद को बहाल करने के लिए पार्टी उप-नियमों में संशोधन करने से संबंधित कोई अन्य नया प्रस्ताव नहीं लिया जाएगा. इससे पहले 22 जून को रात करीब नौ बजे, हाईकोर्ट की एकल पीठ ने अपने संक्षिप्त आदेश में बैठक की अनुमति दी थी, लेकिन पलानीस्वामी समूह को कोई अन्य नया प्रस्ताव लेने से रोकने से परहेज किया था.

पनीरसेल्वम के नेतृत्व में असंतुष्ट समूह ने एकल पीठ के आदेश के बाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एम एन भंडारी से मुलाकात की थी और आदेश के खिलाफ अपील करने की अनुमति प्राप्त की थी. मुख्य न्यायाधीश ने विशेष बैठक करने और अपील पर सुनवाई के लिए न्यायाधीशों के रूप में जस्टिस एम दुरईस्वामी और जस्टिस सुंदर मोहन की एक पीठ का गठन किया था.

(पीटीआई-भाषा)

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