नई दिल्ली : जस्टिस वीसी सिंह सिरपुरकर कमीशन ने दिशा रेप मामले के बाद हुए एनकाउंटर पर 387 पेज की एक रिपोर्ट सौंपी है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आरोपियों को फेक एनकाउंटर में मारा गया था. हैदराबाद में नवंबर 2019 में एक महिला वेटनरी डॉक्टर के साथ रेप की घटना हुई थी. उसके बाद उसकी हत्या भी कर दी गई थी. आरोपियों ने महिला का शव जली अवस्था में एक पुल के नीचे फेंक दिया था. घटना के बाद स्थानीय लोगों ने इसके विरोध में विरोध प्रदर्शन किया था.
पुलिस ने मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था. इनके नाम हैं- मोहम्मद आरिफ, चिंटाकुंटा चेन्नाकेश्वुलु, जोलु शिवा और जोलु नवीन. पुलिस इन आरोपियों को क्राइम सीन पर ले जा रही थी. पुलिस के अनुसार आरोपियों ने भागने की कोशिश की और इसी क्रम में चारों मारे गए. इसके बाद आरोपियों के परिवार जनों ने फर्जी एनकाउंटर की शिकायत की थी.
एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मी- वी सुरेंद्र, के. नरसिम्हा रेड्डी, शेख लाल मधर, मो. सिराजुद्दीन, कोचेरला रवि, के.वेंकटेश्वारुलु, एस अरविंद गौड, जानकीरमन, आरबालू राठौड, डी श्रीकंठ. रिपोर्ट में कहा गया है कि इनसे आईपीसी की धारा 302 के तहत पूछताछ होनी चाहिए.
आज कोर्ट में क्या कुछ हुआ
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान के उस अनुरोध को ठुकरा दिया कि तीन-सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में रखी जाए. पीठ ने कहा, 'यह (रिपोर्ट) मुठभेड़ मामले से संबद्ध है. इसमें यहां रखने जैसी कोई बात नहीं है. आयोग ने किसी को दोषी पाया है. हम मामले को उच्च न्यायालय के पास भेजना चाहते हैं. हमें मामले को वापस उच्च न्यायालय के पास भेजना पड़ेगा, हम इस मामले की निगरानी नहीं कर सकते. एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी गयी है. सवाल यह है कि क्या उचित कार्रवाई की जाए. उन्होंने कुछ सिफारिशें की हैं.'
पीठ ने कहा, 'हम आयोग सचिवालय को दोनों पक्षों को रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध कराने का निर्देश देते हैं.' इससे पहले पीठ ने आयोग की सीलबंद लिफाफे वाली रिपोर्ट कुछ वक्त के लिए वकीलों के साथ साझा करने से इनकार कर दिया था. हालांकि, न्यायालय ने रजिस्ट्री को पीठ के न्यायाधीशों को रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. सीजेआई ने वकीलों के साथ कुछ वक्त के लिए रिपोर्ट साझा न करने का निर्देश देते हुए कहा था, 'पहले हमें रिपोर्ट पढ़ने दीजिए.'
इससे पहले शीर्ष न्यायालय ने गत वर्ष तीन अगस्त को आयोग को मुठभेड़ मामले पर अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने के लिए छह महीने का और समय दिया था. सिरपुरकर समिति का गठन 12 दिसंबर 2019 को हुआ और उसे उन परिस्थितियों की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया, जिसके चलते मुठभेड़ हुई. उसे अपनी रिपोर्ट छह महीने में सौंपनी थी.
समिति का गठन करते हुए उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में तेलंगाना उच्च न्यायालय तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में चल रहे मुकदमों की सुनवाई पर रोक लगा दी थी. गौरतलब है कि तेलंगाना पुलिस ने कहा था कि आरोपी मुठभेड़ में मारे गए. यह घटना सुबह करीब साढ़े छह बजे हुई थी जब आरोपियों को जांच के लिए घटनास्थल ले जाया जा रहा था. चारों आरोपियों के नाम- मोहम्मद आरिफ, चिंटाकुंटा चेन्नाकेश्वुलु, जोलु शिवा और जोलु नवीन पुलिस ने गिरफ्तार किया था.
क्या थी घटना
हैदराबाद में नवंबर 2019 में एक महिला वेटनरी डॉक्टर के साथ रेप की घटना हुई थी. उसके बाद उसकी हत्या भी कर दी गई थी. आरोपियों ने महिला का शव जली अवस्था में एक पुल के नीचे फेंक दिया था. घटना के बाद स्थानीय लोगों ने इसके विरोध में विरोध प्रदर्शन किया था. पुलिस ने मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था. पुलिस इन आरोपियों को क्राइम सीन पर ले जा रही थी. पुलिस के अनुसार इन आरोपियों ने भागने की कोशिश की और इसी क्रम में चारों आरोपी मारे गए. इसके बाद आरोपियों के परिवार जनों ने फर्जी एनकाउंटर की शिकायत की थी.
इस एनकाउंटर की सत्यता की जांच के लिए कोर्ट के आदेश पर सिरपुरकर कमीशन का गठन किया गया. कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में इस एनकाउंटर को फर्जी बताया है. रिपोर्ट में लिखा गया है कि आरोपियों को जानबूझकर मारा गया, ताकि उनकी मौत हो जाए. कमीशन ने एनकाउंटर में शामिल पुलिस अधिकारियों पर आपराधिक मामला दर्ज करने की अनुशंसा भी की है. सिरपुरकार सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज हैं.