ETV Bharat / bharat

Delhi pollution: छह राज्यों में पराली जलाने की सेटेलाइट से होगी मॉनिटरिंग, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

Monitoring of Stubble Burning In Six States through satellite: दिल्ली से सटे राज्यों में पराली जलाए जाने पर हवा के साथ प्रदूषण दिल्ली में भी आ जाता है. इससे दिल्ली में हवा की गुणवत्ता खराब हो जाती है. किसी भी राज्य में पराली न जले, इसके लिए सेटेलाइट के जरिए मॉनिटरिंग की जाएगी.

delhi news
पराली जलाने की सेटेलाइट से होगी मॉनिटरिंग
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 14, 2023, 12:48 PM IST

नई दिल्ली: वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से हर साल 15 सितंबर से 30 नवंबर तक देश के छह राज्यों में पराली जलाने की सेटेलाइट से निगरानी की जाती है. इस बार भी 15 सितंबर से निगरानी शुरू कर दी जाएगी. पराली जलाने वालों पर राज्य सरकार की ओर से जुर्माना लगाने की कार्रवाई भी की जाती है. पर्यावरणविद के मुताबिक दिल्ली एनसीआर में बीते वर्ष पराली जलाने से 28 प्रतिशत तक प्रदूषण हुआ था.

देश के छह राज्य पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में सेटेलाइट से पराली जलाने की निगरानी की जाती है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नियमित निगरानी के बाद रिपोर्ट भी जारी करता है, बीते वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो सबसे ज्यादा पंजाब में पराली जलाई गई. इसके बाद मध्य प्रदेश हरियाणा और उत्तर प्रदेश का नंबर आता है. इन राज्यों में पराली जलने पर हवा के रुख से दिल्ली भी प्रदूषित होती है.

पराली जलाने के मामले कम होने से राहत की उम्मीद
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के आंकड़ों पर गौर करें तो छह राज्यों में वर्ष 2021 में 92 हजार 42 स्थान पर परली जलाई गई थी. बीते वर्ष 2022 में पराली जलाने के मामलों में गिरावट दर्ज की गई. वर्ष 2022 में पराली जलाने के 69,615 मामले सामने आए. इस तरह पराली जलाने में 24.36 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. उम्मीद है कि इस बार भी पराली जलाने के मामलों में और गिरावट दर्ज की जाएगी और वायु प्रदूषण कम होगा.

पराली न जले दिल्ली सरकार पड़ोसी राज्यों से करेगी बात: दिल्ली से सटे राज्यों में पराली जलाए जाने पर हवा के साथ प्रदूषण दिल्ली में भी आ जाता है. इससे दिल्ली में हवा की गुणवत्ता खराब हो जाती है. इस बार दिल्ली सरकार प्रदूषण की रोकथाम को लेकर अभी से विंटर एक्शन प्लान तैयार करने में जुट गई है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि पराली जलाए जाने पर रोक लगाने के लिए दिल्ली सरकार पड़ोसी राज्यों से बात करेगी. वहीं दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम को लेकर पटाखों के निर्माण भंडारण और बिक्री पर 13 सितंबर से दिल्ली सरकार ने रोक लगा दी है.

छह राज्यों में बीते 6 साल में पराली जलाने के मामले:

वर्षकुल मामले
202269,615
202192,042
202089,430
201977,673
201875,532
201788,948

वर्ष 2022 और 2021 में राज्यों में जलाई गई पराली:

राज्य20222021
पंजाब49,92271,303
मध्य प्रदेश11,7378,160
हरियाणा3,6616,987
उत्तर प्रदेश3,0174,242
राजस्थान1,2671,350
दिल्ली1004


सरकार पराली जलाने पर अंकुश लगाने में फेल है. किसानों को खेत मे पराली जलाना सस्ता पड़ता है. पराली जलाने में कुछ प्रतिशत की कमी जरूरी आई है, लेकिन पूर्ण प्रतिबंध नहीं लग पा रहा है. सरकार पराली खरीदे और एनटीपीसी को दे दे तभी रोक लग पाएगी. हवा में पराली जलाने से प्रदूषण औसतन 17 से 24 और कभी- कभी 28 प्रतिशत तक पहुंच जाता है. वायु की खराब गुणवत्ता के कारण दिल्ली वासियों की जीवन 10 साल कम होने की आशंका शिकागो यूनिवर्सिटी के ऊर्जा नीति संस्थान ने कई वर्ष पहले व्यक्त की थी. - ज्ञानेंद्र रावत, पर्यावरणविद

दिल्ली का आनंद विहार इलाका इतना प्रदूषित रहता है कि बहुत परेशानी होती है. प्रदूषण की रोकथाम के लिए कोर्ट तक जाना पड़ा. सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेश के बावजूद भी प्रदूषण से विशेष राहत नहीं मिली है. इस बार दिल्ली सरकार प्रदूषण रोकने के लिए अभी से कवायत कर रही है उम्मीद है कि प्रदूषण से राहत मिलेगी. - वीके मित्तल, कौशांबी

