पटना : केंद्र ने मल्लाह समाज को अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने की मांग को ठुकरा दिया है. इस समाज के नेताओं में काफी मायूसी है. मल्लाह समाज के नेता और मंत्री मदन सहनी ने 'ईटीवी भारत' से खास बातचीत में कहा कि हमें काफी उम्मीद थी कि इस बार हमें एससी में शामिल कर लिया जाएगा.
समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने कहा कि हम लोगों को पूरा भरोसा था कि केंद्र सरकार जरूर मानेगी. इसकी वजह भी स्पष्ट है. बिहार सरकार ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर इथनोग्राफी रिपोर्ट के साथ अपनी अनुशंसा भेजी थी.
उन्होंने कहा कि 'इथनोग्राफी रिपोर्ट में भी स्पष्ट रूप से बताया गया था कि इस समाज की डेढ़ करोड़ की आबादी है. इनकी राजनीतिक, शैक्षणिक, सामाजिक स्थिति बहुत दयनीय है.'
मंत्री ने कहा कि 'बिहार नहीं बल्कि पूरे देश में हमारे समाज की शैक्षणिक स्थिति यह है कि कोई भी आईएएस नहीं बना है. गिने-चुने डॉक्टर और इंजीनियर हैं. राजनीति में भी हमलोग सभी से पीछे हैं.'
उन्होंने कहा कि 'केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर एनडीए की सरकार है. हमलोगों को भरोसा था कि इसबार इस पर मुहर लगेगी. हमलोगों को एससी (SC) में शामिल किया जाएगा. पर ऐसा नहीं हुआ. हमारे समाज की उपेक्षा हुई है.'
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समाज कल्याण मंत्री ने कहा कि हमें अभी भी भरोसा है कि आने वाले दिनों में हमें शामिल किया जाएगा. भारत सरकार को फिर से विचार करना चाहिए. हमें अनुसुचित जाति में शामिल करना चाहिए.
बता दें कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि मल्लाह जाति को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने से जुड़े बिहार सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है.
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि बिहार सरकार ने मल्लाह और बिंद जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के प्रस्ताव भेजे थे.
कटारिया ने कहा, स्वीकृत व्यवस्थाओं के अनुसार इन प्रस्तावों पर गौर किया गया. भारतीय महापंजीयक ने मल्लाह जाति से जुड़े प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया। इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया.
उन्होंने कहा कि बिंद जाति से संबंधित प्रस्ताव का भी महापंजीयक ने समर्थन नहीं किया और इसे राज्य सरकार के पास इस आग्रह के साथ वापस भेज दिया गया कि वह इसकी समीक्षा करे अथवा अपनी अनुशंसाओं को जायज ठहराए.