नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस (Justice Aniruddha Bose) और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता (Justice Hemant Gupta) ने नारद स्टिंग टेप मामले (narada sting case) में सीबीआई द्वारा चार टीएमसी नेताओं की गिरफ्तारी के दिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee) और राज्य के कानून मंत्री मलय घटक की भूमिका के बारे में उनके द्वारा दायर अपील पर सुनवाई से मंगलवार को खुद को अलग कर लिया.
18 जून को न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा के दौरान दो भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या की सीबीआई/एसआईटी जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. वहीं आज जैसे ही न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति बोस की अवकाशकालीन पीठ दिन की कार्यवाही शुरू करने के लिए एकत्रित हुई, न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा कि उनके समकालीन न्यायाधीश इन अपीलों की सुनवाई से खुद को अलग कर रहे हैं. न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा, 'इसे किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा. भाई बोस को कुछ आपत्तियां हैं.'
यह भी पढ़ें - नारदा स्टिंग केस : ममता की याचिका पर 25 जून को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने कहा कि इस मुद्दे को अब मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना के समक्ष रखा जाएगा जो मामले को एक अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के संबंध में निर्णय लेंगे. पीठ ने कहा कि याचिकाओं को दिन में ही सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है. यह मामला आज दोपहर न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है.
यह अपील कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देती है, जिसने नारद स्टिंग टेप मामले में सीबीआई द्वारा 17 मई को तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं की गिरफ्तारी के दिन बनर्जी और घटक द्वारा अपनी भूमिका पर हलफनामा दाखिल करने से इनकार कर दिया था.