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यूपी में देर रात भूकंप के तेज झटके, लखनऊ, मेरठ समेत 50 जिलों में डोली धरती, घरों में नींद से उठकर सड़कों पर भागे लोग - नेपाल में भूकंप

यूपी में देर रात भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. लखनऊ, मेरठ समेत 50 जिलों में धरती डोलने से लोग दहशत में आ गए और घर छोड़कर सड़कों पर आ गए. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.4 मापी गई है. इसके अलावा दिल्ली, एनसीआर और बिहार तक भूकंप के झटके महसूस किए गए.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 4, 2023, 6:35 AM IST

Updated : Nov 4, 2023, 8:46 AM IST

लखनऊ, जौनपुर समेत कई जिलों में भूकंप से दहशत में आए लोग.

लखनऊ/मेरठ/जौनपुर: बीती 3 अक्टूबर की दोपहर 2:53 बजे करीब आए भूकंप के तेज झटके के ठीक 1 महीने बाद राजधानी लखनऊ समेत 50 जिलों में 3 नवंबर की रात करीब 11:34 बजे एक बार फिर से भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. इस भूकंप का एपिक सेंटर नेपाल में था जो जमीन से करीब 10 किलोमीटर नीचे स्थित था. राजधानी लखनऊ सहित आसपास जिलों के लोगो में इसको लेकर काफी दहशत फैल गई. झटके महसूस होने के बाद लोग अपने मकानों से निकलकर सड़क पर आ गए. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.4 मापी गई है. लखनऊ, लखीमपुर, सीतापुर, बरेली, मेरठ, हरदोई, गोरखपुर, जौनपुर समेत करीब 50 से अधिक जिलों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं.

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भूकंप का केंद्र नेपाल रहा.


एचफटी व एमबीटी के बीच में स्थित है भूकंप का केंद्र
लखनऊ विश्वविद्यालय के भूगर्भ विज्ञान विभाग के प्रोफेसर अजय आर्या ने बताया कि यह भूकंप हिमालय प्लेट में आया है. यह भूकंप हिमालय फ्रंटल थ्रस्ट (एचफटी) व मेन बाउंड्री थ्रस्ट (एमबीटी) के बीच में आया है. उन्होंने बताया कि इस भूकंप का केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर नीचे होने के कारण इसकी तीव्रता अधिक महसूस की गई और यह जमीन में बहुत लंबी दूर तक असर पहुंचाता रहा इसीलिए इसका झटका पटना तक महसूस किया गया है.

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लखनऊ में रात में दहशत में आए लोग घर छोड़कर सड़क पर आ गए.



प्रोफेसर आर्या ने बताया कि 2 नवंबर को नेपाल में शाम को डिक्टेटर स्केल पर 3.9 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया था, उसके ठीक 24 घंटे बाद या भूकंप आया है. उन्होंने बताया कि यह भूकंप काफी शैलो फोकस था, ऐसे भूकंप भू विज्ञान की भाषा में काफी खतरनाक माने जाते हैं. उन्होंने बताया कि बीते 1 महीने में हिमालय प्लेट्स पर यह भूकंप के लगातार तीसरा झटका है. इसका मुख्य कारण धरती के नीचे जो प्लेट हैं वह अपने आप को एडजस्ट कर रही हैं.

प्रो. आर्या ने बताया कि नेपाल से इधर भारत की तरफ की जो मैदानी क्षेत्र है वह हिमालय फ्रंटल थ्रस्ट के नाम से जाना जाता है इस पर आम तौर पर बालू पत्थर से बना हुआ है जो गंगा के मैदान में स्थित है ऐसे में इस भूकंप के एपिक सेंटर धरती के इतने करीब होने के बाद भी इसका ज्यादा व्यापक असर देखने को नहीं मिला. उन्होंने बताया कि वही नेपाल की तरफ की जो भूमिगत जमीन है वह मैन बाउंड्री थ्रस्ट के नाम से जाना जाता है यह मूल रूप से काफी ठोस पत्थरों का बना हुआ है. अगर यह भूकंप कुछ और चंद सेकेंड अधिक होता तो यह दोनों तरफ काफी तबाही ला सकता था.

