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एनबीए सदस्यों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं की जाए : अदालत

केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र को निर्देश दिया कि संशोधित केबल टीवी नियमों का अनुपालन नहीं करने को लेकर न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) के सदस्यों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाए.

केरल उच्च न्यायालय
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Published : Jul 16, 2021, 11:29 PM IST

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र को निर्देश दिया कि संशोधित केबल टीवी नियमों का अनुपालन नहीं करने को लेकर न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) के सदस्यों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाए.

संशोधित केबल टीवी नियम समाचार चैनलों की सामग्री के लिए एक निगरानी तंत्र का प्रावधान करता है. एनबीए कई न्यूज चैनलों का प्रतिनिधित्व करता है.

न्यायमूर्ति टी आर रवि ने एनबीए की याचिका पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को निर्देश जारी किया. एनबीए ने केबल टीवी अधिनियम और इसके तहत बनाये गये पहले के कुछ प्रावधानों को भी चुनौती दी थी.

अदालत ने मंत्रालय को भी नोटिस जारी किया और एसोसिएशन की याचिका पर दो हफ्तों के अंदर जवाब मांगा है.

वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह और निशा भंभाणी ने दावा किया कि केबल टीवी नियमों में संशोधित प्रावधान एक निगरानी तंत्र गठित करता है, जो अधिकारियों को न्यूज ब्रॉडकास्टर्स के टीवी चैनलों की सामग्री का नियमन करने की अत्यधिक शक्तियां देता है.

पढ़ें : टीवी चैनल लिंग आधारित हिंसा के चित्रण पर संयम बरतें : बीसीसीसी

अदालत ने दलीलें सुनने के बाद प्रतिवादी (मंत्रालय) को इस लंबित मामले के निस्तारण तक याचिकाकर्ता (एनबीए) के सदस्यों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई करने से दूर रहने कहा.

(भाषा)

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र को निर्देश दिया कि संशोधित केबल टीवी नियमों का अनुपालन नहीं करने को लेकर न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) के सदस्यों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाए.

संशोधित केबल टीवी नियम समाचार चैनलों की सामग्री के लिए एक निगरानी तंत्र का प्रावधान करता है. एनबीए कई न्यूज चैनलों का प्रतिनिधित्व करता है.

न्यायमूर्ति टी आर रवि ने एनबीए की याचिका पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को निर्देश जारी किया. एनबीए ने केबल टीवी अधिनियम और इसके तहत बनाये गये पहले के कुछ प्रावधानों को भी चुनौती दी थी.

अदालत ने मंत्रालय को भी नोटिस जारी किया और एसोसिएशन की याचिका पर दो हफ्तों के अंदर जवाब मांगा है.

वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह और निशा भंभाणी ने दावा किया कि केबल टीवी नियमों में संशोधित प्रावधान एक निगरानी तंत्र गठित करता है, जो अधिकारियों को न्यूज ब्रॉडकास्टर्स के टीवी चैनलों की सामग्री का नियमन करने की अत्यधिक शक्तियां देता है.

पढ़ें : टीवी चैनल लिंग आधारित हिंसा के चित्रण पर संयम बरतें : बीसीसीसी

अदालत ने दलीलें सुनने के बाद प्रतिवादी (मंत्रालय) को इस लंबित मामले के निस्तारण तक याचिकाकर्ता (एनबीए) के सदस्यों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई करने से दूर रहने कहा.

(भाषा)

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