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Anand Mohan Case: बिहार के बाहुबली आनंद मोहन को 'सुप्रीम' राहत, रिहाई केस में 8 अगस्त को होगी सुनवाई - बिहार सरकार ने बदला जेल मैनुअल

बिहार के बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में अगली सुनवाई अब 8 अगस्त को होगी. लेकिन अब किसी को भी वक्त नहीं दिया जाएगा.

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Published : May 19, 2023, 7:51 AM IST

Updated : May 19, 2023, 3:09 PM IST

नई दिल्ली/ पटना: बिहार के बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि अब वो किसी को कीई समय नहीं देंगे. दरअसल गोपालगंज की तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में उनकी रिहाई को लेकर चुनौती दी गई है. जिसमें मांग की गई है कि बिहार सरकार द्वारा जारी किए गए जेल मैनुअल के नोटिफिकेशन को रद्द किया जाए. इस मामले में दायर याचिका के खिलाफ 8 मई को भी सुनवाई हुई थी. आज की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 8 अगस्त की अगली तारीख दी है.

ये भी पढ़ें- Anand Mohan Case: आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ SC में सुनवाई, कोर्ट ने नोटिस जारी कर 2 हफ्तों में मांगा जवा

SC में उमा कृष्णैया की याचिका : गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड के दोषी आनंद मोहन की रिहाई को उमा कृष्णैया ने सुप्रीम कोर्ट के सामने मांग रखी है कि सुप्रीम कोर्ट बिहार सरकार के उस नोटिफिकेशन को रद्द कर दे जिसके तहत जेल मैनुअल में बदलाव करके आनंद मोहन को छोड़ा गया था. नए नियम के मुताबिक ड्यूटी के दौरान किसी लोकसेवक की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले दोषी को 20 साल कैद की जगह 14 साल कर दिया गया. इस बदलाव के चलते आनंद मोहन अपनी सजा के पूरी होने से पहले ही छूट गए.

Anand Mohan Case
ईटीवी भारत GFX

आनंद मोहन के वकील देंगे कोर्ट में दलील: नोटिस में आज आनंद मोहन के वकील अपने मुवक्किल का पक्ष रखेंगे. दोपहर के बाद जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की कोर्ट में सुनवाई होगी. आनंद मोहन के वकील ने अपनी ओर से नोटिस का जवाब भी तैयार कर लिया है. आनंद मोहन के अधिवक्ता की दलील है कि उनकी रिहाई कानून सम्मत है.

बिहार सरकार ने बदला जेल मैनुअल: आरोप है कि बिहार ने आनंद मोहन की सरकार ने रिहाई के लिए जेल मैनुअल में बदलाव किया. जिसके बाद इसी आधार पर 27 अप्रैल को आनंद मोहन समेत 26 कैदियों को रिहा किया गया था. नियम में बदलाव के बाद उन्हें जेल से रिहा करने की प्रक्रिया में प्रशासन ने इतनी तेजी से काम किया किया की जारी की गई लिस्ट में भी कई गड़बड़ी देखने को मिली. एक ओर जहां मृत कैदी के रिहाई के ऑर्डर पास कर दिए गए वहीं दूसरी जेल में रह रहे कैदी की किसी अन्य जेल में दिखाया गया था. इससे लिस्ट पर भी सवाल खड़े होने लगे.

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1994 में हुई थी जी कृष्णैया की हत्या : मुजफ्फरपुर जिले में भीड़ ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या कर दी थी. उन्हें गोली भी मारी गई थी. इस हत्या के ठीक एक दिन पहले यानी 4 दिसंबर 1994 को आनंद मोहन की पार्टी 'बिहार पीपुल्स' के नेता छोटन शुक्ला की हत्या हो गई थी. इससे समर्थक उग्र हो गए थे. समर्थक शव के साथ प्रदर्शन कर रहे थे. इसी दौरान मुजफ्फरपुर के खबरा गांव के पास से गुजर रहे जी कृष्णैया की लालबत्ती लगी गाड़ी को भीड़ ने घेर लिया और उनकी पीट पीटकर हत्या कर दी. इसी मामले में आनंद मोहन पर हत्या का आरोप लगा था.