मेरठ और जौनपुर में दहशत में आए लोग घरों से भागे
मेरठ और जौनपुर में देर रात भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 6.4 मापी गई है. करीब बीस सकेंड तक भूकंप के झटके महसूस किए गए. इस दौरान लोग घरों से भागकर सड़कों पर आ गए.

इस वजह से तेज झटके महसूस किए गए
प्रो. अजय आर्या ने बताया कि यह भूकंप 3 अक्टूबर को आए भूकंप की तरह काफी छीछली गहराई में स्थित था. इस तरह के भूकंप को विज्ञान की भाषा में सेलो फोकस भूकंप कहते हैं. उन्होंने ने बताया कि यह भूकंप मेन सेंट्रल थ्रस्ट के ऊपर आया है यह पूर्णत कठोर पत्थरों पर स्थित है. जिसके वजह से यह झटका जितने तेज होते नहीं है उससे अधिक तेजी से सतह पर महसूस किए गए हैं.


अगले 48 घंटों तक सतर्क रहने की सलाह
प्रोफेसर आर्या ने बताया कि बीती 27 सितंबर 2023 से देश व दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं. जिनकी तीव्रता 2 से लेकर 5.5 रेक्टर स्केल तक रही है. बीते कुछ महीनों में नेपाल, जापान, पापुआ न्यू गिनी, इंडोनेशिया, चिल्ली, ताजाकिस्तान व अमेरिका में भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि अगले 48 घंटे तक इन सभी क्षेत्र के लोगों को सतर्क रहने की आवश्यकता है. क्योंकि आफ्टर शॉक वेव इसके बाद भी महसूस किए जा सकते हैं.

इस वजह से आता है भूकंप
बता दें कि पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं. जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है. बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं. जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं. नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है.

ऐसे मापी जाती है तीव्रता
भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है. इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है. भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है. भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है. इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा लगता है.

ये भी पढ़ेंः Earthquake in Delhi: दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके, अफगानिस्तान के हिंदुकुश में था केंद्र

ये भी पढ़ेंः Earthquake: हिली धरती तो ऊंची ईमारतों पर बैठे लोग धरातल पर आए

लखनऊ, जौनपुर समेत कई जिलों में भूकंप से दहशत में आए लोग.

लखनऊ/मेरठ/जौनपुर: बीती 3 अक्टूबर की दोपहर 2:53 बजे करीब आए भूकंप के तेज झटके के ठीक 1 महीने बाद राजधानी लखनऊ समेत 50 जिलों में 3 नवंबर की रात करीब 11:34 बजे एक बार फिर से भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. इस भूकंप का एपिक सेंटर नेपाल में था जो जमीन से करीब 10 किलोमीटर नीचे स्थित था. राजधानी लखनऊ सहित आसपास जिलों के लोगो में इसको लेकर काफी दहशत फैल गई. झटके महसूस होने के बाद लोग अपने मकानों से निकलकर सड़क पर आ गए. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.4 मापी गई है. लखनऊ, लखीमपुर, सीतापुर, बरेली, मेरठ, हरदोई, गोरखपुर, जौनपुर समेत करीब 50 से अधिक जिलों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं.

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भूकंप का केंद्र नेपाल रहा.


एचफटी व एमबीटी के बीच में स्थित है भूकंप का केंद्र
लखनऊ विश्वविद्यालय के भूगर्भ विज्ञान विभाग के प्रोफेसर अजय आर्या ने बताया कि यह भूकंप हिमालय प्लेट में आया है. यह भूकंप हिमालय फ्रंटल थ्रस्ट (एचफटी) व मेन बाउंड्री थ्रस्ट (एमबीटी) के बीच में आया है. उन्होंने बताया कि इस भूकंप का केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर नीचे होने के कारण इसकी तीव्रता अधिक महसूस की गई और यह जमीन में बहुत लंबी दूर तक असर पहुंचाता रहा इसीलिए इसका झटका पटना तक महसूस किया गया है.

