रांची: गांधी जीवन और मानवीय मूल्य के ऐसे दरख्त हैं जिनका जीवन ही उनका सिद्धांत है. बापू ने कहा भी है और लिखा भी है समाज इसे चाहे जिस रूप में लेता हो, लेकिन एक समाज ऐसा भी है जिसके लिए जाति, धर्म, भगवान, पूजा, इबादत, प्रार्थना सब कुछ गांधी का वह सिद्धांत ही है और जिनके लिए गांधी ही सब कुछ है. इनके लिए तिरंगा की ही भक्ति है, उनकी शक्ति है, मुक्ति है, यह हैं टाना भगत (Tana Bhagat for whom Tiranga is everything).
टाना भगतों की दिनचर्या गांधी के सिद्धांतों से शुरू होती है और गांधी के सिद्धांतों के साथ ही पूरा जीवन जीते हैं. वह सब कुछ जो गांधी जी ने अपने जीवन के लिए रखा था, वह टाना भक्तों के जीवन का सिद्धांत है. उसी आधार पर वे चलते भी हैं. जिनके लिए उनका आंगन ही काशी है, आंगन ही बनारस है, तिरंगा उनकी शक्ति है, तिरंगा ही उनकी भक्ती है. तो मामला साफ है इस धरती पर देशभक्ति के लिए जो मिसाल टाना भगत पेश कर रहे हैं, निश्चित तौर पर उनके जीवन के पैदा होने से लेकर मरने तक के कहानी में गांधी के सिद्धांत हैं, जो मिसाल पेश कर रहे हैं. टाना भगत की दिनचर्या की बात करें तो हर दिन सामूहिक प्रार्थना होती है. घंटी बजाकर सब लोगों को बुलाया जाता है. एक आंगन में सब लोग बैठते हैं पूजा-पाठ करते हैं.
टाना भगत के जीवन की बात करें तो 1912 से 1914 तक हुए अंग्रेजों के विरुद्ध टाना भक्तों ने अपने अहम भूमिका निभाई थी. 1940 के आंदोलन में टाना भगत गांधी जी के साथ इतने कस के जुड़े कि पूरा सिद्धांत ही इन्होंने गांधी जी का अपना लिया. अब दशकों से आजाद भारत में जो परंपरा चल रही है, वह गांधी जी का जीवन सिद्धांत है. यह गांधीजी के जीवन सिद्धांत को सब कुछ मानकर चल रहे हैं. बात अगर टाना भगत की करें तो रांची सहित कुल 8 जिले हैं जहां 25000 टाना भक्तों की आबादी है. इन्हें सिर्फ और सिर्फ तिरंगे से मतलब है बाकी किसी चीज से मतलब है नहीं. इबादत तिरंगा है, पूजा तिरंगा है, मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर सब तिरंगा है. तिरंगा इनके आंगन में है जिसकी पूजा करते हैं जिससे दिनचर्या की शुरुआत होती है और वही जीवन के अंतिम सिद्धांत के साथ जाती भी है.
2 अक्टूबर को पूरा राष्ट्र गांधी जी को श्रद्धांजलि दे रहा है उन्हें नमन कर रहा है, क्योंकि राष्ट्रपिता ने हमें देश में सब कुछ दिया जो हमारे जीवन के लिए मुक्त होकर चलने की कहानी कहता है. लेकिन उससे बड़ी बानगी इन टाना भक्तों का है जिनके पूरे जीवन की कहानी टाना भक्तों के कहानी पर चलने की है.
आज हर घर से तिरंगा की कहानी कही जा रही है टाना भगत घर आंगन तिरंगा की कहानी दशकों से लेकर चल रहे हैं. आज भी समाज के लिए ये बेमिसाल हैं जिनके लिए तिरंगा ही सब कुछ है. अगर देश के लिए हर घर तिरंगा लहरा दिया गया है और अब तो देश के हर घर पर तिरंगा लगाने वाले हर मन में टाना भक्तों की तरह अगर तिरंगा को ही मंदिर, मस्जिद मान इबादत करें तो यह मन देश में नई विकास की इबादत गढ़ देगा. यही राष्ट्रपिता के लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी और देश को सोने की चिड़िया बना देगी जो पूरे देश का विश्व गुरु होने का गुरूर दिखाता है.