नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सरकारी खजाने की रकम कथित रूप से एक गैर सरकारी संगठन में देने से संबंधित सृजन घोटाले के आरोप पत्र में आरोपी के रूप में नामित बिहार लोक सेवा आयोग के पूर्व विशेष सचिव को शुक्रवार को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान कर दिया.
न्यायमूर्ति रोहिन्टन फली नरिमन और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने पटना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ पूर्व विकास उपायुक्त एवं जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रभात कुमार सिन्हा की अपील पर सीबीआई को नोटिस जारी किया. उच्च न्यायालय ने सिन्हा को इस मामले में अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया था.
पीठ ने अपने आदेश में कहा, नोटिस जारी किया जाये. इस दौरान याचिकाकर्ता के खिलाफ किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.
सिन्हा की ओर से अधिवक्ता शोएब आलम ने पीठ से कहा कि इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है और अब हिरासत में लेकर पूछताछ की कोई आवश्यकता नहीं है. सिन्हा राज्य प्रशासनिक सेवा से 34 साल की सेवा के बाद बिहार लोक सेवा आयेाग के विशेष सचिव के पद से 30 सितंबर, 2017 को सेवानिवृत्त हुए हैं.
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सरकार का करीब एक हजार करोड़ रूपए कथित रूप से एक गैर सरकारी संगठन को देने से संबंधित सृजन घोटाले की जांच अगस्त 2017 में अपने हाथ में ली थी.
सिन्हा ने अपनी अपील में कहा है कि उस सरकारी धन के गबन के बारे में उन पर झूठे और निराधार आरोप लगाये गये हैं जिसका उपयोग 13वें वित्त आयोग की योजनाओं के अमल के लिए होना था.
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अपील में कहा गया है कि प्राथमिकी में उसका नाम नहीं था और अब सीबीआई द्वारा 2017 में दर्ज प्राथमिकी में दायर आरोप पत्र में पहली बार आरोपी के रूप में उसका नाम आया है.