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एमपी में रोजाना 40 लोग कर रहे हैं आत्महत्या, राज्य के पास नहीं है डेडीकेटेड हेल्पलाइन - एमपी में सुसाइड के मामले बढ़े

मध्य प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में आत्महत्या के मामलों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है (Suicide case on high rise in MP ). आत्महत्या करने वालों में सबसे ज्यादा युवा हैं जिनकी उम्र 13 से 18 साल है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हर चौथा व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार है और यदि बच्चों को मानसिक अवसाद से बचाना है तो डेडीकेटेड हेल्पलाइन और काउंसलिंग की जानी चाहिए, लेकिन अफसोस एमपी में ये सब नहीं है. पढ़िए ये रिपोर्ट...

MP: Bhopal: Suicide cases is on high rise in Madhya Pradesh since last few years. Daily about 40 people commit suicide in which the number of youngster's of age group 13-18 years are more. State doesn't have helpline to stop suicide cases.
एमपी में रोजाना 40 लोग कर रहे हैं आत्महत्या, राज्य के पास नहीं है डेडीकेटेड हेल्पलाइन
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Published : Mar 28, 2022, 2:03 PM IST

भोपाल: मध्यप्रदेश में युवाओं की आत्महत्याओं के मामले लगातार बढ़ रहे हैं (Suicide case on high rise in MP ). ताजा रिपोर्ट के मुताबिक यहां 40 लोग रोज आत्महत्या कर रहे हैं. मध्य प्रदेश सरकार के पास आत्महत्याओं को रोकने के लिए काउंसलिंग जैसी कोई हेल्प लाइन भी नहीं है. विशेषज्ञों का मानना है की अच्छी काउंसलिंग के लिए हेल्पलाइन यदि राज्य सरकार के पास हो तो 50% मेंटल केसेस सुधारे जा सकते हैं, जो कि आत्महत्या कर लेते हैं और इनमें सबसे ज्यादा युवा हैं जिनकी उम्र 13 से 18 साल है.

ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं: एक्सीडेंट, मौत और सुसाइड रिपोर्ट 2020 के मुताबिक मध्य प्रदेश राज्यों में सबसे आगे है जहां पर आत्महत्या के मामले सबसे ज्यादा हैं और राजधानी भोपाल में प्रतिदिन एक व्यक्ति आत्महत्या करता है, लेकिन यहां राज्य सरकार ने किसी भी तरह का काउंसलिंग सेंटर नहीं खोल रखा है या फिर ऐसी हेल्पलाइन जो मानसिक अवसाद से गुजर रहे युवा को सही रास्ता बता सके.

भोपाल में आत्महत्या के मामले : 2022 - (27 जनवरी तक के आंकड़े)

  • 2021 - 452
  • 2020 - 485
  • 2019 - 414
  • 2018 - 480
  • 2017 - 486

स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी ने केंद्र पर फोड़ा ठीकरा: मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी का कहना है कि- 'राज्य सरकार केंद्र द्वारा संचालित हेल्प लाइन के जरिए सुसाइड के मामले देखती है, हम केंद्र सरकार का इंतजार कर रहे हैं कि वह मध्य प्रदेश को काउंसलिंग के लिए हेल्पलाइन स्टॉफ उपलब्ध कराए'. चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार ने ऐलान किया था कि टेली मेडिसिन हेल्थ प्रोग्राम 24 घंटे शुरू करने पर फ्री काउंसलिंग दी जाएगी और ऐसे लोगों का ध्यान रखा जाएगा और जल्दी मध्यप्रदेश में भी ऐसे सेंटर खोले जाएंगे.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ ? : मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. आर एन साहू का कहना है कि - '75% मानसिक रोग 24 साल की उम्र के पहले शुरू हो जाते हैं, खासतौर से बच्चे बड़े होते हैं और यदि मानसिक अवसाद का इलाज नहीं कराया तो डिप्रेशन के चलते बच्चे आत्महत्या भी कर लेते हैं. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हर चौथा व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार है और यदि बच्चों को मानसिक अवसाद से बचाना है तो डेडीकेटेड हेल्पलाइन और काउंसलिंग की जानी चाहिए ऐसा करने से जो आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं उनमें रोक लगेगी.'

