नर्मदापुरम। कहते हैं जहां चाह, वहां राह... वह भक्ति का मार्ग हो या ग्रहस्थ जीवन या फिर किसी उद्देश्य को लेकर किया गया काम, इन दिनों मां नर्मदा परिक्रमा करने वाले भक्त आसानी से कहीं भी नर्मदा किनारे देखने को मिल जाते है, लेकिन हम बात कर रहे है सात समंदर पार से आए एक ऐसे अंग्रेज जो मां नर्मदा की भक्त की जो इन दिनों नर्मदा परिक्रमा पर निकले हुए हैं. परिक्रमा करते हुए वह नर्मदापुरम से होकर सड़कों गली मोहल्ले एवं सार्वजनिक स्थानों से होकर निकले, जिन्हें हिंदी तक नहीं आती लेकिन मां के लिए भक्ति इतनी की पैदल ही निकल पड़े परिक्रमा पर.
रोज 25 किमी पैदल चल रहे रोनी मूले: दरअसल हम बात कर रहे हैं दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन शहर में ट्रेवल बिजनेस छोड़कर आए रोनी मूले मां नर्मदा की परिक्रमा पर निकले हैं, अपने देश से हजारों किलोमीटर दूर नर्मदापुरम जिले में नर्मदा के किनारे रोज 25 किलोमीटर पैदल चलकर परिक्रमा कर रहे हैं. 68 साल के रोनी मूले कहते हैं कि "मुझे मां नर्मदा ने बुलाया है, उनकी भक्ति से परिक्रमा कर रहा हूं."
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ऐसे मिली नर्मदा परिक्रमा करने की प्रेरणा: रोनी कहते हैं कि ऋषिकेश के बद्रीनाथ में एक सत्संग में गुरु जी ने मां नर्मदा परिक्रमा के बारे में बताया था, उनसे कुछ प्रेरणा मिली और उन्होंने मां नर्मदा की परिक्रमा करने को कहा अमरकंटक से 23 अक्टूबर को परिक्रमा शुरू की थी. रोनी मूले नर्मदापुरम से अब हरदा जिले की ओर रवाना हो रहे हैं, वह कहते हैं कि मां नर्मदा सभी का ख्याल रखती है. कहीं किसी भी बात की समस्या मुझे नहीं होने देती बहुत शानदार यात्रा है जो जिंदगी का एक खास हिस्सा बन गई है. वह कहते हैं कि परिक्रमा पथ पर मिलने वाले लोग बहुत अच्छे हैं मुझे कभी कोई समस्या नहीं आई.