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केरल : विधानसभा के विशेष सत्र को लेकर CM विजयन और राज्यपाल आमने-सामने

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Published : Dec 23, 2020, 9:48 PM IST

केरल की सरकार ने केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों पर चर्चा करने और उनके विरूद्ध प्रस्ताव पारित करने के लिए विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाने का निर्णय लिया था. हालांकि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सत्र की मंजूरी देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद दोनों सीएम विजयन ने राज्यपाल पर निशाना साधा है. जानें क्या है पूरा मामला...

सीएम विजयन और राज्यपाल
सीएम विजयन और राज्यपाल

तिरुवनंतपुरम : केरल में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने को लेकर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान आमने-सामने आ गए हैं. दरअसल, राज्य सरकार ने केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों पर चर्चा करने और उनके विरूद्ध प्रस्ताव पारित करने के लिए विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की है.

मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की अध्यक्षता में सोमवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य की माकपा नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार ने केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों पर चर्चा करने और उनके विरूद्ध प्रस्ताव पारित करने के लिए विशेष सत्र बुलाने का निर्णय लिया था. इसके बाद मंगलवार को केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पर चर्चा एवं पारित करने के लिए राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया था.

राज्यपाल द्वारा विशेष सत्र की मंजूरी देने से इनकार करने के बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बुधवार को केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उद्योगपतियों के हितों का ध्यान रखा जा रहा है, लेकिन किसानों का नहीं.

विजयन ने कहा कि केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने चाहिए, जिनके विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन हो रहा है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो किसान आंदोलन चल रहा है, ऐसा देश में पहले कभी नहीं हुआ. विजयन ने कहा कि किसान देश के अन्नदाता हैं, इसलिए उनकी मांग को राष्ट्र के हित में देखा जाना चाहिए.

शहीद स्मारक पर यहां स्थित किसानों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए वामदलों के समर्थन से आयोजित एक बैठक का उद्घाटन करते हुए उन्होंने केंद्र सरकार पर रय्यत के खिलाफ लगातार दमनकारी कदम उठाने का भी आरोप लगाया.

मुख्यमंत्री ने कहा, 'केंद्र की भाजपा सरकार किसानों के हितों का ध्यान नहीं रख रही है. वह उद्योगपतियों के हितों को सबसे ज्यादा महत्व दे रही है. केंद्र को किसानों की मांग स्वीकार कर लेनी चाहिए.'

यह भी पढ़ें-केरल : कृषि कानूनों के खिलाफ विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने से राज्यपाल का इनकार

उन्होंने कहा कि अगर देश में खाने की चीजों की कमी होती है तो इससे केरल समेत सभी राज्य प्रभावित होंगे इसलिए किसान आंदोलन को किसी एक राज्य तक सीमित कर के नहीं देखना चाहिए.

बता दें, कृषि कानूनों को वापस लिये जाने पर जोर देते हुए दिल्ली की सीमाओं पर देश के विभिन्न राज्यों के किसान करीब एक महीने से डेरा डाल हुए हैं.

तिरुवनंतपुरम : केरल में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने को लेकर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान आमने-सामने आ गए हैं. दरअसल, राज्य सरकार ने केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों पर चर्चा करने और उनके विरूद्ध प्रस्ताव पारित करने के लिए विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की है.

मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की अध्यक्षता में सोमवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य की माकपा नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार ने केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों पर चर्चा करने और उनके विरूद्ध प्रस्ताव पारित करने के लिए विशेष सत्र बुलाने का निर्णय लिया था. इसके बाद मंगलवार को केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पर चर्चा एवं पारित करने के लिए राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया था.

राज्यपाल द्वारा विशेष सत्र की मंजूरी देने से इनकार करने के बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बुधवार को केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उद्योगपतियों के हितों का ध्यान रखा जा रहा है, लेकिन किसानों का नहीं.

विजयन ने कहा कि केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने चाहिए, जिनके विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन हो रहा है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो किसान आंदोलन चल रहा है, ऐसा देश में पहले कभी नहीं हुआ. विजयन ने कहा कि किसान देश के अन्नदाता हैं, इसलिए उनकी मांग को राष्ट्र के हित में देखा जाना चाहिए.

शहीद स्मारक पर यहां स्थित किसानों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए वामदलों के समर्थन से आयोजित एक बैठक का उद्घाटन करते हुए उन्होंने केंद्र सरकार पर रय्यत के खिलाफ लगातार दमनकारी कदम उठाने का भी आरोप लगाया.

मुख्यमंत्री ने कहा, 'केंद्र की भाजपा सरकार किसानों के हितों का ध्यान नहीं रख रही है. वह उद्योगपतियों के हितों को सबसे ज्यादा महत्व दे रही है. केंद्र को किसानों की मांग स्वीकार कर लेनी चाहिए.'

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उन्होंने कहा कि अगर देश में खाने की चीजों की कमी होती है तो इससे केरल समेत सभी राज्य प्रभावित होंगे इसलिए किसान आंदोलन को किसी एक राज्य तक सीमित कर के नहीं देखना चाहिए.

बता दें, कृषि कानूनों को वापस लिये जाने पर जोर देते हुए दिल्ली की सीमाओं पर देश के विभिन्न राज्यों के किसान करीब एक महीने से डेरा डाल हुए हैं.

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