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टोक्यो ओलंपिक : हॉकी खिलाड़ी सिमरनजीत की काफी रोचक है दास्तां, पिता ने बताई बड़ी बात - पीलीभीत खबर

टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत ने इतिहास रच दिया. 40 साल के बाद भारतीय हॉकी टीम ने कास्य पदक जीत कर देश को गौरवान्वित किया है. इस गौरव के क्षण में देश झूम रहा है. भारतीय हॉकी टीम की इस जीत में उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के छोटे से गांव के सिमरनजीत भी शामिल हैं. इस गौरवशाली पल को साझा करने इटीवी भारत की टीम पहुंची सिमरनजीत के परिवार वालों के पास.

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Published : Aug 5, 2021, 3:56 PM IST

पीलीभीत : टोक्यो ओलंपिक में लंबे समय बाद भारत को कास्य पदक हासिल हुआ है. भारतीय हॉकी टीम में शामिल पीलीभीत के छोटे से गांव के रहने वाले हॉकी खिलाड़ी सिमरनजीत ने दो गोल किए, जिसके बाद सिमरनजीत के गांव और घर में जश्न का माहौल है. आस-पास के लोग सिमरनजीत के घर पहुंचकर उनके माता-पिता को बधाइयां दे रहे हैं.

पीलीभीत के मझारा के रहने वाले इकबाल सिंह के घर में बड़े बेटे के रूप में जन्म लेने वाले सिमरनजीत की बड़ी रोचक दास्तां है. सिमरनजीत शुरू से ही खेलों के प्रति अलग ही सोच रखते थे. अपने ताऊ रशपाल सिंह को रोल मॉडल मानते हुए हॉकी में हुनर आजमाने के लिए महज 10 साल की उम्र में सिमरजीत ने अपने माता पिता को छोड़ पंजाब जाने का फैसला किया, जहां पंजाब की चीमा हॉकी एकेडमी में दाखिला लेने के साथ-साथ ताऊ के घर रह कर ही सिमरजीत ने अपनी पढ़ाई पूरी की. परिवार जनों की मानें तो सिमरनजीत ने हॉकी थामने के बाद कभी पलटकर नहीं देखा. पहले स्टेट लेवल और नेशनल लेवल के कई मैच खेल कर बेहतर प्रदर्शन कर भारतीय हॉकी टीम में अपनी जगह बनाई. अब सिमरनजीत अपने गांव के आस-पास रहने वाले बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए कुछ करना चाहते हैं.

सिमरनजीत के गांव में खुशी की लहर.

छोटी उम्र में लिया बड़ा फैसला

टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा बने पीलीभीत के सिमरनजीत के पिता इकबाल सिंह ने ईटीवी भारत के कैमरे पर खुशी जाहिर करते हुए बताया कि छोटी सी उम्र में परिवारजनों से दूर जाकर सिमरनजीत ने पंजाब में रहने वाले अपने ताऊ रशपाल सिंह के घर रहने का फैसला किया और हॉकी की ट्रेनिंग लेने के लिए सुरजीत हॉकी एकेडमी जालंधर में दाखिला ले लिया और देखते ही देखते अपने प्रतिभा के बल पर पहले स्टेट और फिर नेशनल हॉकी टीम में अपनी जगह बना ली.

बेटे की उपलब्धि पर गदगद पिता ने कहा कि लंबा अरसा बीत जाता है बेटे से मिलने के लिए. घरवालों को अपने बेटे को देखने के लिए तरसना पड़ता है. ऐसे में सिमरनजीत के मेडल और फोटो के सहारे ही परिवार वाले अपने बेटे को याद करते रहते हैं. सिमरनजीत के पिता का कहना है कि जब भी सिमरनजीत का मैच टीवी पर आता है तो गांव में एक जश्न का माहौल होता है. गांव के कई लोग उनके घर पर मैच देखने के लिए जमा हो जाते हैं. इकबाल सिंह का कहना है कि गुरुवार को मैच खेलने जाने से पहले ही सभी लोग सिमरनजीत के लिए प्रार्थना कर रहे थे और मैच शुरू होते ही परिवार के लोगों ने टीवी के आगे बैठकर निगाहें जमा ली थी. परिवार के लोगों ने अपने बेटे सिमरनजीत को एक के बाद एक गोल करते देखा.

सिमरनजीत के घर में जश्न का माहौल

वहीं, भारत की जीत के बाद अब हॉकी खिलाड़ी सिमरनजीत के घर में जश्न का माहौल है. भारतीय हॉकी टीम का मुकाबला जर्मनी से था. गुरुवार को हुए इस मुकाबले में पीलीभीत के रहने वाले सिमरनजीत भी भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा थे. सिमरनजीत ने गुरुवार को हुए हॉकी के मुकाबले में बेहतर प्रदर्शन करते हुए दो गोल चटकाए इसके साथ ही एक पेनल्टी कॉर्नर बनाते हुए भी टीम के खाते में एक और गोल जोड़ दिया. जिसका नतीजा रहा कि भारत ने जर्मनी को 5-4 से मात देते हुए टोक्यो ओलंपिक में लंबे समय बाद जीत हासिल कर ली.

