नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने कोरोना कारणों से सिविल सर्विस परीक्षा से चूके उम्मीदवारों को मौका देने के मामले में केंद्र (Central government) व संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) से जवाब मांगा है. अदालत ने दोनों के स्टैंड और उससे संबंधित नियमों व विनियमों के बारे में स्पष्टता के साथ जवाब देने के लिए बुधवार यानी 30 मार्च तक का समय दिया है.
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने एक समूह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की. वे छात्र जो मुख्य परीक्षा नहीं दे सके, क्योंकि वे कोविड पॉजिटिव थे. ऐसे छात्रों के लिए यूपीएससी द्वारा कोई सुविधा नहीं दी गई थी. इन छात्रों ने सभी प्रयास कर लिये हैं. हालांकि वे पॉजिटिव होने के आधार पर अब एक अतिरिक्त प्रयास की मांग कर रहे हैं.
यूपीएससी (Union Public Service Commission) के हलफनामे के अनुसार परीक्षा में कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया गया. लेकिन पॉजिटिव उम्मीदवारों के लिए अलग से कोई प्रावधान नहीं था. उम्मीदवारों की ओर से पेश सीनियर वकील गोपाल शंकरनारायण ने तर्क दिया कि, यहां हम कह रहे हैं कृपया कम से कम उन लोगों के लिए नीति बनाएं जो इस तरह से पीड़ित हैं.
अदालत ने यह माना है कि अलग परीक्षा आयोजित करना संभव नहीं होगा. इस पर उम्मीदवारों ने कहा कि वे इसकी मांग नहीं कर रहे हैं. उन्हें बस अगले साल समायोजित किया जाए. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत से निर्देश प्राप्त करने और फिर अदालत को सूचित करने के लिए समय मांगा. जिसके बाद अदालत ने मामले को बुधवार तक के लिए स्थगित कर दिया.