नई दिल्ली/ पटना: बिहार के बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि अब वो किसी को कीई समय नहीं देंगे. दरअसल गोपालगंज की तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में उनकी रिहाई को लेकर चुनौती दी गई है. जिसमें मांग की गई है कि बिहार सरकार द्वारा जारी किए गए जेल मैनुअल के नोटिफिकेशन को रद्द किया जाए. इस मामले में दायर याचिका के खिलाफ 8 मई को भी सुनवाई हुई थी. आज की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 8 अगस्त की अगली तारीख दी है.

ये भी पढ़ें- Anand Mohan Case: आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ SC में सुनवाई, कोर्ट ने नोटिस जारी कर 2 हफ्तों में मांगा जवा

SC में उमा कृष्णैया की याचिका : गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड के दोषी आनंद मोहन की रिहाई को उमा कृष्णैया ने सुप्रीम कोर्ट के सामने मांग रखी है कि सुप्रीम कोर्ट बिहार सरकार के उस नोटिफिकेशन को रद्द कर दे जिसके तहत जेल मैनुअल में बदलाव करके आनंद मोहन को छोड़ा गया था. नए नियम के मुताबिक ड्यूटी के दौरान किसी लोकसेवक की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले दोषी को 20 साल कैद की जगह 14 साल कर दिया गया. इस बदलाव के चलते आनंद मोहन अपनी सजा के पूरी होने से पहले ही छूट गए.

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आनंद मोहन के वकील देंगे कोर्ट में दलील: नोटिस में आज आनंद मोहन के वकील अपने मुवक्किल का पक्ष रखेंगे. दोपहर के बाद जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की कोर्ट में सुनवाई होगी. आनंद मोहन के वकील ने अपनी ओर से नोटिस का जवाब भी तैयार कर लिया है. आनंद मोहन के अधिवक्ता की दलील है कि उनकी रिहाई कानून सम्मत है.

बिहार सरकार ने बदला जेल मैनुअल: आरोप है कि बिहार ने आनंद मोहन की सरकार ने रिहाई के लिए जेल मैनुअल में बदलाव किया. जिसके बाद इसी आधार पर 27 अप्रैल को आनंद मोहन समेत 26 कैदियों को रिहा किया गया था. नियम में बदलाव के बाद उन्हें जेल से रिहा करने की प्रक्रिया में प्रशासन ने इतनी तेजी से काम किया किया की जारी की गई लिस्ट में भी कई गड़बड़ी देखने को मिली. एक ओर जहां मृत कैदी के रिहाई के ऑर्डर पास कर दिए गए वहीं दूसरी जेल में रह रहे कैदी की किसी अन्य जेल में दिखाया गया था. इससे लिस्ट पर भी सवाल खड़े होने लगे.

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1994 में हुई थी जी कृष्णैया की हत्या : मुजफ्फरपुर जिले में भीड़ ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या कर दी थी. उन्हें गोली भी मारी गई थी. इस हत्या के ठीक एक दिन पहले यानी 4 दिसंबर 1994 को आनंद मोहन की पार्टी 'बिहार पीपुल्स' के नेता छोटन शुक्ला की हत्या हो गई थी. इससे समर्थक उग्र हो गए थे. समर्थक शव के साथ प्रदर्शन कर रहे थे. इसी दौरान मुजफ्फरपुर के खबरा गांव के पास से गुजर रहे जी कृष्णैया की लालबत्ती लगी गाड़ी को भीड़ ने घेर लिया और उनकी पीट पीटकर हत्या कर दी. इसी मामले में आनंद मोहन पर हत्या का आरोप लगा था.

Last Updated : May 19, 2023, 3:09 PM IST
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