ये भी पढ़ेंः

  1. पराली जलाने की घटना में 50% तक कमी फिर भी बढ़ा प्रदूषण, किसान नेता बोले- हमें बदनाम न करें
  2. Pollution Minister Gopal Rai ने कहा- समर एक्शन प्लान के तहत एंटी डस्ट अभियान चलाएगी केजरीवाल सरकार

नई दिल्ली: वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से हर साल 15 सितंबर से 30 नवंबर तक देश के छह राज्यों में पराली जलाने की सेटेलाइट से निगरानी की जाती है. इस बार भी 15 सितंबर से निगरानी शुरू कर दी जाएगी. पराली जलाने वालों पर राज्य सरकार की ओर से जुर्माना लगाने की कार्रवाई भी की जाती है. पर्यावरणविद के मुताबिक दिल्ली एनसीआर में बीते वर्ष पराली जलाने से 28 प्रतिशत तक प्रदूषण हुआ था.

देश के छह राज्य पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में सेटेलाइट से पराली जलाने की निगरानी की जाती है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नियमित निगरानी के बाद रिपोर्ट भी जारी करता है, बीते वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो सबसे ज्यादा पंजाब में पराली जलाई गई. इसके बाद मध्य प्रदेश हरियाणा और उत्तर प्रदेश का नंबर आता है. इन राज्यों में पराली जलने पर हवा के रुख से दिल्ली भी प्रदूषित होती है.

पराली जलाने के मामले कम होने से राहत की उम्मीद
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के आंकड़ों पर गौर करें तो छह राज्यों में वर्ष 2021 में 92 हजार 42 स्थान पर परली जलाई गई थी. बीते वर्ष 2022 में पराली जलाने के मामलों में गिरावट दर्ज की गई. वर्ष 2022 में पराली जलाने के 69,615 मामले सामने आए. इस तरह पराली जलाने में 24.36 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. उम्मीद है कि इस बार भी पराली जलाने के मामलों में और गिरावट दर्ज की जाएगी और वायु प्रदूषण कम होगा.

पराली न जले दिल्ली सरकार पड़ोसी राज्यों से करेगी बात: दिल्ली से सटे राज्यों में पराली जलाए जाने पर हवा के साथ प्रदूषण दिल्ली में भी आ जाता है. इससे दिल्ली में हवा की गुणवत्ता खराब हो जाती है. इस बार दिल्ली सरकार प्रदूषण की रोकथाम को लेकर अभी से विंटर एक्शन प्लान तैयार करने में जुट गई है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि पराली जलाए जाने पर रोक लगाने के लिए दिल्ली सरकार पड़ोसी राज्यों से बात करेगी. वहीं दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम को लेकर पटाखों के निर्माण भंडारण और बिक्री पर 13 सितंबर से दिल्ली सरकार ने रोक लगा दी है.

छह राज्यों में बीते 6 साल में पराली जलाने के मामले:

वर्षकुल मामले
202269,615
202192,042
202089,430
201977,673
201875,532
201788,948

वर्ष 2022 और 2021 में राज्यों में जलाई गई पराली:

राज्य20222021
पंजाब49,92271,303
मध्य प्रदेश11,7378,160
हरियाणा3,6616,987
उत्तर प्रदेश3,0174,242
राजस्थान1,2671,350
दिल्ली1004


सरकार पराली जलाने पर अंकुश लगाने में फेल है. किसानों को खेत मे पराली जलाना सस्ता पड़ता है. पराली जलाने में कुछ प्रतिशत की कमी जरूरी आई है, लेकिन पूर्ण प्रतिबंध नहीं लग पा रहा है. सरकार पराली खरीदे और एनटीपीसी को दे दे तभी रोक लग पाएगी. हवा में पराली जलाने से प्रदूषण औसतन 17 से 24 और कभी- कभी 28 प्रतिशत तक पहुंच जाता है. वायु की खराब गुणवत्ता के कारण दिल्ली वासियों की जीवन 10 साल कम होने की आशंका शिकागो यूनिवर्सिटी के ऊर्जा नीति संस्थान ने कई वर्ष पहले व्यक्त की थी. - ज्ञानेंद्र रावत, पर्यावरणविद

दिल्ली का आनंद विहार इलाका इतना प्रदूषित रहता है कि बहुत परेशानी होती है. प्रदूषण की रोकथाम के लिए कोर्ट तक जाना पड़ा. सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेश के बावजूद भी प्रदूषण से विशेष राहत नहीं मिली है. इस बार दिल्ली सरकार प्रदूषण रोकने के लिए अभी से कवायत कर रही है उम्मीद है कि प्रदूषण से राहत मिलेगी. - वीके मित्तल, कौशांबी

ये भी पढ़ेंः

  1. पराली जलाने की घटना में 50% तक कमी फिर भी बढ़ा प्रदूषण, किसान नेता बोले- हमें बदनाम न करें
  2. Pollution Minister Gopal Rai ने कहा- समर एक्शन प्लान के तहत एंटी डस्ट अभियान चलाएगी केजरीवाल सरकार
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.