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कुछ देश सुरक्षा संबंधी उद्देश्य पाने के लिए साइबर क्षेत्र में विशेषज्ञता का लाभ उठा रहे : श्रृंगला

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Published : Jun 30, 2021, 3:03 AM IST

विदेश सचिव हषवर्धन श्रृंगला ने कहा कि साइबर क्षेत्र की गतिशील और लगातार विकास की विशेषता ने भी शांति और सुरक्षा के विमर्श में इस क्षेत्र को चर्चा का केंद्र बनाया है. साइबर क्षेत्र की कोई सीमा नहीं होने की प्रकृति तथा इससे भी अधिक महत्वपूर्ण इसमें सक्रिय तत्वों की गुमनामी ने संप्रभुता, न्याय क्षेत्र और निजता की परंपरागत रूप से स्वीकार्य अवधारणाओं को चुनौती दी है.

विदेश सचिव हषवर्धन श्रृंगला ने दिया बयान
विदेश सचिव हषवर्धन श्रृंगला ने दिया बयान

संयुक्त राष्ट्र: भारत ने मंगलवार को कहा कि कुछ देश अपने राजनीतिक और सुरक्षा से संबंधित उद्देश्यों को पाने के लिए साइबर क्षेत्र में विशेषज्ञता का लाभ उठाना चाह रहे हैं और सीमापार आतंकवाद के आधुनिक प्रारूपों में संलिप्त हैं. 'अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा: साइबर सुरक्षा' विषय पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक को डिजिटल तरीके से संबोधित करते हुए विदेश सचिव हषवर्धन श्रृंगला (Foreign Secretary Harsh Vardhan Shringla) ने यह भी कहा कि दुनियाभर में आतंकवादी अपने दुष्प्रचार को फैलाने, नफरत और हिंसा को बढ़ावा देने, युवाओं की भर्ती करने तथा धन उगाही के लिए साइबर क्षेत्र का इस्तेमाल कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि कुछ देश अपने राजनीतिक तथा सुरक्षा संबंधी उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए साइबर क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता का लाभ उठा रहे हैं और सीमापार आतंकवाद के समकालीन प्रारूपों में संलिप्त हैं. श्रृंगला ने कहा कि दुनिया भर में स्वास्थ्य तथा ऊर्जा सुविधाओं समेत महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संरचनाओं पर हमले के माध्यम से तथा कट्टरता के रास्ते सामाजिक सौहार्द को बाधित करके देश की सुरक्षा के साथ समझौते के लिए साइबर क्षेत्र का इस्तेमाल होता देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद की स्थापना के समय से शांति का अर्थ एक ही है, वहीं पिछले कुछ दशकों में संघर्ष की प्रकृति तथा उसके संसाधन आमूल-चूल तरीके से बदल गये हैं. श्रृंगला ने कहा कि आज हम सदस्य देशों के सामने साइबर क्षेत्र से उभरते सुरक्षा खतरों को देख रहे हैं, जिन्हें लंबे समय तक अनदेखा नहीं किया जा सकता.

श्रृंगला ने कहा कि साइबर क्षेत्र की गतिशील और लगातार विकास की विशेषता ने भी शांति और सुरक्षा के विमर्श में इस क्षेत्र को चर्चा का केंद्र बनाया है. साइबर क्षेत्र की कोई सीमा नहीं होने की प्रकृति तथा इससे भी अधिक महत्वपूर्ण इसमें सक्रिय तत्वों की गुमनामी ने संप्रभुता, न्याय क्षेत्र और निजता की परंपरागत रूप से स्वीकार्य अवधारणाओं को चुनौती दी है. साइबर क्षेत्र की ये अनोखी विशेषताएं सदस्य राष्ट्रों के लिए ऐसी अनेक चुनौतियां पैदा करती हैं.

विदेश सचिव ने कहा कि हम पूरी दुनिया में आतंकवादियों द्वारा अपनी अपील को विस्तार देने, अपने उग्र दुष्प्रचार को बढ़ावा देने, घृणा तथा हिंसा को उकसाने, युवाओं को भर्ती करने तथा धन की उगाही करने के लिए साइबर क्षेत्र का इस्तेमाल होते देख रहे हैं. आतंकवादियों ने अपने आतंकी हमलों को अंजाम देने तथा दहशत फैलाने के लिए भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया है.