ये भी पढ़ें- बड़ों को शराब पीता देख बच्चों ने भी कुरकुरे के साथ लगाए 2-2 पैग, जानिए, क्या हुआ आगे

सुसाइड के केस परीक्षा और उसके बाद आने वाले रिजल्ट के समय बढ़ जाते हैं: (शिवानी सैनी, समन्वयक,गौरवी संस्था) गौरवी संस्थान जो महिलाओं के उत्पीड़न के साथ-साथ अन्य मामलों में काउंसलिंग देती है उस संस्थान का कहना है- 'हम महिलाओं और बच्चियों को जो उनकी परेशानियां है उसके लिए काउंसलिंग करते हैं, डिप्रेशन के लिए भी काउंसलिंग की जाती है.' लेकिन यह सच है कि मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से आत्महत्याओं को रोकने के लिए कोई भी सेंटर नहीं खोला गया है. महाराष्ट्र सरकार ने इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए हेल्प सेंटर खोल रखे हैं.

भोपाल: मध्यप्रदेश में युवाओं की आत्महत्याओं के मामले लगातार बढ़ रहे हैं (Suicide case on high rise in MP ). ताजा रिपोर्ट के मुताबिक यहां 40 लोग रोज आत्महत्या कर रहे हैं. मध्य प्रदेश सरकार के पास आत्महत्याओं को रोकने के लिए काउंसलिंग जैसी कोई हेल्प लाइन भी नहीं है. विशेषज्ञों का मानना है की अच्छी काउंसलिंग के लिए हेल्पलाइन यदि राज्य सरकार के पास हो तो 50% मेंटल केसेस सुधारे जा सकते हैं, जो कि आत्महत्या कर लेते हैं और इनमें सबसे ज्यादा युवा हैं जिनकी उम्र 13 से 18 साल है.

ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं: एक्सीडेंट, मौत और सुसाइड रिपोर्ट 2020 के मुताबिक मध्य प्रदेश राज्यों में सबसे आगे है जहां पर आत्महत्या के मामले सबसे ज्यादा हैं और राजधानी भोपाल में प्रतिदिन एक व्यक्ति आत्महत्या करता है, लेकिन यहां राज्य सरकार ने किसी भी तरह का काउंसलिंग सेंटर नहीं खोल रखा है या फिर ऐसी हेल्पलाइन जो मानसिक अवसाद से गुजर रहे युवा को सही रास्ता बता सके.

भोपाल में आत्महत्या के मामले : 2022 - (27 जनवरी तक के आंकड़े)

  • 2021 - 452
  • 2020 - 485
  • 2019 - 414
  • 2018 - 480
  • 2017 - 486

स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी ने केंद्र पर फोड़ा ठीकरा: मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी का कहना है कि- 'राज्य सरकार केंद्र द्वारा संचालित हेल्प लाइन के जरिए सुसाइड के मामले देखती है, हम केंद्र सरकार का इंतजार कर रहे हैं कि वह मध्य प्रदेश को काउंसलिंग के लिए हेल्पलाइन स्टॉफ उपलब्ध कराए'. चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार ने ऐलान किया था कि टेली मेडिसिन हेल्थ प्रोग्राम 24 घंटे शुरू करने पर फ्री काउंसलिंग दी जाएगी और ऐसे लोगों का ध्यान रखा जाएगा और जल्दी मध्यप्रदेश में भी ऐसे सेंटर खोले जाएंगे.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ ? : मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. आर एन साहू का कहना है कि - '75% मानसिक रोग 24 साल की उम्र के पहले शुरू हो जाते हैं, खासतौर से बच्चे बड़े होते हैं और यदि मानसिक अवसाद का इलाज नहीं कराया तो डिप्रेशन के चलते बच्चे आत्महत्या भी कर लेते हैं. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हर चौथा व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार है और यदि बच्चों को मानसिक अवसाद से बचाना है तो डेडीकेटेड हेल्पलाइन और काउंसलिंग की जानी चाहिए ऐसा करने से जो आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं उनमें रोक लगेगी.'

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सुसाइड के केस परीक्षा और उसके बाद आने वाले रिजल्ट के समय बढ़ जाते हैं: (शिवानी सैनी, समन्वयक,गौरवी संस्था) गौरवी संस्थान जो महिलाओं के उत्पीड़न के साथ-साथ अन्य मामलों में काउंसलिंग देती है उस संस्थान का कहना है- 'हम महिलाओं और बच्चियों को जो उनकी परेशानियां है उसके लिए काउंसलिंग करते हैं, डिप्रेशन के लिए भी काउंसलिंग की जाती है.' लेकिन यह सच है कि मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से आत्महत्याओं को रोकने के लिए कोई भी सेंटर नहीं खोला गया है. महाराष्ट्र सरकार ने इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए हेल्प सेंटर खोल रखे हैं.

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