हमीरपुर : शहरों में बढ़ती आबादी और जमीन की कमी एक व्यापक समस्या है. घर के निर्माण में एक-एक इंच जमीन का सदुपयोग करना किसी चुनौती से कम नहीं है. घर के निर्माण के वक्त कमरे, हॉल, किचन, डाइनिंग रूम और वॉशरूम किस तरह से बनाया जाए ये अहम है.
एक तय माप में इन सबको कैसे बनाया जाए और इनकी लंबाई-चौड़ाई पर खासा ध्यान देना होता है. जगह की चुनौती से निपटने के लिए ही हमीरपुर जिले की सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा सुदीक्षा ठाकुर (13) ने स्मार्ट वॉशरूम का कॉन्सेप्ट दिया है.
सुदीक्षा के इस कॉन्सेप्ट की खास बात यह है कि इसमें इंडियन और वेस्टर्न टॉयलेट दोनों का ही कांबीनेशन है. अगर किसी के टॉयलेट का स्पेस कम है तो उसके लिए सुदीक्षा के मॉडल ने एक नई दिशा दी है.
स्मार्ट वॉशरूम में इंडियन और वेस्टर्न टॉयलेट दोनों
इस मॉडल में विकल्पों के साथ-साथ स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखा गया है. वेस्टर्न टॉयलेट सीट के मुकाबले इंडियन टॉयलेट सीट को अधिक हाइजीनिक माना जाता है. ऐसे में दोनों विकल्प इसमें मौजूद होने से इस स्मार्ट बॉथरूम का महत्व और अधिक बढ़ जाता है.
इस मॉडल के लिए सुदीक्षा ठाकुर का चयन इंस्पायर मानक योजना के तहत राष्ट्रीय स्तर पर हुआ है. सुदीक्षा एक निजी स्कूल में सातवीं की छात्रा हैं और उनके पिता संजीव ठाकुर सरकारी स्कूल में अध्यापक हैं.
टॉयलेट फ्लश में ही वॉशिंग मशीन और मिनी गीजर
सुदीक्षा ने मॉडल के माध्यम से 16 वर्ग फीट के छोटे बाथरूम क्षेत्र में स्क्वॉट टॉयलेट शीट को यूरोपीय टॉयलेट शीट की तर्ज पर प्रयोग करने, मिनी वॉशिंग मशीन और गर्म पानी की सुविधाएं उपलब्ध की हैं.
स्मार्ट बाथरूम की स्क्वॉट टॉयलेट शीट के साथ दीवार पर एक फ्रेम स्थापित किया गया है. इस फ्रेम को सुविधा के अनुसार यूरोपियन शीट के तौर पर प्रयोग में लाया जा सकता है. स्क्वॉट टॉयलेट शीट पर ढक्कन लगाकर वॉशरूम के पूरे क्षेत्र को नहाने और कपड़े धोने के लिए भी प्रयोग में लाया जा सकता है.
भाई-बहन की लड़ाई से आया आइडिया
सुदीक्षा का कहना है कि उनके घर में भी दो टॉयलेट हैं, लेकिन वो और उसका बड़ा भाई केवल वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल करते हैं. इसे लेकर अक्सर उन दोनों के बीच लड़ाई हो जाती थी, इसी वजह से उनके दिमाग में यह विचार आया कि क्यों ना घर में इंडियन और वेस्टर्न टॉयलेट अलग-अलग बनाने की समस्या का समाधान किया जाए.
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मेट्रो सिटी के लिए स्मार्ट वॉशरूम का मॉडल कारगर
सुदीक्षा का यह भी कहना है कि मेट्रो सिटी में जहां जगह की बहुत कमी होती है, वहां पर यह मॉडल कारगर साबित हो सकता है. दीक्षा के पिता साइंस टीचर हैं और वह अपनी बेटी की इस उपलब्धि से काफी खुश हैं. इससे पहले उनका बड़ा बेटा पूर्व भी नेशनल लेवल पर इसी योजना के तहत प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुका है.
स्मार्ट वॉशरूम का मॉडल इंस्पायर मानक अवार्ड में अव्वल
जिला विज्ञान पर्यवेक्षक सुधीर चंदेल ने बताया कि स्मार्ट वॉशरूम का मॉडल जिले के बाद प्रदेश स्तर पर इंस्पायर मानक अवार्ड में भी अव्वल आया है. अब दीक्षा का यह मॉडल राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए चयनित हुआ है.
छोटे साइज के बाथरूम रोजमर्रा के काम के लिए काफी
मॉडल में मिनी वॉशिंग मशीन में कपड़े धोने के लिए घूमने वाला पहिया और गर्म पानी के लिए फ्लश में फिलामेंट भी स्थापित किया है. साथ ही इस मॉडल में यह भी दर्शाया गया है कि छोटे साइज के बाथरूम में लोग रोजमर्रा के नहाने और कपड़े धोने के कार्य कर सकते हैं.