पढ़ें:लद्दाख गतिरोध पर भारत की दो टूक- चीन पर अनसुलझे मुद्दों को सुलझाने की जवाबदेही

उन्होंने कहा कि आतंकवाद के पीड़ित के रूप में भारत ने हमेशा इस बात पर गौर किया है कि सदस्य देश साइबर क्षेत्र का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए होने के विषय पर और अधिक रणनीतिक तरीके से ध्यान दें और उससे निपटें.

संयुक्त राष्ट्र: भारत ने मंगलवार को कहा कि कुछ देश अपने राजनीतिक और सुरक्षा से संबंधित उद्देश्यों को पाने के लिए साइबर क्षेत्र में विशेषज्ञता का लाभ उठाना चाह रहे हैं और सीमापार आतंकवाद के आधुनिक प्रारूपों में संलिप्त हैं. 'अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा: साइबर सुरक्षा' विषय पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक को डिजिटल तरीके से संबोधित करते हुए विदेश सचिव हषवर्धन श्रृंगला (Foreign Secretary Harsh Vardhan Shringla) ने यह भी कहा कि दुनियाभर में आतंकवादी अपने दुष्प्रचार को फैलाने, नफरत और हिंसा को बढ़ावा देने, युवाओं की भर्ती करने तथा धन उगाही के लिए साइबर क्षेत्र का इस्तेमाल कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि कुछ देश अपने राजनीतिक तथा सुरक्षा संबंधी उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए साइबर क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता का लाभ उठा रहे हैं और सीमापार आतंकवाद के समकालीन प्रारूपों में संलिप्त हैं. श्रृंगला ने कहा कि दुनिया भर में स्वास्थ्य तथा ऊर्जा सुविधाओं समेत महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संरचनाओं पर हमले के माध्यम से तथा कट्टरता के रास्ते सामाजिक सौहार्द को बाधित करके देश की सुरक्षा के साथ समझौते के लिए साइबर क्षेत्र का इस्तेमाल होता देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद की स्थापना के समय से शांति का अर्थ एक ही है, वहीं पिछले कुछ दशकों में संघर्ष की प्रकृति तथा उसके संसाधन आमूल-चूल तरीके से बदल गये हैं. श्रृंगला ने कहा कि आज हम सदस्य देशों के सामने साइबर क्षेत्र से उभरते सुरक्षा खतरों को देख रहे हैं, जिन्हें लंबे समय तक अनदेखा नहीं किया जा सकता.

श्रृंगला ने कहा कि साइबर क्षेत्र की गतिशील और लगातार विकास की विशेषता ने भी शांति और सुरक्षा के विमर्श में इस क्षेत्र को चर्चा का केंद्र बनाया है. साइबर क्षेत्र की कोई सीमा नहीं होने की प्रकृति तथा इससे भी अधिक महत्वपूर्ण इसमें सक्रिय तत्वों की गुमनामी ने संप्रभुता, न्याय क्षेत्र और निजता की परंपरागत रूप से स्वीकार्य अवधारणाओं को चुनौती दी है. साइबर क्षेत्र की ये अनोखी विशेषताएं सदस्य राष्ट्रों के लिए ऐसी अनेक चुनौतियां पैदा करती हैं.

विदेश सचिव ने कहा कि हम पूरी दुनिया में आतंकवादियों द्वारा अपनी अपील को विस्तार देने, अपने उग्र दुष्प्रचार को बढ़ावा देने, घृणा तथा हिंसा को उकसाने, युवाओं को भर्ती करने तथा धन की उगाही करने के लिए साइबर क्षेत्र का इस्तेमाल होते देख रहे हैं. आतंकवादियों ने अपने आतंकी हमलों को अंजाम देने तथा दहशत फैलाने के लिए भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया है.

पढ़ें:लद्दाख गतिरोध पर भारत की दो टूक- चीन पर अनसुलझे मुद्दों को सुलझाने की जवाबदेही

उन्होंने कहा कि आतंकवाद के पीड़ित के रूप में भारत ने हमेशा इस बात पर गौर किया है कि सदस्य देश साइबर क्षेत्र का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए होने के विषय पर और अधिक रणनीतिक तरीके से ध्यान दें और उससे निपटें.

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