पढ़ेंः Tokyo Olympics: 41 साल बाद भारत को मिला हॉकी में ब्रॉन्ज, जर्मनी को 5-4 से दी मात

पीलीभीत : टोक्यो ओलंपिक में लंबे समय बाद भारत को कास्य पदक हासिल हुआ है. भारतीय हॉकी टीम में शामिल पीलीभीत के छोटे से गांव के रहने वाले हॉकी खिलाड़ी सिमरनजीत ने दो गोल किए, जिसके बाद सिमरनजीत के गांव और घर में जश्न का माहौल है. आस-पास के लोग सिमरनजीत के घर पहुंचकर उनके माता-पिता को बधाइयां दे रहे हैं.

पीलीभीत के मझारा के रहने वाले इकबाल सिंह के घर में बड़े बेटे के रूप में जन्म लेने वाले सिमरनजीत की बड़ी रोचक दास्तां है. सिमरनजीत शुरू से ही खेलों के प्रति अलग ही सोच रखते थे. अपने ताऊ रशपाल सिंह को रोल मॉडल मानते हुए हॉकी में हुनर आजमाने के लिए महज 10 साल की उम्र में सिमरजीत ने अपने माता पिता को छोड़ पंजाब जाने का फैसला किया, जहां पंजाब की चीमा हॉकी एकेडमी में दाखिला लेने के साथ-साथ ताऊ के घर रह कर ही सिमरजीत ने अपनी पढ़ाई पूरी की. परिवार जनों की मानें तो सिमरनजीत ने हॉकी थामने के बाद कभी पलटकर नहीं देखा. पहले स्टेट लेवल और नेशनल लेवल के कई मैच खेल कर बेहतर प्रदर्शन कर भारतीय हॉकी टीम में अपनी जगह बनाई. अब सिमरनजीत अपने गांव के आस-पास रहने वाले बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए कुछ करना चाहते हैं.

सिमरनजीत के गांव में खुशी की लहर.

छोटी उम्र में लिया बड़ा फैसला

टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा बने पीलीभीत के सिमरनजीत के पिता इकबाल सिंह ने ईटीवी भारत के कैमरे पर खुशी जाहिर करते हुए बताया कि छोटी सी उम्र में परिवारजनों से दूर जाकर सिमरनजीत ने पंजाब में रहने वाले अपने ताऊ रशपाल सिंह के घर रहने का फैसला किया और हॉकी की ट्रेनिंग लेने के लिए सुरजीत हॉकी एकेडमी जालंधर में दाखिला ले लिया और देखते ही देखते अपने प्रतिभा के बल पर पहले स्टेट और फिर नेशनल हॉकी टीम में अपनी जगह बना ली.

बेटे की उपलब्धि पर गदगद पिता ने कहा कि लंबा अरसा बीत जाता है बेटे से मिलने के लिए. घरवालों को अपने बेटे को देखने के लिए तरसना पड़ता है. ऐसे में सिमरनजीत के मेडल और फोटो के सहारे ही परिवार वाले अपने बेटे को याद करते रहते हैं. सिमरनजीत के पिता का कहना है कि जब भी सिमरनजीत का मैच टीवी पर आता है तो गांव में एक जश्न का माहौल होता है. गांव के कई लोग उनके घर पर मैच देखने के लिए जमा हो जाते हैं. इकबाल सिंह का कहना है कि गुरुवार को मैच खेलने जाने से पहले ही सभी लोग सिमरनजीत के लिए प्रार्थना कर रहे थे और मैच शुरू होते ही परिवार के लोगों ने टीवी के आगे बैठकर निगाहें जमा ली थी. परिवार के लोगों ने अपने बेटे सिमरनजीत को एक के बाद एक गोल करते देखा.

सिमरनजीत के घर में जश्न का माहौल

वहीं, भारत की जीत के बाद अब हॉकी खिलाड़ी सिमरनजीत के घर में जश्न का माहौल है. भारतीय हॉकी टीम का मुकाबला जर्मनी से था. गुरुवार को हुए इस मुकाबले में पीलीभीत के रहने वाले सिमरनजीत भी भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा थे. सिमरनजीत ने गुरुवार को हुए हॉकी के मुकाबले में बेहतर प्रदर्शन करते हुए दो गोल चटकाए इसके साथ ही एक पेनल्टी कॉर्नर बनाते हुए भी टीम के खाते में एक और गोल जोड़ दिया. जिसका नतीजा रहा कि भारत ने जर्मनी को 5-4 से मात देते हुए टोक्यो ओलंपिक में लंबे समय बाद जीत हासिल कर ली.

पढ़ेंः Tokyo Olympics: 41 साल बाद भारत को मिला हॉकी में ब्रॉन्ज, जर्मनी को 5-4 से दी मात

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