नई दिल्ली: सरकार ने सोमवार को लोकसभा में जानकारी दी कि साल 2019 से 2021 के बीच भारत में 456,208 लोगों ने आत्महत्या की, जिसमें दिहाड़ी मजदूरों की संख्या 112,233, गृहिणियों की संख्या 66,912 और अन्य व्यक्तियों की संख्या 64,531 शामिल है. यह जानकारी केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने एक लिखित उत्तर के माध्यम से तमिलनाडु के कांग्रेस सांसद सु थिरुनावुक्करासर के एक प्रश्न के उत्तर में साझा की.
जिन्होंने पूछा कि क्या यह सच है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान आत्महत्या से मरने वालों में दिहाड़ी मजदूरों का सबसे बड़ा समूह है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) का हवाला देते हुए केंद्रीय मंत्री द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, साल 2019-2021 के बीच कुल 112,233 गृहिणियों ने आत्महत्या की, साल 2019 में 21,359, साल 2020 में 22,374, और साल 2021 में 231,79 आत्महत्या महिलाओं ने की. इसके बाद साल 2019 में 20,441, साल 2020 में 20,543 और साल 2021 में 23,547 के साथ कुल 64,531 अन्य व्यक्तियों ने आत्महत्या की.
डेटा ने कृषि क्षेत्र में शामिल व्यक्तियों की गंभीर स्थिति पर भी प्रकाश डाला, वे जो बेरोजगार हैं, जिसके अनुसार कृषि क्षेत्र में कुल 31,839 लोगों ने आत्महत्या की. साल 2019 में 10,281, साल 2020 में 10,677 और साल 2021 में 10,881 लोगों ने आत्महत्या की. वहीं 43,385 बेरोजगार लोगों ने आत्महत्या की, जो साल 2019 में 14,019, साल 2020 में 15,652 और साल 2021 में 13,714 थे.
इस सवाल पर कि क्या सरकार द्वारा दैनिक वेतन भोगियों को आत्महत्या से बचाने और उनकी आजीविका में सुधार के लिए कोई कदम उठाए जा रहे हैं, केंद्रीय मंत्री ने जवाब दिया कि, 'असंगठित श्रमिकों के सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008 के अनुसार, सरकार को असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए बाध्य किया गया है, जिसमें दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी भी शामिल हैं, जो संबंधित मामलों पर उपयुक्त कल्याणकारी योजनाएं तैयार कर रहे हैं.'