नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागालैंड में शहरी नगर पालिकाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण लागू करने के संबंध में भाजपा शासित राज्य में कार्रवाई करने में विफल रहने पर केंद्र को फटकार लगाई. सुप्रीम अदालत ने कहा कि आप उन राज्यों के खिलाफ अतिवादी रुख अपनाते हैं, जो आपके प्रति उत्तरदायी नहीं हैं, लेकिन अपनी ही राज्य सरकार के खिलाफ कुछ नहीं करते हैं. कोर्ट ने कहा कि केंद्र नागालैंड महिला आरक्षण मामले से अपना हाथ नहीं झाड़ सकता.
जब केंद्र के वकील ने उत्तर-पूर्व में प्रचलित स्थिति का हवाला दिया, तो शीर्ष अदालत के एक वरिष्ठ न्यायाधीश ने कहा कि मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं, जहां तक न्यायपालिका का सवाल है, जो कुछ हुआ वह बहुत दर्दनाक है. हमें यह नहीं बताना चाहिए कि किसे क्या करना चाहिए था और क्या होना चाहिए था.
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज से कहा कि आप यह नहीं कह सकते कि राजनीतिक रूप से आप एकमत नहीं हैं. राजनीतिक रूप से आप एक ही पृष्ठ पर हैं. यह आपकी सरकार है, आप बच नहीं सकते... मुझे यह मत कहिए कि केंद्र सरकार संविधान को लागू करने की इच्छुक नहीं है, मैं यह कहूंगा, मुझे कोई कठिनाई नहीं है.
न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि केंद्र उस राज्य सरकार के खिलाफ कार्रवाई करता है, जो उसके प्रति उत्तरदायी नहीं है और सवाल किया कि नागालैंड द्वारा कार्यान्वित संवैधानिक योजना की देखरेख में केंद्र ने क्या सक्रिय भूमिका निभाई है? शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य में राजनीतिक व्यवस्था केंद्र में राजनीतिक व्यवस्था के साथ जुड़ी हुई है. मामले में विस्तृत सुनवाई के बाद, शीर्ष अदालत ने नागालैंड सरकार को अंतिम अवसर दिया और मामले को सितंबर के अंत में आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया.