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Supreme Court : SC ने पूर्व सैन्य अधिकारी प्रोफेसर को मणिपुर में उनके खिलाफ दर्ज दो FIR में दंडात्मक कार्रवाई से बचाया - Manipur police

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक रिटायर कर्नल की प्रकाशित पुस्तक के अलावा एक प्रोफेसर के भाषण पर पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर पर कठोर कार्रवाई से राहत प्रदान की है. कोर्ट ने कहा है कि सुनवाई की अगली तारीख तक याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी.

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By PTI

Published : Sep 12, 2023, 3:12 PM IST

Updated : Sep 12, 2023, 5:07 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक सेवानिवृत्त कर्नल को कठोर कार्रवाई से मंगलवार को सुरक्षा प्रदान की, जिनके खिलाफ जनवरी 2022 में प्रकाशित उनकी पुस्तक की सामग्री के आधार पर मणिपुर पुलिस ने एक प्राथमिकी दर्ज की थी. शीर्ष अदालत ने सार्वजनिक तौर पर कथित रूप से दिए भाषण के आधार पर एक प्रोफेसर के खिलाफ दर्ज एक अन्य प्राथमिकी के सिलसिले में उन्हें भी संभावित कठोर कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान की.

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इन अभिवेदनों पर गौर किया कि कोई भी वकील उनके मामलों की सुनवाई करने और मणिपुर हाई कोर्ट में पेश होने के लिए तैयार नहीं है. पीठ ने कहा, 'नोटिस जारी किया जाएगा. हम आपसे यह हलफनामा दाखिल करने को कह रहे हैं कि कोई भी वकील मणिपुर हिंसा मामले में आपके लिए पेश होने का इच्छुक नहीं है. सुनवाई की अगली तारीख तक याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी.'

पूर्व सैन्य अधिकारी वियजकांत चेनजी और प्रोफेसर हेनमिनलुन ने सुरक्षा प्रदान किए जाने और मणिपुर में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकियां खारिज किए जाने का अनुरोध करते हुए अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं. पीठ ने याचिकाकर्ताओं से इस आशय का हलफनामा दायर करने को कहा कि वकील मणिपुर उच्च न्यायालय में उनकी ओर से पेश होने के इच्छुक नहीं हैं. मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 'एक वर्ग द्वारा सीधे उच्चतम न्यायालय जाने का एक चलन' है. उन्होंने पीठ से ऐसी याचिकाओं पर विचार नहीं करने का आग्रह किया, जिन्हें मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा निपटाया जा सकता है.

पीठ ने कहा, 'हमें अपनी तसल्ली करनी होगी कि वकील पेश नहीं हो रहे हैं. हम कानूनी सहायता की भी व्यवस्था कर सकते हैं या हम उच्च न्यायालय के महापंजीयक से रिपोर्ट मांगेंगे.' सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी ने अपनी पुस्तक 'द एंग्लो-कुकी वॉर 1917-1919' के संबंध में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने को चुनौती दी है. इस पुस्तक का विमोचन जनवरी 2022 में किया गया था. हेनमिनलुन के खिलाफ उनके कथित रूप से नफरत भरे भाषणों को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

ये भी पढ़ें - Validity Of Sedition Law : SC ने राजद्रोह कानून वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को संविधान पीठ के पास भेजा

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक सेवानिवृत्त कर्नल को कठोर कार्रवाई से मंगलवार को सुरक्षा प्रदान की, जिनके खिलाफ जनवरी 2022 में प्रकाशित उनकी पुस्तक की सामग्री के आधार पर मणिपुर पुलिस ने एक प्राथमिकी दर्ज की थी. शीर्ष अदालत ने सार्वजनिक तौर पर कथित रूप से दिए भाषण के आधार पर एक प्रोफेसर के खिलाफ दर्ज एक अन्य प्राथमिकी के सिलसिले में उन्हें भी संभावित कठोर कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान की.

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इन अभिवेदनों पर गौर किया कि कोई भी वकील उनके मामलों की सुनवाई करने और मणिपुर हाई कोर्ट में पेश होने के लिए तैयार नहीं है. पीठ ने कहा, 'नोटिस जारी किया जाएगा. हम आपसे यह हलफनामा दाखिल करने को कह रहे हैं कि कोई भी वकील मणिपुर हिंसा मामले में आपके लिए पेश होने का इच्छुक नहीं है. सुनवाई की अगली तारीख तक याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी.'

पूर्व सैन्य अधिकारी वियजकांत चेनजी और प्रोफेसर हेनमिनलुन ने सुरक्षा प्रदान किए जाने और मणिपुर में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकियां खारिज किए जाने का अनुरोध करते हुए अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं. पीठ ने याचिकाकर्ताओं से इस आशय का हलफनामा दायर करने को कहा कि वकील मणिपुर उच्च न्यायालय में उनकी ओर से पेश होने के इच्छुक नहीं हैं. मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 'एक वर्ग द्वारा सीधे उच्चतम न्यायालय जाने का एक चलन' है. उन्होंने पीठ से ऐसी याचिकाओं पर विचार नहीं करने का आग्रह किया, जिन्हें मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा निपटाया जा सकता है.

पीठ ने कहा, 'हमें अपनी तसल्ली करनी होगी कि वकील पेश नहीं हो रहे हैं. हम कानूनी सहायता की भी व्यवस्था कर सकते हैं या हम उच्च न्यायालय के महापंजीयक से रिपोर्ट मांगेंगे.' सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी ने अपनी पुस्तक 'द एंग्लो-कुकी वॉर 1917-1919' के संबंध में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने को चुनौती दी है. इस पुस्तक का विमोचन जनवरी 2022 में किया गया था. हेनमिनलुन के खिलाफ उनके कथित रूप से नफरत भरे भाषणों को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

ये भी पढ़ें - Validity Of Sedition Law : SC ने राजद्रोह कानून वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को संविधान पीठ के पास भेजा

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Sep 12, 2023, 5:07 PM IST
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