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लखनऊ में रात में दहशत में आए लोग घर छोड़कर सड़क पर आ गए.



प्रोफेसर आर्या ने बताया कि 2 नवंबर को नेपाल में शाम को डिक्टेटर स्केल पर 3.9 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया था, उसके ठीक 24 घंटे बाद या भूकंप आया है. उन्होंने बताया कि यह भूकंप काफी शैलो फोकस था, ऐसे भूकंप भू विज्ञान की भाषा में काफी खतरनाक माने जाते हैं. उन्होंने बताया कि बीते 1 महीने में हिमालय प्लेट्स पर यह भूकंप के लगातार तीसरा झटका है. इसका मुख्य कारण धरती के नीचे जो प्लेट हैं वह अपने आप को एडजस्ट कर रही हैं.

प्रो. आर्या ने बताया कि नेपाल से इधर भारत की तरफ की जो मैदानी क्षेत्र है वह हिमालय फ्रंटल थ्रस्ट के नाम से जाना जाता है इस पर आम तौर पर बालू पत्थर से बना हुआ है जो गंगा के मैदान में स्थित है ऐसे में इस भूकंप के एपिक सेंटर धरती के इतने करीब होने के बाद भी इसका ज्यादा व्यापक असर देखने को नहीं मिला. उन्होंने बताया कि वही नेपाल की तरफ की जो भूमिगत जमीन है वह मैन बाउंड्री थ्रस्ट के नाम से जाना जाता है यह मूल रूप से काफी ठोस पत्थरों का बना हुआ है. अगर यह भूकंप कुछ और चंद सेकेंड अधिक होता तो यह दोनों तरफ काफी तबाही ला सकता था.

मेरठ और जौनपुर में दहशत में आए लोग घरों से भागे
मेरठ और जौनपुर में देर रात भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 6.4 मापी गई है. करीब बीस सकेंड तक भूकंप के झटके महसूस किए गए. इस दौरान लोग घरों से भागकर सड़कों पर आ गए.

इस वजह से तेज झटके महसूस किए गए
प्रो. अजय आर्या ने बताया कि यह भूकंप 3 अक्टूबर को आए भूकंप की तरह काफी छीछली गहराई में स्थित था. इस तरह के भूकंप को विज्ञान की भाषा में सेलो फोकस भूकंप कहते हैं. उन्होंने ने बताया कि यह भूकंप मेन सेंट्रल थ्रस्ट के ऊपर आया है यह पूर्णत कठोर पत्थरों पर स्थित है. जिसके वजह से यह झटका जितने तेज होते नहीं है उससे अधिक तेजी से सतह पर महसूस किए गए हैं.


अगले 48 घंटों तक सतर्क रहने की सलाह
प्रोफेसर आर्या ने बताया कि बीती 27 सितंबर 2023 से देश व दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं. जिनकी तीव्रता 2 से लेकर 5.5 रेक्टर स्केल तक रही है. बीते कुछ महीनों में नेपाल, जापान, पापुआ न्यू गिनी, इंडोनेशिया, चिल्ली, ताजाकिस्तान व अमेरिका में भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि अगले 48 घंटे तक इन सभी क्षेत्र के लोगों को सतर्क रहने की आवश्यकता है. क्योंकि आफ्टर शॉक वेव इसके बाद भी महसूस किए जा सकते हैं.

इस वजह से आता है भूकंप
बता दें कि पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं. जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है. बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं. जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं. नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है.

ऐसे मापी जाती है तीव्रता
भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है. इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है. भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है. भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है. इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा लगता है.

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Last Updated : Nov 4, 2023, 8:46 AM IST
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